संजय गुप्ता, INDORE. हारे हुए को टिकट नहीं मिलेगा, उम्रदराज को टिकट नहीं देंगे, परिवार में टिकट कटेगा। विधानसभा चुनाव में बीजेपी के चुनाव वितरण को लेकर इन अहम क्राइटेरिया को लेकर बातें खूब चली जो पहली 39 की जारी सूची में धरी की धरी रह गईं। यानी पार्टी ने अपने स्तर पर सर्वे में जिसे सही माना उन्हें टिकट दिया, बाकी कोई पैमाना नहीं रह गया है। वहीं इंदौर में राऊ से 71 साल के मधु वर्मा जो बीते चुनाव में इसी सीट से 5 हजार 703 वोट से हारे थे और सांवेर से ही 2018 में चुनाव हार चुके डॉ. राजेश सोनकर (उपचुनाव में बीजेपी से तुलसी सिलावट जीते) को सोनकच्छ से टिकट देकर इंदौर के युवा दावेदारों के बीच चिंता की लहर फैल गई है। सभी मन ही मन बोल रहे हैं यदि ऐसी ही सूची चलती रही तो फिर मेरा नंबर कब आएगा।
कौन है इंदौर में युवा दावेदार ?
गौरव रणदिवे
ये बीजेपी के इंदौर नगर अध्यक्ष हैं। पार्टी में अभी तक रिकॉर्ड रहा है कि अधिकांश नगर अध्यक्ष टिकट लेकर आता है चाहे बात रमेश मेंदोला की हो, सुदर्शन गुप्ता की या फिर महेंद्र हार्डिया की। ये राऊ सीट घोषित होने के बाद अब विधानसभा-5 के लिए अहम दावेदार रहे हैं। पार्टी अन्य सीट पर भी ला सकती है।
टीनू जैन
बीजेपी के पूर्व पार्षद और मीडिया सह प्रभारी जैन, भी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और मुख्य लक्ष्य विधानसभा एक से टिकट पाना है। प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के खास हैं।
योगेश मेहता
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मध्यप्रदेश के चेयरमैन हैं, लंबे समय से पार्टी कामों से जुड़े हुए हैं, जो जिम्मेदारी दी गई उसे चुपचाप करते चले गए। विधानसभा-1 में खासे सक्रिय हैं।
माला ठाकुर
बीजेपी में तेजतर्रार महिला नेता के रूप में उनका नाम है। यदि मालिनी गौड़ या उषा ठाकुर में से किसी का पत्ता कटता है तो फिर एक नई महिला को पार्टी आगे कर सकती है, उनके लिए महू सीट की बात हो रही है, लेकिन किसी भी टिकट के उलटफेर में वे संघ की ओर से पसंद की दावेदार हैं।
अमरदीप मौर्य
प्रदेश युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष इस बार विधानसभा-1 से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं नरेंद्र सिंह तोमर के भी खास हैं। ऐसे में यदि सुदर्शन गुप्ता का टिकट कटता है तो संभव है तोमर इनके नाम को आगे बढ़ावा दें।
सावन सोनकर
पार्टी ने इन्हें सांवेर से टिकट नहीं देने की भरपाई आयोग का अध्यक्ष बना और कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर की, लेकिन सांवेर से टिकट चाहते हैं, वो इस बार संभव नहीं होगा, फिर भी यदि ये इंदौर जिले के बाहर की सीट के लिए हां कहें तो पार्टी टिकट दे सकती है, लेकिन ऐसी मंशा इनकी दिखती नहीं है। इसकी बजाय वे अगले चुनाव तक सांवेर के लिए इंतजार करेंगे।
डॉ. निशांत खरे
ये अहम दावेदार थे, लेकिन पार्टी इन्हें विधानसभा-5 और महू के लिए सोच रही थी जहां ये कम इच्छुक थे और मंशा विधानसभा-4 की अधिक थी। इसके बाद इन्हें युवा आयोग का अध्यक्ष पद दिया गया। बदली हुई स्थितियों में पार्टी टिकट दे सकती है। ये सीएम की भी पसंद हैं।
चिंटू वर्मा
ये देपालपुर में लंबे समय से लगे हुए हैं और कैलाश विजयवर्गीय के सबसे करीब हैं।
धीरज ठाकुर और मनोज ठाकुर
पार्टी टिकट देने में जातिगत समीकरण भी देखेगी। यानी एक ही ठाकुर को टिकट देगी, वो उषा हो या माला ठाकुर। लेकिन देपालपुर से धीरज ठाकुर भी लगे हुए हैं। वहीं महू से युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर भी टिकट मांग रहे हैं।
इंदौर की बाकी 8 सीटों पर कौन है दावेदार, क्या होगा आगे ?
इंदौर विधानसभा-1
इस सीट पर 2003 में बीजेपी की उषा ठाकुर, 2008 और 2013 में सुदर्शन गुप्ता की जीत हुई, लेकिन 2018 में कांग्रेस के संजय शुक्ला ने गुप्ता को 8 हजार से ज्यादा वोट से हराया।
दावेदारी
पुराने नेताओं में - वर्मा और अन्य हारे हुए को बीजेपी ने पहली सूची में टिकट दिया, उससे सुदर्शन गुप्ता फिर आशावान हैं, वे चुनाव प्रबंध समिति संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान के भी करीबी हैं। यहां से उषा ठाकुर फिर आना चाहती हैं।
युवा दावेदारों में - युवा दावेदारों की बात करें तो युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष सौगात मिश्रा विधानसभा-1 में चल रहे ब्राह्मणवाद को देखते हुए दावेदारी कर रहे हैं, तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के खास पूर्व पार्षद टीनू जैन भी दावेदारी कर रहे हैं। तोमर गुट के ही युवा मोर्च के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप मौर्य भी लगे हुए हैं। वहीं एक चौंकाने वाला नाम एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मध्यप्रदेश के अध्यक्ष योगेश मेहता का भी है, जो लंबे समय से पार्टी द्वारा दिए हर काम को चुपचाप करते जा रहे हैं।
इंदौर विधानसभा-2
साल 1993 से ही ये सीट बीजेपी के पास है। रमेश मेंदोला 2008 से ही विधायक हैं और रिकॉर्ड मत से जीत रहे हैं। यहां कोई अन्य दावेदार नजर नहीं आता है।
दावेदारी
यदि उलटफेर वाली बात हुई और विधानसभा-1 में ब्राह्मणवाद वाली बात आई तो मेंदोला 1 नंबर में भी जा सकते हैं और ऐसे में 2 नंबर की सीट कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश के खाते में गिर सकती है। फिर बदली हुई स्थिति में विधानसभा-3 से उषा ठाकुर या फिर नए चेहरे में माला ठाकुर जैसा चेहरा भी दिख सकता है।
इंदौर विधानसभा-3
ये सीट 1998 से 2008 तक कांग्रेस के पास रही, फिर 2013 में उषा ठाकुर जीती तो 2018 में आकाश विजयवर्गीय ने जीत हासिल की। ये इंदौर की सबसे छोटी विधानसभा है और हार-जीत का आंकड़ा 5-6 हजार तक ही सीमित होता है।
दावेदारी
आकाश ही प्रमुख दावेदार है, लेकिन जैसे कि कहा कि यदि स्थिति बदलती है और आकाश 2 नंबर में जाते हैं तो फिर यहां से पुराने चेहरों में उषा ठाकुर और नए चेहरे में माला ठाकुर का भी दावा नजर आ सकता है। पुराने चेहरों में गोपी कृष्ण नेमा भी है।
इंदौर विधानसभा-4
ये सीट 1990 में विजयवर्गीय की जीत के साथ ही बीजेपी के पास है, 1993 से गौड़ परिवार ही यहां विधायकी में रहा है। मौजूदा विधायक मालिनी गौड़ ही दावेदारी में सबसे आगे है, तोमर और शिवराज दोनों की ही पसंद है, लेकिन बीजेपी दिल्ली हाईकमान ने मजबूत सीट से टिकट बदलने की बात कही तो फिर इस सीट से हर कोई तैयार है, इसमें महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ सांसद शंकर लालवानी भी दावेदार है। पार्टी जिसे उपकृत करना चाहेगी ये सीट उसे ही दी जाएगी।
इंदौर विधानसभा-5
