अजय छाबरिया, BHOPAL. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे ही प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर सालों से सेवा देने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने अपने नियमितिकरण भविष्य सुरक्षित की मांग तेज कर दी है। महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान नियमितिकरण संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले संस्कार राजधानी जबलपुर में सोमवार 22 मई को प्रदेश स्तरीय मीटिंग की गई। उसके बाद प्रेस वार्ता का आयोजन कर बताया गया कि प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में अल्प मानदेय और अनिश्चित भविष्य के बावजूद लगातार सेवा अतिथि विद्वान दे रहे हैं और इन्ही अतिथि विद्वानों के भरोसे ही महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन्ही अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सरकारें बनी और बिगड़ी थी, लेकिन अतिथि विद्वानों के नाम पर खूब सियासत हुई पर भविष्य सुरक्षित नहीं हुआ। इसी को लेकर प्रदेशभर के अतिथि विद्वान काफी आक्रोशित हैं।
जब शिवराज विपक्ष में थे तब गरजे थे
15 माह के अल्प कार्यकाल में कमलनाथ ने जीतू पटवारी के नेतृत्व में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की नोट शीट तैयार की थी प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी, लेकिन सरकार ही गिर गई वहीं विपक्ष में रहते हुए उस समय के विपक्ष के नेता शिवराज सिंह चौहान सहित पूरी बीजेपी अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर मुखर होकर नियमितीकरण का वादा किया था।
अतिथि विद्वानों के पास लंबा अनुभव
मोर्चा की प्रदेश संयोजक डॉ. नीमा सिंह ने कहा कि अतिथि विद्वानों के पास 26 सालों का लंबा अनुभव है। इसके साथ ही यूजीसी की योग्यता भी पूरी करते हैं, उसके बाद भी अतिथि विद्वानों को नियमित नहीं किया गया जो कि समझ से परे है। प्रवेश, परीक्षा, प्रबंधन, अध्यापन, मूल्यांकन, नैक, रुसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान ही करते हैं, फिर भी शासन-प्रशासन अतिथि विद्वानों को नजरअंदाज करता है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
नियमितिकरण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए- डॉ. सुमित पासी
मोर्चा के सदस्य डॉ. सुमित पासी ने बताया कि आज भी सैकड़ों अतिथि विद्वान सेवा से बाहर हैं। सरकार की गलत नीतियों के कारण फालेंन आउट अतिथि विद्वानों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। सरकार को तत्काल बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितिकरण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
अतिथि विद्वानों के हित में जल्द निर्णय लेगी सरकार- गोपाल भार्गव
अतिथि विद्वानों का प्रतिनिधिमंडल जबलपुर में ही कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव से मिला, जिस मंत्री भार्गव ने कहा कि आपकी मांग जायज है हम भी आपके आंदोलन में गए थे। आपकी मांग सरकार पूरा करेगी मुख्यमंत्री जी काफी संवेदनशील है आप लोगों के लिए।
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14 से 15 लाख युवाओं का नेतृत्व अतिथियों के हाथ
अतिथि कोई 5 दिन 6 दिन रहता है, यहां तो सरकार ने 25 सालों से अतिथि बनाकर रखा है। विपक्ष में रहते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सहित नरोत्तम मिश्रा जी, गोपाल भार्गव जी, वीडी शर्मा जी सहित कई बीजेपी दिग्गज अतिथि विद्वानों से नियमितिकरण का वादा किया था, पर सत्ता पाते ही भूल गए। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सड़क में उतरे थे, अब वो क्यों नहीं उतर रहे हैं। 14 से 15 लाख युवाओं का नेतृत्व अतिथि विद्वान कर रहे हैं, हल्के में ना ले सरकार। सरकार अगर वादाखिलाफी करती है तो आगामी समय में पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से प्रदर्शन किया जाएगा।