BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा की है। 2018 के चुनाव से पहले भी 8 मई 2018 को ग्वालियर में सरकार ने घोषणा की थी कि प्रदेश की अवैध कालोनियों को वैध किया जाएगा। हालांकि 2019 के हाईकोर्ट के एक आर्डर से ये कॉलोनियां वैध नहीं हो पाई। हाल ही में सीएम शिवराज ने एक बार फिर अपनी घोषणा में अवैध कालोनियों को वैध करने के शब्द का इस्तेमाल किया हो, लेकिन 2019 की तरह फिर कोई कानूनी पेंच न फंस जाए इसलिए विभाग ने अवैध और वैध शब्द को ही हटा दिया है। प्रदेश में अब अवैध कालोनियों को अनाधिकृत और वैध को नियमितीकरण कहा जा रहा है। कुल मिलाकर प्रदेश में अब अवैध कालोनी नहीं है, बल्कि अनाधिकृत कॉलोनियां है। हालांकि यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा कि सरकार के इस तरह के पेतरें से कितना फायदा हो पाएगा।
दिसंबर 2022 तक अवैध कॉलोनी को सरकार करेगी वैध
सीएम हाउस में 23 मई 2023 को आयोजित कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा की। इस दौरान सीएम शिवराज ने कहा कि अवैध ठहराने का निर्णय ही अवैध है, इस निर्णय को मैं समाप्त करता हूं। मध्यप्रदेश में दिसंबर 2022 तक की सारी अवैध कॉलोनियां वैध की जाती हैं। पहले दिसंबर 2016 तक निर्मित कॉलोनियों को वैध करने का निर्णय हुआ था, लेकिन मंत्री भूपेंद्र सिंह की मांग पर इसे संशोधित कर दिसंबर 2022 कर दिया गया।
6077 अवैध कालोनी बढ़कर होंगी 10 हजार के पार
दिसंबर 2016 तक प्रदेश में अवैध कालोनी 6077 थी। नगरीय प्रशासन विभाग अब दिसंबर 2022 तक की अवैध कालोनियों की जानकारी जुटा रहा है, लेकिन जानकारों के अनुसार प्रदेश में अवैध कालोनियों का आंकड़ा 10 हजार के पार जा सकता है। हालांकि ये आकड़ा अधिकृत नहीं है, लेकिन इससे इतना तो अंदाजा लगाया ही जा सकता है कि प्रदेश में किस बेखौफ तरीके से अवैध कालोनी का बाजार फल फूल रहा था।
अवैध कॉलोनी से ये हो रहे थे नुकसान
कॉलोनियों के अवैध ही रहने के कारण भवन निर्माण के लिए अनुमति नहीं मिल पा रही थी। दरअसल भवन निर्माण की अनुमति की प्रक्रिया को ही ऑनलाइन कर दिया गया है, जिसमेंं अनुमति के लिए आवेदन करने के लिए पहला ही ऑप्शन कॉलोनियों के वैध का आता है। यदि कॉलोनियां वैध नहीं हैं तो भवन निर्माण की अनुमति नहीं मिल पाती है। इसके अलावा अवैध कॉलोनी की प्रॉपर्टी के रेट भी बढ़ नहीं पाते थे, जिससे लोगों को नुकसान होता था।
कॉलोनी वैध हुई तो ये मिलेंगे फायदे
सीएम हाउस में आयोजित कार्यक्रम में 23 मई 2023 को सीएम शिवराज ने कॉलोनी को वैध होने के बाद मिलने वाले फायदे भी गिनाए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से हम इन अवैध कॉलोनियों को वैध मानते हैं। अब आपको बिल्डिंग परमिशन, बैंक लोन की पात्रता मिल जाएगी। सभी कॉलोनियों में रहवासी संघ का गठन कराएं। सुविधाएं ठीक ढंग से देने में सरकार का सहयोग करें।
क्या राजनीतिक फायदे के लिए की गई पूरी कवायद
हाईकोर्ट ग्वालियर में याचिका लगाने वाले वकील उमेश बोहरे ने कहा कि सरकार सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का काम करती है। हाईकोर्ट के निर्णय को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज नहीं किया, कोई नियम नहीं है और फिर अवैध कालोनी को वैध करने की घोषणा कर दी। 2018 के चुनाव से पहले भी यही किया गया था। बता दें कि प्रदेश की अवैध कालोनियों में 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं।
2019 में हाईकोर्ट के आदेश पर लग गया था झटका
8 मई 2018 को सरकार ने ग्वालियर में अवैध कॉलोनी को वैध करने की घोषणा की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका लगाई गई। हाईकोर्ट ने 3 जून 2019 को अवैध कॉलोनियों को वैध करने वाले मप्र नगरपालिका कॉलोनी रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन व शर्त अधिनियम, 1998 की धारा 15 ए पर आपत्ति जताई तथा इस नियम को निरस्त करने की मांग की, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस नियम को निरस्त कर दिया था। इसके बाद अब दोबारा प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रोसेस शुरू हुई।
