BHOPAL. हाल ही में पीएम मोदी ने वंशवाद को लेकर जो बयान दिया है उससे कई बीजेपी नेताओं की नींद उड़ी हुई है क्योंकि वो अपने बेटे-बेटियों को आगे बढ़ाना चाहते थे। नेता पुत्र और पुत्रियों को लेकर बीजेपी की क्या रणनीति होगी इसका अभी खुलासा नहीं मगर पीएम मोदी के वंशवाद पर दिए बयान से वो नेता खुश है जो राजनीति में विधायक की सीढ़ी चढ़ना चाहते हैं। इनमें युवा मोर्चा के नेता उत्साहित है केंद्रीय नेतृत्व सेकंड लाइन लीडरशिप को आगे बढ़ाने के लिए इस फॉर्मूले पर काम भी कर रहा है। आखिरकार क्यों बीजेपी को ऐसा करना पड़ रहा है।
बीजेपी में इस समय एक लाइन की बेहद चर्चा है
बीजेपी नेताओं के वंश को नहीं बल्कि पार्टी के वंश को आगे बढ़ाएगी। दरअसल पिछले 18 सालों में बीजेपी में नेताओं के चेहरों में कोई बदलाव ही नहीं हुआ। एक ही पीढ़ी के नेता विधायकी संभाल रहे हैं। सेकंड लाइन लीडरशिप पनप ही नहीं पाई। युवा मोर्चा जो बीजेपी का यूथ विंग है। उसके नेताओं को टिकट देने में परहेज बरता गया। इस बार का विधानसभा चुनाव में तैयारियां इस बात की हो रही है कि युवा मोर्चा के अध्यक्ष या पूर्व अध्यक्षों को टिकट दिया जाए। फॉर्मूला दिल्ली से आया है इसलिए बीजेपी नेता खुलकर कुछ बोल नहीं रहे, लेकिन नेता ये जरूर कहते हैं कि पार्टी सबका साथ सबका विकास पर काम कर रही है।
युवा मोर्चा के 5 प्रदेश अध्यक्षों में केवल एक को टिकट मिला
वैसे भी देखा जाए तो युवा मोर्चा के पिछले 5 प्रदेश अध्यक्षों में पार्टी ने केवल एक को ही टिकट दिया। वो भी टिकट मोर्चा अध्यक्ष के नाते नहीं, बल्कि पार्टी में इस अध्यक्ष के वर्चस्व के कारण दिया गया। युवा मोर्चा के ये अध्यक्ष रहे हैं विश्वास सांरग- इनके पिता कैलाश सारंग की गिनती पार्टी के फाउंडर मेंबर्स में होती रही है। जीतू जिराती- पहले विधायकी का टिकट हासिल कर गए उसके बाद मोर्चा के अध्यक्ष रहे। बाकी धीरज पटैरिया, अमरदीप मौर्य और अभिलाष पांडे तीनों को टिकट नहीं मिला। पटैरिया इसी बात से नाराज होकर पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े। कांग्रेस में भी शामिल हुए और अब उनकी घर वापसी हो चुकी है और माना यही जा रहा है कि इस बार उन्हें टिकट मिल सकता है।
युवा मोर्चा को संगठन की रीढ़ माना जाता है
बीजेपी पहले युवा मोर्चा के जरिए ही नई लीडरशिप तैयार करती थी। खुद सीएम शिवराज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसके अलावा उमा भारती, नरेंद्र तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, कमल पटेल। ये सभी युवा मोर्चा के जरिए सियासत की सीढ़िया चढ़े हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जेपी नड्डा, अमित शाह, अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान, कलराज मिश्र ने भी युवा मोर्चा से ही राजनीति की सीढ़ियां चढ़ी हैं। युवा मोर्चा को संगठन की रीढ़ माना जाता है।
मप्र में 18 से 40 साल के वोटरों की आबादी 52 फीसदी
अब युवा मोर्चा और युवा चेहरों को टिकट देने की मजबूरी कहे या आंकड़ों का गणित तो मप्र में 18 से 40 साल के वोटरों की आबादी 52 फीसदी है जो नए चेहरे देखना पसंद करता है। इसलिए बीजेपी ने युवा मोर्चा को सक्रिय किया है जो सरकार की योजनाओं को घर-घर तक लेकर जा रहा है।
टिकट उसी को मिलेगा जो जीताऊ चेहरा होगा
अब इसबार के चुनाव में जैसा की कहा जा रहा है कि नेता पुत्रों की पैराशूट लैंडिंग नजर नहीं आएगी। जो पार्टी से जुड़े हैं पार्टी के लिए काम कर रहे हैं वो जरूर दावेदार हो सकते हैं और युवा मोर्चा ने वैसे भी 46 सीटों पर अपना दावा ठोंका है, लेकिन इसमें भी टिकट उसी को मिलेगा जो जीताऊ चेहरा होगा।
बूथ जोड़ो-यूथ जोड़ो में सफल होगा वो टिकट का दावेदार होगा
वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के यूथ विंग यूथ कांग्रेस की तरफ से 35 टिकट मांगे गए हैं। कांग्रेस ने भी फॉर्मूला तय किया है जो उम्मीदवार बूथ जोड़ो-यूथ जोड़ो अभियान में सफल होगा वो टिकट का दावेदार होगा। साथ ही कांग्रेस ने इसी महीने से मप्र समृद्धि कार्ड अभियान शुरू किया गया है। कमलनाथ की पांच गारंटियों को लेकर घर-घर दस्तक देने को कहा है इसकी जिम्मेदारी भी यूथ कांग्रेस को दी गई है। यानी युवाओं का जोर दोनों ही पार्टियों की तरफ से नजर आता है।