हरदा की पटाखा फैक्ट्री में. जिसमें एक एक करके मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. हरदा की उस तपती जमीन से आग जल्दी बुझना भी लाजमी है. हरदा की जमीन को, उस आग से सुलगते लोगों की जिंदगी को ठंडक पाने का हक है. लेकिन ये आग जलती रहनी चाहिए, हमारे सीनों में. जो ये आवाज उठाते रहें कि आखिर बार बार ये हादसे क्यों. ये आग जलनी चाहिए उन प्रशासनिक गलियारों में जिनकी ठंडी लापरवाही से कई घर तबाही की आग से जूझ रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस फैक्ट्री में बम पर बम फटते रहे उसकी पहले भी जांच हो चुकी है. उस जांच में 11 गड़बड़ियां भी मिली थीं. लेकिन गरीब की जिंदगी से ज्यादा अमीर की फैक्ट्री को तवज्जो मिली.
11 नियम तोड़ कर चल रही थी पटाखा फैक्ट्री, 'नींद' में डूबे रहे अफसर ?