NEW DELHI/MUMBAI. शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई को लेकर उद्धव गुट की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। शीर्ष कोर्ट में 22 फरवरी दोपहर 3.30 बजे इस मुद्दे पर सुनवाई होगी। इससे पहले 21 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि पहले ही उद्धव गुट के ऑफिस पर कब्जा किया जा चुका है। अगर सुनवाई नहीं हुई तो उनके बैंक खाते भी छीन लिए जाएंगे। चुनाव आयोग का आदेश सिर्फ विधानसभा के 33 मेंबर्स पर आधारित है।
चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और पार्टी सिंबल एकनाथ शिंदे गुट को देने का फैसला किया था, जिसके बाद उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया था। वे 20 फरवरी को ही इस मसले पर सुनवाई चाहते थे। हालांकि, अदालत ने यह कहते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया था कि अर्जेंट सुनवाई के लिए एक उचित प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए।
शिंदे गुट ने दाखिल की थी कैविएट
शिवसेना का नाम और निशान मिलने से उत्साहित शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर मांग की कि बिना उनका पक्ष सुने कोई भी एकतरफा आदेश पारित ना किया जाए। उधर, शिंदे गुट के पास शिवसेना का नाम और पार्टी सिंबल जाने के बाद उद्धव गुट लगातार शिंदे सरकार और मौदी सरकार पर निशाना साध रहा है। 20 फरवरी को भी महाराष्ट्र पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और शिंदे गुट पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि शिवसेना, बीजेपी के तलवे चाटने के लिए पैदा नहीं हुई है।
अगर अभी नहीं जागे तो तानाशाही के अधीन हो जाएंगे- उद्धव
उद्धव ठाकरे ने ये भी कहा था कि शिवसेना को 'सुपारी' देकर खत्म करने की कोशिश की जा रही है। अभी हमारे लिए यह सबसे कठिन समय है। आज हम फिर उस मोड़ पर आकर खड़े हो गए हैं, जब शिवसेना प्रमुख बाला साहेब हमें छोड़कर चले गए थे। बाला साहेब के निधन के बाद कहा गया कि अब शिवसेना नहीं चल पाएगी, लेकिन हमने इस बात को गलत साबित करके दिखाया। हमने शिवसेना को चलाकर दिखा दिया। अगर हम अभी नहीं जागे तो 2024 के बाद हम तानाशाही के अधीन हो जाएंगे। एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारा सब छीन लिया गया, लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता।
अमित शाह ने कहा था- उद्धव ने कांग्रेस-एनसीपी के तलवे चाटे
शिवसेना को लेकर चुनाव आयोग के फैसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी बयान आया था। शाह ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान शिवसेना के नाम और निशान को लेकर कहा था कि चुनाव आयोग ने दूध का दूध और पानी कर दिया। UPA के दौर में हर मंत्री खुद को प्रधानमंत्री मानता था और प्रधांनमंत्री को भी प्रधानमंत्री नहीं मानते थे। असली शिव सेना और चिह्न हमारे मित्र पक्ष को मिला है। इन (उद्धव) लोगों ने मोदी जी का बड़ा फोटो लगाकर वोट मांगा और चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने के लालच मे कांग्रेस-एनसीपी के तलवे चाटे।