MUMBAI. महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो चुका है। अजीत पवार (पूर्व एनसीपी नेता) नेता प्रतिपक्ष से शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बन गए। उनके साथ पार्टी के कई विधायकों ने भी शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। अजित पवार, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ समेत कई नेता शामिल रहे। शिंदे सरकार में शामिल हुए NCP के नेताओं के खिलाफ ED के केस चल रहे हैं। कोई जमानत पर है तो कोई सजा काट चुका है। हम आपको उन नेताओं के बारे में बता रहे हैं...
अजित पवार के खिलाफ कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में जांच जारी
अजित पवार के खिलाफ कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में अभी जांच जारी है। पवार के खिलाफ महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक से दिए गए लोन में अनियमितता के आरोप हैं। एक जनहित याचिका के आधार पर EOW जांच कर रही है। इस मामले में ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। हालांकि सितंबर 2020 में EOW ने स्पेशल कोर्ट में कहा कि उन्हें अजित के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला और केस में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। ED ने इसका विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने आपत्ति खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि EOW ने केस बंद कर दिया है तो ED भी आगे जांच नहीं कर सकती। तब राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार थी, लेकिन स्पेशल कोर्ट क्लोजर रिपोर्ट पर कोई फैसला करती, उसके पहले राज्य में सरकार बदल गई। इस पर EOW ने भी अपना स्टैंड बदला और अक्टूबर 2022 में कोर्ट से कहा कि वह जांच जारी रखना चाहती है। अभी EOW की जांच चल रही है। हालांकि अभी चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है।
सिंचाई घोटाले में अजित पवार का नाम
अजित पवार कांग्रेस-एनसीपी सरकार में जल संसाधन मंत्री और विदर्भ इरिगेशन कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष थे, तब सिंचाई परियोजनाओं में घोटाले के आरोप लगे थे। जनहित याचिकाओं के आधार पर महाराष्ट्र ACB ने इन मामलों की कोर्ट की निगरानी में जांच शुरू की। हालांकि 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ 3 दिन की सरकार बनाने के एक दिन बाद, ACB ने उन्हें क्लीन चिट देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। हालांकि रिपोर्ट को अभी कोर्ट ने मंजूर नहीं किया है। जब महाविकास अघाड़ी सत्ता में आई तो कुछ बीजेपी नेताओं ने मामले की दोबारा जांच की मांग शुरू कर दी।
11 जुलाई तक अंतरिम जमानत पर हैं हसन मुश्रीफ
हसन मुश्रीफ के खिलाफ सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों के कामकाज में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में मुंबई में ED की जांच चल रही है। मुंबई की विशेष कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में अपनी दलीलों में मुश्रीफ ने कहा था कि उनके खिलाफ केस एक साजिश थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें ED मामलों में शामिल करने की जानबूझकर कोशिश की गई और सभी जानते हैं कि हाल के दिनों में ED का उपयोग राजनीतिक बदला लेने और नुकसान पहुंचाने या राजनीतिक करियर को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए किया जाता है। मुश्रीफ की अग्रिम जमानत याचिका अप्रैल में विशेष कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने उनकी अंतरिम राहत बढ़ा दी। पिछले हफ्ते इसे 11 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था। इसी केस में ED उनके तीन बेटों के खिलाफ भी जांच कर रही है। इनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं स्पेशल कोर्ट में पेंडिंग हैं।
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2 साल जेल में रहे छगन भुजबल, फिलहाल जमानत पर बाहर
2006 में 3 परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपए से अधिक के ठेके देने में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक PIL दायर हुई थी। इसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने भुजबल और 16 अन्य के खिलाफ 2015 में मामला दर्ज किया था। तब भुजबल राज्य के PWD मंत्री थे। दिल्ली में महाराष्ट्र सदन, अंधेरी में नया RTO ऑफिस और मालाबार हिल में एक गेस्ट हाउस बनाने के लिए चमनकर डेवलपर्स को ठेके दिए गए थे। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए एक अलग केस दर्ज किया था। एजेंसी ने मामले में भुजबल को गिरफ्तार किया। 2 साल जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई। सितंबर 2021 में, जब एमवीए सत्ता में थी, एक विशेष कोर्ट ने भुजबल और अन्य को बरी कर दिया। इस साल जनवरी में एक कार्यकर्ता ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की, ये अभी पेंडिंग है। मुंबई विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार मामले के संबंध में ACB ने एक केस दर्ज किया। यह स्पेशल कोर्ट में पेंडिंग है। भुजबल ने डिस्चार्ज याचिका दायर की है, जिस पर फिलहाल सुनवाई चल रही है।