मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़ा फैसला करते हुए सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा का मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। मुख्यमंत्री ने इस बारे में राज्यपाल कलराज मिश्र को अनुशंसा भेजी थी, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया। अशोक गहलोत के मौजूदा कार्यकाल में सरकार के खिलाफ बगावत के समय हटाए गए मंत्रियों के बाद ये दूसरा मौका है, जब किसी मंत्री को बर्खास्त किया गया है।
राजेंद्र गुढ़ा ने सरकार के खिलाफ दिया था बयान
राजेन्द्र गुढ़ा को बर्खास्त करने का तात्कालिक कारण शुक्रवार को विधानसभा में उनके द्वारा दिया गया वक्तव्य माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिला अत्याचार के मामले में हमारी सरकार फेल रही है, हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
ये हुआ था घटनाक्रम
विधानसभा में शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों की ओर से मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए दुराचार के मामले तख्तियां लहराई जा रही थीं। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और कांग्रेस विधायकों के बीच बहस हो रही थी। इस दौरान मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और राजेंद्र राठौड़ के बीच नोंकझोंक भी हुई और खाचरियावास ने कहा कि मणिपुर मामले में बीजेपी को जवाब देना चाहिए। तभी मंत्री राजेंद्र गुढ़ा कुछ बोलने लगे, लेकिन सभापति ने उन्हें बोलने से रोक दिया।
राजेंद्र गुढ़ा ने क्या कहा ?
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मंत्री शायद सरकार की ओर से जवाब दे रहे होंगे, उन्हें क्यों बैठाया जा रहा है। सभापति ने गुढ़ा को बोलने का मौका दिया तो राजेंद्र गुढ़ा खड़े हुए और बोले कि हमें ये स्वीकार करना चाहिए और ये सच्चाई है कि राजस्थान में महिला सुरक्षा में हम असफल हो गए हैं। राजस्थान में जिस तरह से महिला अत्याचार बढ़े हैं, हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
पहले भी दे चुके थे सरकार के खिलाफ बयान
मंत्री गुढ़ा ने पहली बार ऐसा बयान नहीं दिया है। वे पहले भी सरकार और मंत्रियों के खिलाफ बयान दे चुके है। एक बार तो उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल को बावला बुजुर्ग तक बता दिया था।
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पहले गहलोत के साथ, फिर पायलट के साथ
राजेन्द्र गुढ़ा उन 6 विधायकों में शामिल हैं जो बसपा के चुनाव पर जीते, लेकिन पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। वे लम्बे समय तक गहलोत को अपना एकमात्र नेता बताते रहे। नवम्बर 2021 में उन्हें सरकार में शामिल किया गया, हालांकि वे उन्हें दिए गए विभागों से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें रमेश मीणा के अधीन पंचायत राज विभाग में लगाया गया था, जबकि वे रमेश मीणा को अपने से जूनियर मानते थे। पिछले कुछ महीनों से वे खुलकर सचिन पायलट के साथ हो गए थे। उनकी यात्रा में भी शामिल हुए थे और खुलकर सरकार के खिलाफ बोल रहे थे। आखिरकार आज उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया।