भोपाल . प्रदेश की 1 लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव (By Election) के लिए बुधवार, 13 अक्टूबर को नाम वापसी का आखिरी दिन था। खंडवा लोकसभा और सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 16-16 उम्मीदवार मैदान में हैं। नाम वापसी के आखिरी दिन भाजपा (BJP) ने राहत की सांस ली, उसने रैगांव (Raigaon) सीट से बागी तेवर दिखा रहे बागरी परिवार को मना लिया है। अलीराजपुर की जोबट (Jobat) में 6 और निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर सीट पर 10 प्रत्याशी मैदान में हैं। चारों सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस (Congress) के बीच सीधा मुकाबला है।
खंडवा में कांटे की टक्कर के आसार
टिकट वितरण के बाद से खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha Election) पर भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला और भी रोचक हो गया है। कांग्रेस से टिकट मांग रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा, प्रत्याशी राजनारायण सिंह के साथ प्रचार कर रहे हैं। वहीं नंदकुमार चौहान के पुत्र हर्ष चौहान और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस बीजेपी प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल (Gyaneshwar Patil) के साथ प्रचार के लिए मैदान में है। टक्कर तो कांटे की है, लेकिन स्थानीय राजनीति के जानकारों का कहना है कि दोनों ही दलों में साथ दिख रहे नेता सिर्फ दिखावे के लिए ही साथ हैं।
बीजेपी-कांग्रेस दोनों में ही भितरघात की संभावना
खंडवा की सियासत में कांग्रेस दो गुटों में बंटी है। एक गुट राजनारायण सिंह (Rajnarayan Singh) के समर्थन में है तो दूसरा अरुण यादव के पीछे खड़ा है। यदि राजनारायण सिंह जीतते है तो कांग्रेस में पुराने नेचाओं का वर्चस्व बढ़ जाएगा। इससे अरुण यादव की दावेदारी हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। वहीं भाजपा में हर्ष चौहान (Harsh Chauhan) और अर्चना चिटनिस का सियासी करियर भी ज्ञानेश्वर पाटिल की जीत हार से जुड़ा हुआ है। पाटिल भाजपा के पुराने नेता है, वे नंदकुमार चौहान के करीबी रहे हैं। यदि पाटिल जीतते हैं तो हर्ष चौहान बुरहानपुर (Burhanpur) से विधायकी का टिकट मांगेंगे। ऐसे में चिटनिस की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
विधानसभा सीटों के लिहाज से समीकरण
खंडवा लोकसभा सीट में चार जिलों की 8 विधानसभा सीटें आती है। राजनारायण सिंह खंडवा जिले से आते हैं। लिहाजा सबसे ज्यादा तीन सीटें मांधाता, खंडवा और पंधाना होने की वजह से यहां उनका पलड़ा भारी है। वे मांधाता सीट से पहले तीन बार विधायक रहे हैं। इस सीट का नाम पहले निमाड़खेड़ी था। वहीं ज्ञानेश्वर पाटिल बुरहानपुर जिले के रहने वाले है। इस जिले में बुरहानपुर और नेपानगर (Nepanagar) विधानसभा सीट है।
खंडवा लोकसभा क्षेत्र में अभी 8 में से 5 सीटें बीजेपी के पास
संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से अभी 5 पर भाजपा का कब्जा है। वहीं दो सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय विधायक है। नेपानगर से सुनीता देवी कासडेकर और मांधाता से नारायण पटेल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। दोनों ही उपचुनाव जीतकर विधायक भी बन गए हैं। लिहाजा सीटों के लिहाज से भाजपा का पलड़ा भारी दिखाई देता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन भाजपा हारती है तो उसे बड़ा नुकसान होगा।
ऐसे हैं जातिगत समीकरण
खंडवा संसदीय क्षेत्र में करीब 19 फीसदी सामान्य, 24 फीसदी ओबीसी, 39 फीसदी एससी-एसटी (SC-ST) और 14 फीसदी अल्पसंख्यक वोटर हैं। बीजेपी ने यहां ओबीसी (OBC) कार्ड खेला है। राजपूत समाज और अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रत्याशी राजनारायण सिंह का साथ देते हैं तो उन्हें बढ़त मिल सकती है।
रैगांव में मान गए बीजेपी के बागी
सतना (Satna) जिले के रैगांव विधानसभा सीट पर भाजपा का संकट कम होता नजर आ रहा है। यहां बीजेपी पूर्व मंत्री स्व. जुगलकिशोर बागरी के परिवार को मनाने में कामयाब हो गई है। दिवंगत बागरी के बड़े बेटे पुष्पराज बागरी और बहू वंदना देवराज बागरी ने फार्म भरा था। पुष्पराज बागरी सीएम शिवराज (CM Shivraj) की सभा में विगत दिनों दावेदारी छोड़ चुके थे। फॉर्म वापस लेने के आखिरी दिन गुरुवार को वंदना ने भी अपना पर्चा वापस ले लिया।
नाम वापसी पर निकल पड़े बागरी की बहू के आंसू