हाईकोर्ट में लग चुकी है अवमानना याचिका
सरकार के लिए अवैध कालोनियों को वैध करना इतना भी आसान नहीं होगा। दरअसल सरकार के निर्णय के खिलाफ 2018 में हाईकोर्ट ग्वालियर के वकील उमेश बोहरे ने याचिका लगाई थी, जिसके बाद 3 जून 2019 को हाईकोर्ट ग्वालियर ने अवैध कालोनी को वैध करने के फैसले को गलत बताया था। अब दोबारा उमेश बोहरे ने 2019 में दिए गए हाईकोर्ट के फैसले विरूद्ध अवैध कालोनियों को वैध करने के मामले में अवमानना याचिका दायर कर दी है। इस मामले में कमीश्नर ग्वालियर और भिंड कलेक्टर को नोटिस भी जारी हुए हैं, लेकिन अब तक शासन की ओर से हाईकोर्ट में कोई भी जवाब दाखिल नहीं हुआ है।
बैतूल कलेक्टर ने 1 महीने बाद भी रेरा को नहीं दी जानकारी
23 मई 2023 को सीएम हाउस में आयोजित कार्यक्रम में पहले फेज 1122 कॉलोनियों को बिल्डिंग परमीशन दी गई। इसके लिए तैयारियां पहले से चल रही थी। इस प्रक्रिया के तहत बैतूल में दिसंबर 2016 से पूर्व की 302 अवैध कालोनियों में विकास कार्य करने के लिए दावे आपत्ति संबंधी प्रक्रिया की गई। इस अधिसूचना का हवाला देते हुए रेरा यानी रियल इस्टेट रेग्यूलरटी आथोरिटी ने सचिव नीरज दुबे ने जिले की 302 अवैध कॉलोनी के संबंध में दस्तावेज मांगे जो उन्हें उपलब्ध नहीं कराए गए। दरअसल रेरा को धारा 59 की उपधारा 3 में यह अधिकार है कि वह अवैध कॉलोनाइजर पर प्रोजेक्ट कॉस्ट का 10 फीसदी पेनाल्टी लगा सके, लेकिन बैतूल से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिलने से इस धारा की शक्तियों का प्रयोग ही नहीं हो पा रहा है।
रेरा के नियमों का भी नहीं हो रहा पालन
रेरा एक्सपर्ट निकुंज गर्ग का कहना है कि जिस तरह से अवैध कालोनियों को वैध करने का काम किया जा रहा है, यह बिल्कुल भी गलत है। इससे अवैध कॉलोनाइजर्स को बढ़ा ही मिल रहा है और मिलेगा। रेरा की धारा 3 में यह कहा गया था कि रेरा एक्ट 2016 जब से लागू है तब से लेकर 3 महीने के अंदर कॉलोनाइजर्स कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र संबंधित एजेंसी से ले लें। इन्हें रेरा में पंजीयन की जरूरत नहीं है, पर अवैध कॉलोनाइजर्स ने ऐसा नहीं किया। इसका मतलब ये हुआ कि क्या राज्य सरकार रेरा एक्ट जो कि एक सेंट्रल एक्ट है, उसके उपर भी कोई नियम बना सकती है।
यहां फंस सकता है पेंच
2019 में भी इसी तरह अवैध कॉलोनियों के वैध करने के लिए शहरी क्षेत्र में नगर पालिका सूची बनाकर नोटिफिकेशन जारी कर रही थी। कुछ जगहों पर निकाय शिविर लगाकर नामांतरण तक कर दिए गए थे। इन नामांतरण पर न्यायालयीन आदेश के अध्ययाधीन की सील लगा दी गई थी। हालांकि हाईकोर्ट के 3 जून 2019 के आर्डर के बाद जब ये कॉलोनियां वैध नहीं हुई तो ऐसे सारे नामांतरण के मामले भी विवादों में आ गए थे। हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच में लगाई गई अवमानना याचिका भले ही कमीश्नर ग्वालियर और कलेक्टर भिंड से संबंधित हो, लेकिन सुनवाई के बाद कोर्ट जो भी आदेश देगा उसका असर प्रदेश की सभी अवैध कालोनी को वैध करने वाली प्रोसेस पर पड़ेगा।
अधिकारियों, कॉलोनाइजर्स पर कार्रवाई नहीं, टैक्सपेयर के पैसे दांव पर
सीएम शिवराज ने अपनी घोषणा में स्पष्ट कर दिया कि दिसंबर 2022 के बाद यदि अवैध कालोनी कटी तो अधिकार जिम्मेदार होंगे और उन पर कार्रवाई होगी। इसका मतलब दिसंबर 2022 तक जिन अधिकारियों के संरक्षण में अवैध कॉलोनी फलीफूली उन्हें क्लीनचिट दे दी गई है। लोगों से 20 फीसदी लिया जाने वाला शुल्क भी माफ कर दिया गया है। कॉलोनाइजर्स अवैध कालोनी में प्लाट बेचकर लाखों करोड़ों कमाकर चला गया है और अब उस कालोनी के विकास के लिए लाखों—करोड़ों टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई से लगने वाले हैं।