BHOPAL. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने भी कमर कस ली है। इसी सिलसिले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मंगलवार, 22 अगस्त को सागर आ रहे हैं। सागर बुंदेलखंड क्षेत्र का प्रमुख जिला है। खड़गे की जनसभा को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
यहां बता दें मप्र में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होना हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केके मिश्रा ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे मंगलवार सुबह भोपाल पहुंचेंगे और फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ सड़क मार्ग से सागर जाएंगे। जहां कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे दोपहर में जनसभा को संबोधित करेंगे।
खड़गे का सागर दौरा एक बार रद्द हो चुका
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 13 अगस्त को सागर में एक रैली को संबोधित करने वाले थे, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया। 12 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने अनुसूचित जाति के लिए पूजनीय संत रविदास के 100 करोड़ रुपए के स्मारक-मंदिर की आधारशिला रखी थी और सागर में एक जनसभा को संबोधित किया था।
बुंदेलखंड में कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटों पर मिली थी जीत
बुंदेलखंड क्षेत्र में सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह और पन्ना जिले शामिल हैं। जिनमें 26 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में इन में से 15 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं जबकि कांग्रेस को नौ और सपा- बसपा को एक-एक सीट मिली थी। सागर जिले में बीजेपी ने आठ में से छह सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को केवल दो सीटों पर सफलता मिली थी।
एमपी में दलितों की आबादी 1.13 करोड़
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में दलितों की आबादी 1.13 करोड़ थी। 2018 के चुनावों में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 35 सीटों में से 18 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 17 सीटें मिलीं, जो 2013 के चुनाव की तुलना में 13 अधिक थीं। मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने दलित वोटों के मद्देनजर सतना के मैहर शहर में संत रविदास का एक मंदिर बनवाया। यह विंध क्षेत्र का हिस्सा है जो उत्तर प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।
प्रदेश में 15 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति के
मध्य प्रदेश में 15 प्रतिशत वोटर्स अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। जिन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयास कांग्रेस और बीजेपी कर रही है। प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीट में से 35 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, वहीं 20 सीट से भी अधिक पर अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं का प्रभाव नजर आता है। यही वजह है कि आदिवासी वर्ग के बाद बीजेपी और कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग पर अपना सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है।
2018 में कांग्रेस को मिली थी जीत
साल 2004 से 2014 तक केंद्र में शासन करने वाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील (यूपीए) सरकार ने बुंदेलखंड के लिए 8,000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सदस्यीय सदन में 114 सीटें जीतने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई थी। वहीं 109 सीटें जीतने के बाद बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार विधायकों के विद्रोह के कारण मार्च 2020 में 15 महीने की कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी वापस सत्ता में आ गई