सब ठीक रहे ये तो खैर प्रकृति के ही विपरीत वाली बात है। कभी दांए तो कभी बांए कभी आसमान तो कभी खाई होता ही है। पुलिस महकमे में लेकिन मामला कुछ ज्यादा ही आंय-बांय हो रहा है। अब कोरबा के बागों थाने के बैरक में सोए एएसआई की ही हत्या कर अपराधी निकल लिए। दो दिन से पुलिस डंडा पीट रही है, सांप तो दूर लकीर तक का पता नहीं चल रहा है। अपराध पर रोक अपराधियों पर नकेल कसने वाली पुलिस को उसी के घर में कोई ठोक जाए, तिस पर नीम करेला सामने विधानसभा हो तो बखेड़ा तय है।
ये कौन सा दयार है
उत्तर छत्तीसगढ़ में हुए एक मसले से आला अधिकारियों की भृकुटि टेढ़ी हो गई है। होली में दो पक्ष भिड़े, मामला थाना फौजदारी का बनने की नौबत आई। मेडिकल मुलाहिजे के दौरान एक पक्ष ने डॉक्टर पर ही हाथ छोड़ दिया, बताते हैं कि डॉक्टर से विवाद इसलिए हुआ क्योंकि वो मददगार रिपोर्ट नहीं बना रहे थे। डॉक्टर खुद प्रार्थी बने, नामजद दो और अन्य दस पर जुर्म दर्ज हो गया। यहां तक सब ठीक था, पर आगे हुआ ये कि, आरोपी थाने से छोड़ दिए गए। मसला डॉक्टर का था हंगामा खड़ा हो गया। उपर से फोन आया कि कैसे भई आरोपियों को थाने लाकर कोर्ट भेजने के बजाय क्यों छोड़े ? कप्तान साहब ने कोर्ट के हवाले से बताया कि, श्रीमान सात बरस तक की सजा वाली धारा में तो छोड़ सकते हैं। उपर वाला अधिकारी कानून घोंट कर बैठा था उसने उसी आदेश के हवाले से पुलिसिया अंदाज में समझाया कि वह आदेश हर परिस्थिति में लागू होने के लिए तो है ही नहीं। जब तक कि मसला सम्हलता पत्रकारों ने सीएम से इसी पर सवाल कर दिया। खबरें हैं कि सीएम बघेल ने मसले पर कड़ी नाराजगी जताई है।
धरमलाल भइया की सलाह, और सीएम की मुस्कुराहट
नेता प्रतिपक्ष रहे धरमलाल कौशिक भले पद से हटे हो लेकिन उन्हें मुकम्मल पता है कि, ऐसा क्या करना चाहिए कि,पर्चे में चर्चे बने रहें। कभी बैरक में छोटे दरोगा की हत्या तो कहीं आरोपियों को थाने से छोड़ना, रोज होती किरकिरी के बीच धरम भैया ने पत्रकारों से कहा कि, पुलिस थाने के भरोसे तो अपराध और अपराधी थम नहीं रहे, नींबू मिर्ची लटकाने का टोटका अमल में लाना चाहिए। खबरनवीसों ने इस सलाह पर ही सीएम साहब से प्रतिक्रिया मांग ली, सीएम मुस्कुरा कर आगे बढ़ गए।
कांग्रेसियों के व्हाट्सएप ग्रुप में नारायण भैया
कानून व्यवस्था पर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का बयान आया। छोटे दरोगा की हत्या और अपराधियों के ना पकड़े जाने पर नारायण भैया ने लानत मलामत की। कांग्रेसियों के व्हाट्सएप ग्रुप में इस पर चर्चा शुरु हो गई, बहुतेरे ग्रुप मेंबर्स ने तमाम तर्कों को दिया कुछ बीते 15 बरस का आंकड़ा ले आए कुल जमा ये कि, नारायण भैया के आरोप गलत बताए गए। लेकिन इस विमर्श में एक सीनियर कांग्रेसी ने ग्रुप में लिखा, नेता प्रतिपक्ष जी की चिंता वाजिब है, वे एकदम सही कह रहे हैं, कानून व्यवस्था गड़बड़ और पुलिस पर भरोसा डगमग है,उनका अपना पुत्र फरार है और पुलिस खोज नहीं पा रही,वाकई पुलिसिंग को टाइट करना चाहिए।
खूबसूरत वादी के गेस्ट हाउस में रात को साहब मेम साहेब क्यों लड़े
छत्तीसगढ़ खूबसूरत प्रदेश है। जंगल है तो शानदार मौसम भी है। कुछ ईलाको में तो मई की सुबह भी कोहरा होता है। उसी ईलाके से खबर आई है कि, एक साहब अचानक उसी ईलाके में गए जिस ईलाके को नक़्शे में देखकर ही मेम साहब भड़क जाती हैं। साहब वहां गए तो मैम साहब भी पीछे से पहुंच गई। मैम साहब की नाराजगी की वजह भी वहीं साहब के साथ दिख गई, नतीजतन रात बेहद धूम धड़ाके से गूंज गई। बड़े साहब का मसला था लिहाजा कोई कुछ बोल नहीं रहा, लेकिन गूंज दूर तक पहुंची है।
सीएम की बात और सिंहदेव का सवाल
दिल्ली से सीएम साहब लौटे तो उन्होंने बताया कि, संगठन में बदलाव संभावित है, जल्द होगा। सीएम साहब की सीपी याने कांग्रेस प्रेसिडेंट से भी काफ़ी बात हुई है। अब ये तो सबको पता है कि, वर्तमान अध्यक्ष मोहन मरकाम और उनकी टीम से सीएम खेमे के रिश्ते कैसे हैं। सब ठीक होता तो सीएम बघेल को खुद प्रदेश महामंत्री अमरजीत चावला की लिखित शिकायत क्यों करनी पड़ती। पर सीएम साहब की बदलाव वाली इस बात पर मंत्री सिंहदेव का मासूम सवाल वायरल है। मंत्री सिंहदेव मुस्कुराते हुए पूछ रहे हैं वरिष्ठ वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा है अबकि 75 पार विधायक आएँगे, तो जब ऐसा है तो बदलाव की क्या जरुरत। वैसे सिंहदेव ने आगे जोड़ दिया पार्टी हित में ही आलाकमान का फ़ैसला होगा।
ऐसे में कैसे चलेगा शिव जी
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सत्ता वापसी की राह तलाश रही है। एक से बढ़कर एक क़द्दावर संगठन शिल्पी, विजय रथ के वाहक सब झोंक दिए गए हैं। प्रदेश से लेकर मंडल तक कार्यक्रम चल रहे हैं। लेकिन कार्यक्रम से इतर जो है उसका क्या होगा। छत्तीसगढ़ के सीएम साहब हैं किसान, उनकी योजनाओं का केंद्र भी है गाँव खेत और किसान। बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर जी आए,प्रदेश प्रशिक्षण कार्यक्रम था। पंजीयन हुआ 105 का लेकिन कार्यक्रम में टिके बमुश्किल चालीस। बताते हैं कई जिलाध्यक्ष बिंदास गैर हाजिर ही रहे।
सुनो भई साधो
- अपने इस्टाईल की सियासत करने वाले शाह जी बस्तर आ रहे हैं, वे केवल सीआरपीएफ के कार्यक्रम में शामिल होकर लौट जाएंगे न ?