BHOPAL. एक तो गर्मी हलाकान किए दे रही है, ऊपर से 'आदिपुरुष' ने पारा हाई कर रखा है। लोग 'आदिपुरुष' को 'बाहुबली' समझकर काफी उम्मीदें बांधकर देखने गए थे, लेकिन सब टांय-टांय फुस्स हो गया। ओरिजिनल तो कुछ दिखा नहीं, उल्टे वीएफएक्स ने कबाड़ा करा दिया। फिल्म डायलॉग्स की तो खैर बात ही क्या करें। सोशल मीडिया पर लोगों ने हंगामा बरपा रखा है। हालांकि, फिल्म के लेखक ने डायलॉग्स को बदलने की बात कह दी है, लेकिन इससे क्या होने वाला है। हम तो यही कहेंगे कि भैया, रामायण पर फिल्म बनानी ही थी तो पहले रामानंद सागर की 'रामायण' देख लेते। गुजरात के तट से टकराकर तूफान बिपरजॉय निकल गया, लेकिन 'आफ्टरशॉक' के तौर पर कई इलाकों में जोरदार बारिश हो रही है। उधर, समान नागरिक संहिता (UCC) कैसे तैयार होगी, इसके लिए आम लोगों और संगठनों से विचार-सुझाव बुलाए गए हैं। इधर, मध्य प्रदेश में सीएम के चुनाव क्षेत्र में नेहरू पार्क का नाम बदलकर मुख्यमंत्री के बेटों के नाम पर हो गया। प्रदेश में चुनावी माहौल चल रहा है। विपक्षी दल इसको हाथों-हाथ लपक लेंगे। इस बीच खबरें तो कई पकीं, कुछ पकते-पकते रह गईं, कुछ की बस खुशबू बिखरी, आप तो बस सीधे अंदर खाने चले आइए...
दो मंत्रियों ने कर दिया खेला...
दो मंत्रियों ने मामा के नाक के नीचे बड़ा खेला कर दिया, मामा को भनक तक नहीं लगी। मामला जब उजागर हुआ तो मामा खुद भी हैरान हो गए। मामला उज्जैन मास्टर प्लान का है, दो साल से मंत्रालय में अटके प्लान को रातों रात गुपचुप मंजूरी मिल गई। इसकी जानकारी ना तो बड़े साहब को दी गई और ना ही मामा को। विभाग के मुखिया से पूछताछ हुई तो मुखिया ने मंत्री का नाम बता दिया। उधर उज्जैन के मंत्री और विभागीय मंत्री की साठ-गांठ से कौड़ी मौल जमीन को करोड़ों की बनाने का खेल सामने आने के बाद मामा खासे नाराज हैं। अब बड़े साहब और मामा इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि कैसे मंत्रियों के इस खेला को ठेला में डालकर क्षिप्रा में पटका जाए। यकीन मानिए, यदि मामा और बड़े साहब को प्लानिंग में आती है तो मंत्री सहित कई बड़े बिल्डर जरूर सड़क पर आ जाएंगे, उनकी करोड़ों की जमीन फिर से कौड़ी मोल हो जाएगी।
अफसरों के गोलमोल जवाब से परेशान
बेचारे मामा भारी परेशान हैं, वो जी तोड़ प्रयास कर माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन रिजल्ट निगेटिव आ रहा है। आला अफसरों की भरी बैठक में मामा ने आखिर पूछ ही लिया कि प्रदेश में जनसेवा अभियान चलाकर लोगों की समस्या का निराकरण किया, फिर भी मैं जहां जाता हूं, लोग शिकायतें लेकर मिलते हैं। ऐसा क्यों...? मामा के इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया। बड़े साहब ने जरूर फटे में रफू करने का प्रयास किया कि अभियान में अफसर चिह्नित योजनाओं पर फोकस करते हैं, इससे दूसरी योजनाएं पिछड़ जाती हैं। ऐसे में लोगों की शिकायत बनी रहती है। बड़े साहब का टेक्निकल जवाब सुनकर मामा चुप हो गए। अब वो अपना दर्द बताएं भी तो कैसे? उन्हें समाधान चाहिए, लेकिन अफसर हैं कि टेक्निकल रीजन देकर उलझा देते हैं।
मंत्री जी खौफ में...
