MUMBAI. महाराष्ट्र में शिवसेना में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट में जमकर उठापटक चल रही है। 20 फरवरी को शिंदे गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के दफ्तर पर दावा किया। इसको लेकर दोनों पक्षों में तू-तू, मैं-मैं वाली स्थिति हो गई। शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया। इस पर उद्धव ठाकरे नाराज और दुखी दोनों हुए। उन्होंने कहा कि मुझसे सब छीन लिया गया, लेकिन ठाकरे नाम नहीं छीना जा सकता।
मेरे पिता के नाम से हटकर चुनाव लड़कर दिखाएं- उद्धव
उद्धव ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को चुनौती दी कि वो मेरे पिता के नाम से हटकर चुनाव लड़कर दिखाएं। अलग पार्टी का गठन करें। महाराष्ट्र में जो कुछ चल रहा है अगर उसे नहीं रोका गया तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव हो सकता है। मुझसे हर चीज छीन ली गई। हमने हमारी पार्टी का चिह्न और पार्टी छीन ली गई, लेकिन कोई भी मुझसे ठाकरे नाम नहीं छीन सकता। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कल से मामले पर सुनवाई शुरू होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी को शिवसेना का नाम-निशान शिंदे गुट को देने के खिलाफ उद्धव गुट की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने 21 फरवरी फिर से याचिका दाखिल करने को कहा है। वहीं, उद्धव ने मुंबई के शिवसेना भवन में अपने विधायकों की बैठक बुलाई। जहां उनके समर्थकों ने शिंदे गुट और चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाजी की।
शिंदे के विधायक बोले- हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे
मुंबई के शिवसेना भवन में उद्धव गुट की मीटिंग से पहले शिंदे गुट के नेता सदा सर्वंकर ने कहा कि हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे। ना सिर्फ सेना भवन, बल्कि हमारे लिए पार्टी की हर शाखा एक मंदिर है।
शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न खरीदने के लिए सौदा हुआ- संजय राउत
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत के मुताबिक, हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न तीर कमान खरीदने के लिए 2000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ। राउत ने 19 फरवरी को सोशल मीडिया में लिखा था कि 2,000 करोड़ रुपए एक शुरुआती आंकड़ा है और यह पूरी तरह सच है। सत्तारूढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने यह जानकारी शेयर की है।
चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया था
चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना बताते हुए 17 फरवरी को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी। आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपने लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ा।