BHOPAL. एक वायरल वीडियो ने मध्यप्रदेश बीजेपी की नींद उड़ा दी है। पूरी बीजेपी की भले ही न उड़ाई हो लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान की नींद जरूर उड़ाई होगी और इसकी वजह है एक वायरल वीडियो। ये वीडियो कहां से आया किसने वायरल करवाया, किसने क्रिएट करवाया। इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। लेकिन मकसद का अंदाजा लगाया जा सकता है। वीडियो का मकसद था सिर्फ और सिर्फ शिवराज सिंह चौहान की इमेज को डैमेज करना और ये खबर फैलाना कि आने वाला चुनाव शिवराज के फेस पर नहीं होगा। सिर्फ ये वीडियो ही नहीं, वीडियो को रिलीज करने की टाइमिंग भी कई सवाल खड़े करती है।
शिवराज सिंह चौहान का वन मैन शो ओवर हो चुका है
बीजेपी में हुए कुछ ताजे फैसलों के बाद से पार्टी के भीतर उथल पुथल मची हुई है। उथल पुथल मचनी भी थी। पहले मध्यप्रदेश के लिए बतौर चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव को भेजा गया। उन्हीं के साथ सहप्रभारी अश्विनी वैष्णव के नाम का ऐलान हुआ। इस घोषणा को हुए दो दिन ही बीते होंगे कि चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर को जिम्मेदारी सौंप दी गई। इसके बाद से ही अटकलों का और कयासों का दौर शुरू हो चुका है। ये खबरें तो फैलने ही लगीं कि शिवराज सिंह चौहान का वन मैन शो ओवर हो चुका है चुनाव में अब सिर्फ शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा के किए फैसले ही नहीं चलेंगे। ऐसे ही समय पर एक वीडियो रिलीज होता है और ये बहस छेड़ देता है कि क्या इस बार शिवराज का चेहरा कहीं नजर नहीं आएगा। वीडियो से जुड़ी दिलचस्प बात ये है कि इस वीडियो का प्रदेश बीजेपी से कोई लेना देना नजर नहीं आता। तो फिर आखिर कौन शिवराज की इमेज को खराब करना चाहता है।
बीजेपी के थीम सॉन्ग के वीडियो से इमेज तक शिवराज गायब हैं
मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए नई नियुक्तियां होती हैं और उसके बाद ही एक गाना वायरल हो जाता है। जिसे बीजेपी का चुनावी थीम सॉन्ग बताया जाता है। गाना एमपी के लिए बना है, बोल हैं, मोदी के मन में बसे एमपी, एमपी के मन में मोदी... ताज्जुब की बात ये कि गाना मध्यप्रदेश के लिए है और शिवराज इसमें वीडियो से लेकर इमेज तक में हर जगह से गायब हैं। हकीकत ये है कि ये गाना बीजेपी ने ऑफिशियली लॉन्च ही नहीं किया है। न ही ऐसे किसी थीम सॉन्ग को लॉन्च करने का ऐलान किया है। जिससे ये तो साफ हो ही जाता है कि शिवराज फिर अपनी ही पार्टी में कुछ ऐसे लोगों से घिर चुके हैं जो उन्हें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। एक बात और बताते चलें कि ये पहला मौका नहीं है जब शिवराज इस तरह से भीतराघात का शिकार हैं, लेकिन इस एक हरकत से बीजेपी के अंदर क्या हालात हैं ये तो साफ हो ही जाता है।
अब चुनाव सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के फेस पर होगा?
इस एक गाने ने बीजेपी के भीतर चल रहे मतभेदों को फिर सतह पर ला दिया है। ये भी साफ कर दिया है कि शिवराज सिंह चौहान किस कदर अपनी पार्टी में भीतराघात का शिकार हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ये गाना बुरी तरह वायरल हुआ। सोशल मीडिया पर ये चर्चा रहा कि बीजेपी के मध्यप्रदेश पर बेस्ड थीम सॉन्ग से सीएम का चेहरा ही गायब है। आशय ये निकाला जाने लगा कि अब चुनाव सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के फेस पर होगा, लेकिन ये तस्वीर साफ होते भी देर नहीं लगी कि दरअसल बीजेपी ने ऐसा कोई थीम सॉन्ग रिलीज किया ही नहीं है।
इसके बाद ऐसा वीडियो बनाने और उसकी मंशा पर कई सवाल उठे
- सवाल नंबर 1- थीम सॉन्ग किसने और कब बनवाया।
इससे ये तो साफ जाहिर हो रहा है कि इस मोदीमय गीत को बनवाने वाले बीजेपी के ही कुछ लोग हो सकते हैं जो कम से कम शिवराज सिंह चौहान के शुभचिंतक बिलकुल नहीं हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब शिवराज सिंह चौहान इस तरह की किसी साजिश का शिकार हुए हों।
हर मुद्दों पर मुखर शिवराज की इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों
सियासत में सब कुछ खुलकर नहीं कहा जाता है। इशारों में बातें समझा दी जाती हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान के कथित दुश्मनों ने भी कुछ इसी अंदाज पर उन पर हमला बोल दिया है। इससे कुछ महीने पहले सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने उनके करीबी अफसर पर सवाल उठाए थे। उसके बाद एजी की रिपोर्ट लीक हो गई। ये दोनों घटनाएं शिवराज सिंह चौहान पर सीधा वार ही मानी गईं क्योंकि दोनों ही मामले सीधे उनसे जुड़े हुए थे। पोषहार घोटाले की जो रिपोर्ट लीक हुई है, उस विभाग के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान ही थे। हर मुद्दे पर मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखने वाले सीएम इन मुद्दों पर चुप्पी साधे रहे। वायरल हो रहे थीम सॉन्ग पर न सिर्फ वो खुद बल्कि पूरी बीजेपी ही खामोश है। इन घटनाओं के बाद भी सवाल उठे कि पार्टी के अंदर शिवराज के दुश्मन कौन हैं।
बीजेपी का एक धड़ा सीएम को साइडलाइन करना चाहता है!
भोपाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का अचानक आना। उसके बाद नरेंद्र सिंह तोमर को जिम्मेदारी मिलना और उसके अगले ही दिन इस कथित थीम सॉन्ग का वायरल होना। ये क्रोनोलॉजी किस तरफ इशारा कर रही है। क्या ये इस बात का संकेत है कि अमित शाह की समझाइश को दरकिनार कर अब भी बीजेपी नेता आपसी मतभेद और गुटबाजी भुला नहीं सके हैं। क्या ऐसे अधिकांश नेताओं के निशाने पर शिवराज सिंह चौहान ही हैं। बीजेपी का एक धड़ा यकीनन ऐसा है जो सीएम को साइडलाइन साबित करना चाहता है। या, कोशिश ये जताने की है कि अपकमिंग इलेक्शन में शिवराज की बिलकुल नहीं चलने वाली। मंशा जो भी हो ये तो स्पष्ट हो ही चुका है कि शिवराज के दुश्मन उनके अपने घर में ही हैं। कांग्रेस से निपटने से पहले उन्हें ऐसे अनदेखे दुश्मनों से निपटना होगा। वैसे शिवराज भी सियासत के बाजीगर ही माने जाते हैं जो फाइटबैक करने और हारी बाजी को जीतने में माहिर हैं। उम्मीद है कि वो ऐसे छुपे हुए विरोधियों का तोड़ भी जल्दी निकाल ही लेंगे।