NCP में टूट! अजीत पवार ने समर्थक विधायकों के साथ मीटिंग की, फिर राजभवन के लिए निकले और शिंदे सरकार में डिप्टी CM बन गए

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Atul Tiwari
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NCP में टूट! अजीत पवार ने समर्थक विधायकों के साथ मीटिंग की, फिर राजभवन के लिए निकले और शिंदे सरकार में डिप्टी CM बन गए

MUMBAI. महाराष्ट्र की राजनीति में 2 जुलाई को बड़ा उलटफेर हो गया। एक घंटे के घटनाक्रम में अजीत पवार (पूर्व एनसीपी नेता) नेता प्रतिपक्ष से शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बन गए। उनके साथ पार्टी के कई विधायक भी बताए जा रहे हैं। उनके अलावा छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल समेत कई नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली।। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ सभी मंत्री भी राजभवन मौजूद रहे। इसके अलावा एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी राजभवन में मौजूद रहे, जिन्हें शरद पवार का करीबी कहा जाता है।



हमने एनसीपी के तौर पर ही समर्थन दिया- अजीत पवार



अजीत पवार बोले- पार्टी के सभी नेता हमारे साथ हैं। पार्टी का नाम और चिह्न हमारे साथ रहेगा। हमने एनसीपी के तौर पर ही शिंदे सरकार को समर्थन दिया है। राज्य के हालात देखते हुए ही हमने फैसला लिया है। हमारे पास सरकार चलाने का अनुभव है। पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष बिखरा हुआ है।



महाराष्ट्र बीजेपी का दावा- विधानसभा और लोकसभा में ज्यादा सीटें जीतेंगे



न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अजीत समेत बाकी विधायक शरद पवार के पटना में विपक्षी एकता बैठक में मंच साझा करने और राहुल गांधी के साथ सहयोग करने के एकतरफा फैसले से नाराज थे। महाराष्ट्र में अगले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले साल अप्रैल-मई कुछ महीने बाद ही आम चुनाव हैं। अजीत के शामिल होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि हम विधानसभा और लोकसभा में पहले से ज्यादा सीटें जीतेंगे। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हमारी सरकार को 40 एनसीपी विधायकों का समर्थन है।



लंबे समय से अजीत पवार असंतुष्ट चल रहे थे



बताया जाता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में काम करने का मौका नहीं दिए जाने के बाद अजीत काफी असंतुष्ट थे। 2 जून को अजीत ने अपने घर पर एनसीपी के नेताओं की नेताओं की बैठक बुलाई। इसमें पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल भी पहुंचे। इस मीटिंग के बाद अजित पवार सीधे राजभवन पहुंच गए। हालांकि, सुप्रिया बैठक छोड़कर चली गईं। 2 जून को ही एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पुणे में मौजूद शरद पवार से फोन पर बातचीत की। राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, शरद पवार ने पुणे में रहने का फैसला किया है और कथित तौर पर अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए।



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विपक्षी एकता को झटका



सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी-शिवसेना को समर्थन देने और सरकार में शामिल होने का एनसीपी का फैसला 2024 से पहले विपक्षी एकता के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला शरद पवार की मंजूरी के बिना नहीं लिया जा सकता था। यह कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को थोपने की कोशिश के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है।



शरद पवार बोले- अजित को बैठक बुलाने का अधिकार



अजीत पवार के आवास पर हुई बैठक पर शरद पवार ने कहा, 'मुझे ठीक से पता नहीं, लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है। वह नियमित रूप से ऐसा करते हैं...मुझे इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन मुझे जितना पता है, वो ये है कि शाम तक नेता उनसे मिलने आते रहेंगे। मेरा अहमदनगर कार्यक्रम पिछले हफ्ते ही रद्द हो गया था और सुप्रिया पहले से ही मुंबई से पुणे जा रही है।



पवार ने की थी इस्तीफे की पेशकश



इस हफ्ते की शुरुआत में एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे के मामले पर चर्चा की और पार्टी नेताओं ने कहा कि अंतिम फैसला दो महीने में लिए जाने की संभावना है। इससे पहले 25 जून को उनके चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि पार्टी अजीत पवार की मांग पर फैसला लेगी। शरद पवार उनके बीजेपी में शामिल होने की खबरों से इनकार कर चुके हैं।



राउत ने किया था ये दावा



शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने पिछले दिनों दावा किया था कि अजीत पवार बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इसी के बाद से उनके बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गई थीं। दरअसल, अजित की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की खबरें सामने आई थीं, जिसके बाद राउत ये यह दावा किया था।



अजीत पवार ने खुद को बताया था सीएम पद का दावेदार



इससे पहले अप्रैल 2023 में अजीत पवार ने साफ शब्दों में मुख्यमंत्री बनने की चाहत दिखाई थी। उन्होंने कहा था कि वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और 2024 में क्यों, अभी भी सीएम पद के दावेदार हैं। उसके साथ-साथ उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए थे कि 2004 में जब एनसीपी की कांग्रेस से ज्यादा सीटें आई थीं, तब पार्टी ने उन्हें सीएम पद देने का मौका गंवा दिया था. हालांकि, सीएम पद को लेकर उनका अभी भी दावा कायम है।


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