JANJGIR CHAMPA. जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ के बीचों-बीच बसा हुआ है। इसलिए इसे छत्तीसगढ़ के दिल के रूप में देखा जाता है। ये कलचुरी राजवंश के महाराजा जांजवाल्य देव का शहर है। विष्णु मंदिर इस जिले के सुनहरे अतीत को दर्शाता है। विष्णु मंदिर वैष्णव समुदाय का एक प्राचीन कलात्मक नमूना है। जांजगीर-चांपा विधानसभा चुनाव की सियासी लड़ाई भी काफी रोचक रहती है। यहां बीजेपी के नारायण चंदेल और कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन के बीच पिछले दो दशक से चुनावी दंगल देखे जा रहे हैं। 2018 में चंदेल ने देवांगन को चित्त कर नेता विपक्ष की जिम्मेदारी हासिल की।
सियासी मिजाज
मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद 2003 में ये सीट चांपा के नाम से जानी जाती थी। यहां से कांग्रेस के मोतीलाल ने जीत दर्ज की थी। 2008 में चांपा का कुछ हिस्सा और पामगढ़ का कुछ हिस्सा मिलाकर एक नई सीट बनी जिसका नाम जांजगीर-चांपा हुआ। इस सीट से बीजेपी के नारायण चंदेल जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2013 में कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 2018 में चंदेल ने फिर वापसी की और जांजगीर-चांपा पर बीजेपी परचम लहरा दिया। इस सीट का मिजाज कुछ ऐसा है कि यहां से हर बार विधायक बदल जाता है। वोटिंग प्रतिशत के मामले में यहां जागरुकता की कमी है। 2018 में जांजगीर-चांपा में कुल 37 ही प्रतिशत वोट पड़े थे।
सियासी समीकरण
ये इलाका कांग्रेस के कद्दावर नेता चरणदास महंत का गृह क्षेत्र है। उनका दखल यहां हर पल महसूस होता है लेकिन इस विधानसभा सीट पर मतदाता हर बार विधायक बदल देते हैं। पिछले तीन चुनाव के नतीजे देखे तो दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के पक्ष वाले नतीजे सामने आते रहे हैं। इस समीकरण के लिहाज से इस बार बारी बीजेपी की है। यहां से बीजेपी के नारायण चंदेल विधायक है और सदन में नेता विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका संभाल रहे हैं। इस सीट पर बसपा भी कांग्रेस और बीजेपी की नाक में दम किए रहती है। बसपा यहां पर दोनों पार्टियों को कांटे टक्कर देती रही है। ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।
जातिगत समीकरण
इस सीट पर मुद्दों का साथ-साथ जातिगत समीकरण साधना भी दोनों ही दलों के लिए महत्वपूर्ण काम होता है। हालांकि यहां दोनों ही दलों के पास चेहरे फिक्स हैं लेकिन जनता कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी को बदल-बदलकर आजमाती रहती है। इस सीट पर कुल 1 लाख 96 हजार 800 मतदाता हैं जिसमें 1 लाख 1 हजार 275 पुरुष तो वहीं 95 हजार 514 महिला मतदाता हैं। जातिगत आधार पर देखें तो यहां अनुसूचित जाति के 24 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 11 फीसदी और पिछड़ा वर्ग के करीब 29 फीसदी मतदाता हैं।
जांजगीर चांपा के मुद्दे
जाजंगीर-चांपा विधानसभा जिला मुख्यालय है। यहां 5 बड़े जबकि 6 छोटे पावर प्लांट हैं। प्लांटों से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। उद्योगों के इस जिले में धान का रिकॉर्ड उत्पादन होता है लेकिन पावर प्लांट से उड़ रही राख फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रही है। हालांकि सीएम भूपेश ने ऐलान किया था कि इस समस्या को सुधारा जाए लेकिन सीएम के आदेश को भी अधिकारियों ने राख की तरह हवा में उड़ा दिया। इस इलाके में लॉ एंड ऑर्डर एक बड़ी समस्या है। यहां शराब और अन्य नशे का सामान आसानी से उपलब्ध है। इन मुद्दों से जुड़े जवाबों को जानने के लिए जब द सूत्र ने नेताओं से बात की तो दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए। वहीं आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी कांग्रेस और बीजेपी समर्थकों को आड़े हाथों लिया।
द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जन से चर्चा कर मुद्दे जाने इस चर्चा में कुछ सवाल निकले..
- इलाके में कानून व्यवस्था की हालत इतनी खराब क्यों है ?
विधायक नारायण चंदेल के जवाब
विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि पूरे जांजगीर चांपा में अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। हमने सदन में इस मुद्दे को उठाया है। मीडिया मैनेजमेंट सभी लोग कहते हैं। हम मीडिया के माध्यम से अपनी बात को जनता तक पहुंचाने का हरसंभव प्रयास करते हैं। जांजगीर चांपा में जल जीवन मिशन के तहत पीने के शुद्ध पानी की उपलब्धता के लिए 111 करोड़ का कार्य किया गया है।
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