BHOPAL. सूबे में विधानसभा चुनाव को 4 महीने से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे में प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टी बीजेपी और कांग्रेस प्रदेश के मतदाताओं को साधने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। जनता को लुभाने के लिए दोनों पार्टियों की ओर से तरह-तरह के लोक लुभावन वादे किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के पू्र्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने दावा करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना से ओबीसी की संख्या और उनकी स्थिति सामने आएगी। कमलनाथ ने यह बात भोपाल के रविन्द्र भवन में एक सभा को संबोधित करते हुए कही थी।
प्राइवेट सेक्टर में लाएंगे रिजर्वेशन
बीती 23 जुलाई को राजधानी भोपाल में पिछड़ा वर्ग संयुक्त मार्चा सम्मेलन की बैठक हुई थी। इस बैठक में कमलनाथ भी शामिल हुए थे। पिछड़ा वर्ग संयुक्त मार्चा सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा जाति जनगणना के परिणाम को देखते हुए युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे । और प्राइवेट सेक्टर में भी रिजर्वेशन के लिए प्रावधान लाए जाएंगे।
सरकार बनी तो राज्य में लागू करेंगे 27% ओबीसी आरक्षण
कांग्रेस PCC चीफ कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवराज सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती। जिससे लोगों को हकीकत का पता ना चल सके। उन्होंने दावा किया की मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रदेश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इसी के साथ मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने का दावा किया।
कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 55 प्रतिशत से ज्यादा है. उनका आरोप है कि मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती ताकि लोगों को वास्तविकता का पता न चल सके. वहीं, उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराई जाएगी, ताकि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की स्थिति साफ हो जाए. इसी के साथ कांग्रेस की सरकार बनने पर 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कराने का भी वादा किया।
पुरानी पेंशन को करेंगे बहाल
सभा को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश में आउटसोर्स की नीति बनाई जाएगी। और कर्मचारियों के पुरानी पेंशन को भी बहाल किया जाएगा। इस वादे के लिए कांग्रेस वचनबद्ध है। वही कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में ही ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया था। न्यायालय में इस मामले पर बीजेपी सरकार प्रभावी तरीके से पक्ष नहीं रख सकी, इस वजह से ओबीसी के 27% आरक्षण पर रोक लगा दी गई।