ये सीट 2003 से ही बीजेपी के महेंद्र हार्डिया के खाते में हैं, लेकिन अब उनके खिलाफ पार्टी में ही बगावती सुर उठ रहे हैं और नया चेहरा लाने की मांग की जा रही है। यही एक सीट सबसे अहम है जिस पर नए चेहरे को लाने की बात सबसे तेजी से चल रही है।
दावेदारी
प्रमुख और युवा दावेदारों में नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे का नाम सबसे अहम है। फिर पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन के भी दावेदारी है। हालांकि यहां से मध्यप्रदेश युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे का भी नाम चला, लेकिन आयोग में जाने के बाद दावेदारी कमजोर हो गई है। संघ में रह चुके नानूराम कुमावत का भी नाम है, लेकिन रेस में रणदिवे सबसे आगे।
विधानसभा महू
ये सीट साल 2008 से ही बीजेपी के पास है, 2008 और 2013 में कैलाश विजयवर्गीय जीते तो 2018 में उषा ठाकुर जीतीं।
दावेदारी
ठाकुर अब इंदौर 1 या 3 में वापस जाना चाहती हैं, दोनों ही जगह वे चुनाव जीत चुकी हैं। यहां अब स्थानीय प्रत्याशी की बात भी पार्टी में चल रही है। यहां से दावेदारी में बीजेपी युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर का नाम चल रहा है। डॉ. खरे का भी यहां से नाम चला, लेकिन अब दावेदारी कमजोर है, लेकिन इस बार सबसे बड़े दावेदार स्थानीय चेहरे में कंचन सिंह चौहान का नाम सबसे आगे है। वे लंबे समय से टिकट मांग रहे हैं।
विधानसभा देपालपुर
ये सीट वैसे तो एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के खाते में जाती रही है। साल 2018 में यहां बीजेपी के मनोज पटेल को कांग्रेस के विशाल पटेल ने हराया था।
दावेदारी
मनोज पटेल इंदौर में सीएम के सबसे खास चेहरे हैं। ऐसे में उन्हें हिलाना केवल केंद्रीय कमेटी के ही बस की बात है। हारे हुए को टिकट मिलने से वे भी सुदर्शन गुप्ता की तरह आशावान हैं। वहीं युवा और नई दावेदारी में विजयवर्गीय के खास चिंटू वर्मा भी वहां लंबे समय से मैदानी जमावट में लगे हैं और वे विजयवर्गीय के ही भरोसे हैं। वहीं IDA चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा भी दावेदारी में एक बड़ा नाम है। हाल के समय में वे सीएम के काफी करीब आ चुके हैं, वहीं स्थानीय प्रत्याशी में बीजेपी नगर युवा मोर्चा के महामंत्री धीरज ठाकुर का भी नाम है।
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सांवेर विधानसभा
ये सीट भी एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के खाते में जाती रही है। साल 2018 चुनाव में कांग्रेस वाले तुलसी सिलावट ने बीजेपी के सोनकर को हराया और फिर उपचुनाव में बीजेपी के सिलावट ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को 50 हजार से ज्यादा वोट से हराया।
दावेदारी
जिस तरह से सोनकर को सोनकच्छ भेजा गया है, उससे तय है कि सिलावट फिर लड़ेंगे, बाकी दावेदारों का अब कई मतलब नहीं रह गया। हालांकि सावन सोनकर उम्मीदें लगाकर बैठे हैं, लेकिन वे भी जानते हैं कि उन्हें 5 साल और इंतजार करना होगा। यदि वे इंदौर जिले से बाहर जाने के लिए तैयार होंगे तो पार्टी उनके नाम पर अन्य सीट से विचार कर सकती है।