फार्म वापस लेने रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर पहुंची वंदना बागरी भावुक हो गईं। उनके आंसू छलक पड़े। बताया जा रहा है कि मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें मनाया लिहाजा वे पर्चा वापस लेने को राजी हो गईं। अब पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी प्रतिमा बागरी (Pratima Bagri) के खिलाफ भाजपा का कोई बागी मैदान में नहीं है। प्रतिमा पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी के बड़े भाई की पोती हैं। जानकार बताते हैं कि जुगल किशोर के दोनों बेटों की लड़ाई में भतीजी टिकट हासिल करने में कामयाब रही हैं।
रैगांव में चुनाव मैदान में अब 16 उम्मीदवार
पर्चा वापसी के आखिरी दिन वंदना बागरी के अलावा नगर पंचायत कोठी के पूर्व अध्यक्ष राकेश कोरी ने भी उम्मीदवारी छोड़ दी है। इसके बाद भी 16 उम्मीदवार मैदान में है। सपा नेता धीरेंद्र सिंह धीरू निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। एडव्होकेट पुष्पेंद्र बागरी निर्दलीय के तौर पर मैदान में है।
कांग्रेस को उम्मीद, भाजपा का संगठन भारी
रैगांव सीट पर भाजपा प्रत्याशी वंदना बागरी (Vandana Bagri) और कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा (Kalpana Verma) के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा की तरफ से तमाम मंत्री जुटे हुए है। वहीं दशहरे के दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रैगांव पहुंच रहे है। भाजपा का संगठन मजबूत है। दूसरी तरफ कांग्रेस से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मोर्चा संभाला हुआ है। हालांकि, शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) के पक्ष में उनके बयान ने कांग्रेस के पक्ष में बन रहे माहौल को कुछ हद तक बिगाड़ा है। कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा 2018 में महज 4 हजार वोटों से हारी थीं। जिसके बाद वो सक्रिय भी रहीं है। लिहाजा उन्हें फायदा मिल सकता है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) के चुनाव न लड़ने और बागरी परिवार की फूट से भी कांग्रेस को बढ़त मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
जोबट में कांग्रेस ने बागी को मनाया
अलीराजपुर की जोबट सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने बागियों को साधने में कामयाब रहीं है। पूर्व विधायक कलावती भूरिया के भतीजे दीपक भूरिया ने फार्म वापस ले लिया है। बताया जा रहा है कि विधायक कांतिलाल भूरिया और युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया (Vikrant Bhuria) ने उन्हें मना लिया है। वहीं, भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मोंटू डाबर ने भी पर्चा लिया था। वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आईं सुलोचना रावत से नाराज थे। लेकिन भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें पर्चा भरने ही नहीं दिया था।
जोबट का जातिगत समीकरण
आदिवासी बाहुल्य जोबट में 30 फीसदी भील, 60 फीसदी भिलाला और 10 फीसदी सामान्य आबादी है। भाजपा और कांग्रेस ने भिलाला जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। लिहाजा भील जाति को साधने में जो भी कामयाब रहेगा, जीत उसकी होगी। इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। भाजपा प्रत्याशी सुलोचना रावत भी कांग्रेस छोड़कर ही गई हैं। भूरिया परिवार समर्थन करता है तो कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल की राह आसान हो सकती है। महेश पटेल के भाई मुकेश पटेल अलीराजपुर से कांग्रेस विधायक हैं।
पृथ्वीपुर में सीधा मुकाबला
निवाड़ी (Niwari) जिले की पृथ्वीपुर (Prithvipur) सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यहां अब कुल 10 प्रत्याशी मैदान में है। पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन से खाली हुई सीट पर उनके बेटे नितेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी है। उन्हें सहानुभूति का वोट मिल सकता है। वहीं भाजपा ने डॉ. शिशुपाल यादव को टिकट दिया है। यादव 2018 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे थे। वे उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के रहने वाले है, लिहाजा कांग्रेस उनके बाहरी होने का फायदा उठाना चाहती है। मोतीलाल कुशवाह ने सपा के प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा था, लेकिन उन्हें चुनाव चिन्ह साइकिल नहीं मिला है।