MP: यादव के मैदान छोड़ने की इनसाइड स्टोरी, सर्वे रिपोर्ट खिलाफ, लोकल नेताओं का विरोध-सूत्र

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MP: यादव के मैदान छोड़ने की इनसाइड स्टोरी, सर्वे रिपोर्ट खिलाफ, लोकल नेताओं का विरोध-सूत्र

भोपाल. खंडवा (Khandwa) लोकसभा सीट से प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) ने 3 अक्टूबर को दावेदारी छोड़ने का ऐलान किया था। यादव ने अचानक उपचुनाव (By Election) में न उतरने का फैसला लेकर सभी को चौंकाया है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस की सर्वे रिपोर्ट (Congress Servey Report) यादव के खिलाफ थी। स्थानीय नेता यादव की उम्मीदवारी के विरोध में थे। इसलिए मैदान छोड़कर अरुण यादव ने नया कार्ड खेला है। यादव 2014, 2019 का लोकसभा और 2018 का विधानसभा हार चुके हैं। अगर ऐसे में वह लोकसभा उपचुनाव भी हार जाते तो उनके करियर पर ग्रहण लग सकता था। साथ ही अगर वह जीतते तो उन्हें सिर्फ दो साल के लिए चुना जाता है, इसलिए यादव इतना बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहते थे।

स्थानीय नेताओं का विरोध

उपचुनाव की घोषणा से पहले ही अरुण यादव खंडवा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे, लेकिन यादव की दावेदारी छोड़ने का एक बड़ा कारण स्थानीय नेताओं का विरोध है। सूत्रों के मुताबिक, खरगौन (Khargone) से कांग्रेस विधायक रवि जोशी (Ravi Joshi), निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा (Surendra Singh Shera), बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिड़ला समेत कांग्रेस के पदाधिकारी यादव की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे। इस कारण यादव ने यह बड़ा फैसला लिया है। दावेदारी से हटने के बाद यादव ने नरेंद्र पटेल और सुनीता सकरगाये का नाम टिकट के लिए पार्टी के सामने रखा है। 

MP कांग्रेस के तीसरे अनुभवी नेता

अरुण यादव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। इस कारण पूरे एमपी में उनकी पकड़ है। साथ ही वह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और कांग्रेस चीफ कमलनाथ (Kamalnath) के बाद प्रदेश में तीसरे बड़े अनुभवी नेता है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस उपचुनाव के बाद कमलनाथ को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। इसके बाद यादव के लिए प्रदेश में मैदान खुला सकता है। साथ ही उन्हें दिग्विजय सिंह का समर्थन भी हासिल है क्योंकि टिकट मिलने से पहले ही उन्होंने यादव को बधाई दी थी। 

BJP में यादव का जाना मुश्किल

उनके दावेदारी छोड़ने के बाद उनके भाजपा (BJP) में जाने की चर्चाएं शुरू हो गई है। जिन्हें यादव पहले ही खारिज कर चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ से तल्खी और तीन चुनाव हारने के कारण यादव राजनीतिक हाशिए पर थे लेकिन सीट के प्रबल दावेदारों में माने जाने के बाद मैदान छोड़ने से पार्टी में उनका कद बढ़ने की संभावनाएं जताई जा रही है। 

यादव ने मीटिंग से बनाई दूरी

यादव ने उपचुनाव को लेकर बुलाई गई बैठकों से दूरी बना रखी थी। वो किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं हुई लेकिन उन्होंने कमलनाथ से दो बार मुलाकात की। दोनों नेताओं की 6 अगस्त को दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसी दिन वे दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा से भी मिले थे। इसके बाद 30 सितंबर को दिल्ली में ही यादव ने कमलनाथ से मुलाकात की थी। इस दौरान प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक भी मौजूद रहे।

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