NEW DELHI/BHOPAL. राहुल गांधी कांग्रेस में जान फूंकने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। इसके लिए कन्याकुमारी से श्रीनगर तक पैदल भारत जोड़ो यात्रा निकाली। लेकिन आंकड़े कुछ और ही तस्वीर दिखाते हैं। भारत जोड़ो यात्रा के बाद तीन पूर्वोत्तर राज्यों (मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड) में कांग्रेस का पत्ता साफ रहा। यही नहीं, कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं का दौर जारी है। 6 मार्च को दिग्गज कांग्रेसी और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे एके एंटनी के बेटे अनिल और 7 मार्च को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने बीजेपी का दामन दाम लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद संभालने (2014) से अब तक कांग्रेस के 25 नेता कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं। इनमें से किन्हीं (ज्योतिरादित्य सिंधिया, हिमंत बिस्व सरमा) ने दो राज्यों में बीजेपी की सरकार बनवा दी। बरसों-बरस कांग्रेस के संकटमोचक रहे गुलाम नबी आजाद ने खुद की पार्टी बना ली। वहीं केंद्रीय मंत्री रहे दिग्गज वकील कपिल सिब्बल सपा की 'साइकिल' पर बैठकर राज्यसभा पहुंच गए।
हाल ही में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ने के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया था। आजाद की गिनती गांधी परिवार के करीबियों में होती थी। दिलचस्प बात है कि ये सभी नेताओं ने कांग्रेस छोड़ने के लिए हाईकमान को ही जिम्मेदार ठहराया था। जानते हैं सभी की कहानी...
1. जगदंबिका पाल- यूपी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे जगदंबिका पाल ने साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी। पाल बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। पाल ने कांग्रेस छोड़ते वक्त आरोप लगाया था कि बड़े नेता उन्हें अपमानित कर रहे हैं। जगदंबिका पाल यूपी के एक दिन के मुख्यमंत्री बनकर मशहूर हुए थे
2. चौधरी बीरेंद्र सिंह- अगस्त 2014 में हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भूपिंद्र सिंह हुड्डा से पटरी ना बैठ पाने के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। बीरेंद्र सिंह ने हाईकमान पर अनदेखी का आरोप लगाया था। बीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हो गए, जहां उन्हें मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया।
3. अजित जोगी- जून 2016 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे अजित जोगी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। जोगी ने यह फैसला आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद लिया था। इस्तीफा देते हुए जोगी ने कहा था कि कांग्रेस हाईकमान नेहरू-गांधी की विचारधारा से भटक गई है। जोगी ने छत्तीसगढ़ जोगी कांग्रेस (छजकां) बना ली थी। अजित जोगी के निधन के बाद उनका बेटा अमित पार्टी की कमान संभाले हुए है।
4. हिमंत बिस्व सरमा- मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से अदावत के बाद असम सरकार में मंत्री रहे हिमंत बिस्व सरमा ने 2015 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। सरमा बाद में बीजेपी में शामिल हो गए और अभी असम के मुख्यमंत्री हैं। सरमा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी से जब मैंने अपनी समस्याएं बताई तो वो मेरी बातों को अनसुना कर अपने कुत्ते के साथ खेलने लगे।
5. गिरधर गमांग- ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे गिरिधर गमांग ने 2015 में कांग्रेस छोड़ दी थी। गमांग और ओडिशा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जयदेव जेना के बीच सियासी तल्खी बढ़ गई थी। गमांग जेना गुट पर विश्वासघात का आरोप लगाया गया था और हाईकमान पर इसकी जांच नहीं कराने का आरोप लगा था। गमांग ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान फैसला नहीं ले पा रही। 1 वोट से 1999 में 13 दिन पुरानी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिराने में गमांग की प्रमुख भूमिका थी। बाद में वे बीजेपी में ही शामिल हो गए।
6. एसएम कृष्णा- कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा ने 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कृष्णा ने कहा कि राहुल गांधी सरकार के कामकाज में लगातार दखलअंदाजी करते थे। राहुल गांधी किसी के प्रति जवाबदेह नहीं थे और अपनी मर्जी से पार्टी चला रहे थे। ऐसे में मुझे कांग्रेस छोड़ना ही सही लगा।