शिवराज काबिना के कद्दावर मंत्री जी इन दिनों भारी खौफ में हैं। जब से जांच एजेंसी की नजरें उन पर लगी हैं, तब से मंत्रीजी कोल्ड ड्रिंक भी फूंक-फूंक कर पी रहे हैं। इसी के चलते हाल ही में भोपाल के छान गांव में 70 एकड़ जमीन के सौदे को होल्ड पर रख दिया है। मंत्री जी ने इस जमीन का सौदा अपने होटल कारोबारी मित्र के नाम से किया था। मंत्री इस जमीन की रजिस्ट्री करवाने वाले थे कि इसी बीच उनकी हजारों एकड़ जमीन का मामला सुर्खियों में आ गया। सत्ता के मद में मंत्री ने अपने साथियों से लंबे-चौड़े पंगे ले रखे हैं, अब ये सब एक होकर मंत्री को निपटाने में लग गए हैं। बहरहाल ये तो समय ही बताएगा कि शह-मात के इस खेल में कौन बाजी मार पाता है।
धरी रह गई आईपीएस की हीरोगिरी
पुलिस महकमे में बॉडी बिल्डर और हीरो के नाम से पहचाने जाने वाले साहब इन दिनों काफी परेशान है। दरअसल, मिड कैरियर ट्रेनिंग में इन साहब को मप्र की तरफ से बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम पर प्रेजेंटेशन देने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन साहब की आधी अधूरी तैयारियों ने उन्हें हंसी का पात्र बना दिया। साहब के शुरुआती प्रेजेंटेशन में उनके बैच के अधिकारियों ने ही सीटी बजाना शुरु कर दी। साहब ने जैसे-तैसे आगे बढ़ना शुरू किया तो उनके साथी आईपीएस अफसर उनकी प्रेजेंटेशन स्किल पर हंसना दिए। हूटिंग होते देख साहब ने फास्ट फॉरवर्ड मोड में प्रेजेंटेशन पूरा किया। दरअसल, पहले ये प्रेजेंटेशन इंदौर कमिश्नर मकरंद देऊस्कर देने वाले थे। किसी कारण से वे जा नहीं पाए तो डीजीपी ने हीरो आईपीएस को जिम्मेदारी दे दी, अब प्रदेश की भद पिट गई तो मुखिया के चयन पर सवाल खड़े होने लगे।
साहब का इश्क...
विंध्य में कलेक्टरी करके मंत्रालय में लौटे एक साहब इन दिनों एकतरफा प्यार में पड़ गए हैं। साहब डिप्टी सेक्रेटरी हैं, इनके पास अतिरिक्त प्रभार एक निगम का भी प्रभार है। साहब ने पहली बार युवती को अपने सेक्शन में देखा था। बातचीत हुई तो पता चला कि सुंदरी जड़ी बूटी वाले विभाग में पदस्थ हैं। साहब इतने मंत्रमुग्ध हो गए कि अब सुंदरी को देखे बगैर बात नहीं बनती। इसके लिए साहब ने युवती के साथ अब दिन में दो बार चाय पीने का कार्यक्रम सेट कर लिया है। खबरीलाल बताते हैं कि मामला अभी एकतरफा ही है। साहब अपने प्यार को इजहार करने की हिम्मत अब तक जुटा नहीं पाए हैं। कहते हैं ना इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता, सो अब महकमे में साहब के एक तरफा के चर्चे भी आम हो गए हैं।
एडीजी 30 परसेंट
पुलिस मुख्यालय में इन दिनों एक एडीजी भारी चर्चा में हैं। दरअसल, इन साहब की पारी अब खत्म होने वाली है। यूं कह सकते हैं कि आखिरी के 6 ओवरों में साहब शतक मारने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के चलते साहब ने सामान खरीदी में मिलने वाला 14 परसेंट कमीशन 30 परसेंट कर दिया। अब बड़े ठेकेदारों ने साहब के नए फरमान के बाद उनकी संस्था से दूरी बना ली। ठेकेदारों का कहना है कि साहब चंद महीनों के मेहमान हैं। जब क्रीज से बाहर हो जाएंगे, तब उनकी संस्था में सप्लाई करने में मैदान में उतरेंगे।
आपदा में अवसर
सतपुड़ा भवन में आग क्या लगी, आईपीएस अफसरों को आपदा में अवसर नजर आने लगा। आग की समीक्षा बैठक में आईपीएस की आवाज के साथ लय मिलाते हुए गृह विभाग के मुखिया ने कहा कि फायर बिग्रेड का पूरा जिम्मा पुलिस को दिया जाना चाहिए। ये काम नगर निगमों के बस का नहीं है। आप सोच रहे होंगे कि ये अवसर कैसे हुआ। दरअसल, इस महकमे में बड़े होटल, हॉस्पिटल, स्कूल सहित बड़ी संस्थाओं को फायर एनओसी देने का बड़ा खेला चलता है। अभी इसकी कमान नगरीय प्रशासन के पास है। पुलिस महकमा इस आपदा को अवसर बनाकर फायर महकमे की पूरी कमान चाहता है।