RAJNANDGAON. राजनांदगांव 1830 में अस्तित्व में आया था। शहर का नाम भगवान कृष्ण, नंद और नंदग्राम के वंशजों के नाम पर रखा गया था। हालांकि नाम जल्द ही राजनांदगांव में बदल दिया गया। साल 1973 में अविभाजित मध्यप्रदेश के दुर्ग जिले से अलग होकर एक नया जिला बना जिसका नाम राजनांदगांव रखा। यहां पहाड़ पर बना बगुलामुखी (बम्लेश्वरी) मंदिर इलाके में प्रसिद्ध है।
राजनांदगांव विधानसभा का राजनीतिक मिजाज
राजनांदगांव विधानसभा छत्तीसगढ़ की सबसे अहम सीटों में एक मानी जाती है। ये सीट अपनी राजनीतिक चेतना के लिए पहचानी जाती है। साहित्य क्षेत्र के बड़े हस्ताक्षर में से एक गजानन माधव मुक्तिबोध की कर्मभूमि भी यही शहर था। राजनांदगांव को छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी कहा जाता है। इस सीट का अस्तित्व 1952 से है। ये सामान्य सीट है। इस सीट पर सबसे पहले विधायक आरके शुक्ल थे जो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे। छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर 4 चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस को एक बार और तीन बार बीजेपी को सफलता मिली।
राजनांदगांव विधानसभा के राजनीतिक समीकरण
साल 1952 में आरके शुक्ल यहां से पहले विधायक बने। तो वहीं 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने राजनांदगांव से जीत दर्ज की। 1962, 1967 और 1972 में लगातार कांग्रेस ने अपना परचम लहराया। जिसे 1977 में जनता पार्टी ने धराशायी कर दिया। दोनों ही दलों को नकारते हुए साल 1980 में राजनांदगांव की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवार को विधायक चुना। साल 2008, 2013 और 2018 में ये सीट लगातार बीजेपी जीतती रही। तीनों ही बार तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह यहां से विधायक बने।
राजनांदगांव विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण
सामान्य वर्ग की इस सीट पर करीब 11 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। तो वहीं करीब 26 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग की है। OBC वर्ग के करीब 30 फीसदी मतदाता हैं। साथ ही अन्य वर्ग के मतदाता भी यहां काफी संख्या में हैं। 2018 में राजनांदगांव सीट पर कुल 52 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस चुनाव में बीजेपी के डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस की करुणा शुक्ला को 17 हजार वोटों से हराया।
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
राजनांदगांव विधानसभा इलाके में रमन सिंह की कम सक्रियता ही सबसे बड़ा मुद्दा है। वहीं बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस रमन सिंह का इलाका होने के कारण इस इलाके पर ध्यान नहीं दे रही है। दोनों ही दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में पीछे नहीं हटते लेकिन असल में नुकसान जनता का हो रहा है।
द सूत्र ने जब इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकलकर आए..
द सूत्र ने राजनांदगांव विधायक डॉ. रमन सिंह से पूछे सवाल, जिसका उन्होंने लिखित में दिया जवाब
द सूत्र - जब मुख्यमंत्री थे तब इलाके में बहुत काम करवाए, अब काम बंद ऐसा क्यों?
डॉ. रमन सिंह - यह कांग्रेस के केवल आरोप हैं, मसला तो यह है कि जो काम मैंने कराए या बीजेपी सरकार में स्वीकृत होकर बन गए, उसके अलावा कोई काम बघेल सरकार में नहीं हुए।
द सूत्र - बतौर विधायक इलाके में उपस्थिति बेहद कम, ऐसा क्यों?
डॉ. रमन सिंह - मैं लगातार अपने इलाके में उपस्थित रहता हूं, वहां कार्यालय है, वहां से भी जनता का काम सतत होता है। हर वार्ड में लोग हैं जो जनता के बीच सतत उपस्थिति रखते हैं। कोरोना काल में नहीं आने की बात झूठी है।
द सूत्र - पिछले 4 सालों में बतौर विधायक क्या काम करवाए?
डॉ. रमन सिंह - मेडिकल कॉलेज हमने खोला, हमने सब किया है। ये भूपेश सरकार नया कुछ कर नहीं पाती और उस पर भी तकलीफ यह है कि जो हमने करके दिया उसे ही नहीं संभाल पा रहे हैं।
द सूत्र - विधानसभा में इलाके से जुड़े कोई मुद्दे नहीं उठाते, क्यों?
डॉ. रमन सिंह - इन 4 बरसों में सरकार ने कुछ किया नहीं है,मैंने प्रस्ताव भेजे तो भी उसे ध्यान नहीं दिया। ये कांग्रेस सरकार केवल इसलिए कुछ नहीं करती क्योंकि यहां बीजेपी का विधायक है, डॉ. रमन सिंह की विधानसभा है।
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