7. शंकर सिंह वाघेला- गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला ने 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वाघेला का इस्तीफा उस वक्त हुआ, जब गुजरात चुनाव में कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही थी। कांग्रेस छोड़ते हुए वाघेला ने कहा कि राहुल गांधी से कुछ फैसला लेने के लिए मैंने कहा था, लेकिन वे फैसला नहीं ले पाए। कांग्रेस बदलना ही नहीं चाह रही है।
8. नारायण दत्त तिवारी- उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और इंदिरा जमाने से कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे एनडी तिवारी ने 2017 में कांग्रेस छोड़ दी थी। कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने हाईकमान पर नासमझी का आरोप लगाया था। तिवारी ने इस्तीफा से पहले कहा कि कांग्रेस हाईकमान हकीकत से कोसों दूर जा चुकी है, इसलिए पार्टी टूट रही है।
9. विजय बहुगुणा- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने साल 2016 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। बहुगुणा मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने से खफा थे। कांग्रेस छोड़ते हुए उन्होंने राहुल गांधी पर तीखा हमला किया था। कहा कि राहुल गांधी कार्यकर्ताओं से काफी दूर हैं और उनके इर्द-गिर्द चापलूसों की फौज है। राहुल उन्हीं चापलूसों के कहने पर कांग्रेस में फैसला लेते हैं।
10. रीता बहुगुणा जोशी- यूपी में कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकीं रीता बहुगुणा जोशी ने भी 2016 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। रीता ने इस्तीफा देते हुए कहा था कि सोनिया जी हमारी बात सुनती थीं, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसा नहीं हो रहा। उन्होंने आगे कहा कि पूरे देश में कांग्रेस के लोग राहुल गांधी से नाराज हैं, फिर भी वे ही पार्टी चला रहे हैं।
11. अशोक चौधरी- बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधानपार्षद अशोक चौधरी ने 3 अन्य पार्षदों के साथ 2018 में कांग्रेस छोड़ दिया। बिहार में कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका था। इस्तीफा देते हुए उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया था। चौधरी ने कहा था कि कांग्रेस हाईकमान बिहार में लालू यादव का पिछलग्गू बने रहना चाहती है। प्रभारी हाईकमान को गुमराह करते हैं और फिर कुछ भी फैसला हो जाता है।
12. नारायण राणे- 2016 में कांग्रेस हाईकमान से खफा होकर नारायण राणे ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ दिया। राणे ने कांग्रेस छोड़ने के बाद पहले खुद की पार्टी बनाई और फिर बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस छोड़ते हुए राणे ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी सबकुछ जानते हुए भी महाराष्ट्र को लेकर कोई फैसला नहीं लिया। कांग्रेस हाईकमान यहां पार्टी को डुबाने पर तुली है।
13. संजय सिंह- गांधी परिवार के करीबी और अमेठी के कद्दावर नेता संजय सिंह ने साल 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। संजय सिंह, राहुल गांधी से नाराज थे। इस्तीफा देते वक्त उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में 15 सालों से संवादहीनता है। राहुल गांधी के आने के बाद कोई भी फैसला सर्वसम्मति से नहीं लिया जाता है। संजय सिंह ने कहा था कि कांग्रेस अतीत में जी रही है।
14. अल्पेश ठाकोर- 2018 में कांग्रेस छोड़ने वाले अल्पेश ठाकोर ने राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला था। ठाकोर ने कहा था कि राहुल गांधी सच बात सुनना ही नहीं चाहते हैं। उन्हें अगर कोई बात पसंद आ जाती है, तो उसी के हिसाब से फैसला कर देते हैं। अल्पेश ने कांग्रेस हाईकमान पर यूज एंड थ्रो की पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाया था।
15. राधाकृष्ण विखे पाटिल- 2019 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण पाटिल ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। पाटिल ने इस्तीफा देते हुए कहा था कि राहुल गांधी की राजनीति प्रधानमंत्री पर हमला करने तक सीमित हो गई है। कांग्रेस को जनता के मुद्दों से कोई ताल्लुकात नहीं है।
16. टॉम वडक्कन- सोनिया गांधी के करीबी टॉम वडक्कन ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दिया था। वडक्कन ने कांग्रेस को वंशवादी पार्टी करार देते हुए अपना इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी उसी परिपाटी को आगे बढ़ा रहे हैं। वडक्कन के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल ने कहा था कि वो कोई बड़े नेता नहीं है।
17. सतपाल महाराज- 2014 में उत्तराखंड कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज ने राहुल पर जमकर निशाना साधा था। महाराज ने राहुल को एसी में बैठकर पॉलिटिक्स करने वाला नेता बताया था। कहा था कि राहुल गांधी आम जनता की दर्द को नहीं समझ पाएंगे, क्योंकि उनकी पॉलिटिक्स एसी कमरे से चलती है। वे ो नेताओं से मिलते भी नहीं हैं।
18. कैप्टन अमरिंदर सिंह- पंजाब के पूर्व सीएम और कद्दावर कांग्रेसी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 2022 में पार्टी छोड़ दी थी। 2021 में पंजाब में सीएम पद से हटने के बाद से ही कैप्टन कांग्रेस हाईकमान से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस छोड़ते वक्त उन्होंने कहा कि पार्टी ने मजबूर किया। कैप्टन ने प्रियंका और राहुल को बच्चा बताते हुए उन्हें कांग्रेस की बागडोर मिलने पर सवाल उठाया था।
19. जितिन प्रसाद- बंगाल में कांग्रेस के प्रभारी और मनमोहन कैबिनेट में मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने साल 2021 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। जितिन प्रसाद को राहुल गांधी का काफी करीबी नेता माना जाता था। जितिन कांग्रेस के बागी गुट जी-23 के सदस्य भी थे। पार्टी से इस्तीफा देते हुए जितिन प्रसाद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कांग्रेस में काम करना मुश्किल हो गया है। ऐसा स्ट्रक्चर बना दिया गया है, जिसमें नेता जनता से कटते जा रहे हैं।
20. ज्योतिरादित्य सिंधिया- 2019 में मध्य प्रदेश कांग्रेस में सबसे बड़ी बगावत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की। सिंधिया के समर्थन में 27 विधायक बेंगलुरु पहुंच गए। इसके बाद एमपी में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए सिंधिया ने कहा था कि पार्टी मे अपनी बात कह पाने के लिए नेता का वक्त नहीं मिल पा रहा था। हालांकि, राहुल ने सिंधिया के इस दावे को खारिज कर दिया था। सिंधिया बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। अभी वे केंद्रीय उड्डयन मंत्री हैं।
21. आरपीएन सिंह- राहुल गांधी के करीबी और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने भी 2022 में कांग्रेस छोड़ दी थी। सिंह उस वक्त झारखंड कांग्रेस के प्रभारी थे। कांग्रेस छोड़ते हुए आरपीएन सिंह ने राहुल गांधी की कोर टीम को लेकर सवाल उठाया था। सिंह ने कहा था कि पार्टी में व्यवस्था और विचार दोनों बदल गए हैं। एक्स्ट्रीम लेफ्ट से आए लोगों को पार्टी में तवज्जो दी जा रही है। जो लोग हमेशा खिलाफ रहे, उन्हें पार्टी हाईकमान बड़े पदों से नवाज रहा है।
22. कपिल सिब्बल- कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर के बाद कपिल सिब्बल ने 2020 में इस्तीफा दे दिया था। सिब्बल जी-23 के सक्रिय सदस्य थे और कांग्रेस में बदलाव की मांग सालों से कर रहे थे। इस्तीफे से पहले सिब्बल ने राहुल गांधी पर निशाना साधा था। सिब्बल ने कहा था कि घर की कांग्रेस की वजह से पार्टी बर्बाद हो रही है। फैसला लेने में सबकी मदद नहीं ली जा रही है। कपिल सिब्बल फिलहाल सपा से राज्यसभा सांसद हैं।
23. गुलाम नबी आजाद- कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका 2022 के अंत में लगा, जब कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद आजाद ने राहुल गांधी पर तीखे प्रहार किए थे। उन्होंने कहा कि राहुल पार्टी के भीतर किसी की नहीं सुनते। मुसलमानों को महासचिव से आगे नहीं बढ़ाया जाता, इसलिए मैंने पार्टी छोड़ दी।
24. अनिल एंटनी- कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी 6 अप्रैल 23 को बीजेपी में शामिल हो गए। केरल कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के पूर्व संयोजक थे। 2002 के गुजरात दंगों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर विवाद के बाद अनिल एंटनी ने जनवरी में कांग्रेस छोड़ दी थी। अनिल को शशि थरूर का करीबी माना जाता था।
25. किरण कुमार रेड्डी- आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी 7 अप्रैल 23 को बीजेपी में शामिल हो गए हैं। किरण कुमार रेड्डी ने नई दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ली। किरण रेड्डी ने 12 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेजा था। उसके बाद से ही किरण रेड्डी के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रहीं थी। किरण कुमार रेड्डी संयुक्त आंध्र प्रदेश के आखिरी मुख्यमंत्री रहे। 2014 में जब तत्कालीन यूपीए सरकार ने आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर उसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विभाजित करने का फैसला किया तो किरण रेड्डी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। किरण रेड्डी ने विरोध स्वरूप कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपनी अलग पार्टी जय समैक्य आंध्र बनाई थी। हालांकि, 2018 में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। रेड्डी ने आलाकमान की अनदेखी को पार्टी छोड़ने की वजह बताया था।