विज्ञापन पर मामाजी का ''गुनाहे-अज़ीम'', महिला पुलिसकर्मियों का इलू-इलू, मंत्री के चैम्बर की डिजिटल सिक्योरिटी, युवा अफसरों का स्वैग

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Harish Divekar
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विज्ञापन पर मामाजी का ''गुनाहे-अज़ीम'', महिला पुलिसकर्मियों का इलू-इलू, मंत्री के चैम्बर की डिजिटल सिक्योरिटी, युवा अफसरों का स्वैग

BHOPAL. ठंड, गर्मी को पीछे छोड़ते हुए मॉनसून के साथ जुलाई कैसे आ गया, पता ही नहीं चला। वैसे भी भैया, अब रफ्तार के साथ कदमताल करते हुए दिन-महीने-साल गुजरते चले जाते हैं। हमारे देश में एक चीज जो कभी खत्म नहीं होती, वो है चुनाव और चुनावी माहौल। हमारे 'साहेब' तो बीते 9 साल से इसी मोड में हैं। अब फिर देश के तीन महत्वपूर्ण राज्यों में साल के आखिर में चुनाव हैं। 'साहेब' 5 दिन में दो बार मध्य प्रदेश आ गए। पहली बार में प्रदेश को दो ट्रेनें दीं और 'एकजुट' हो रहे विपक्ष की जमकर लानत-मलामत की। ये भी बोल गए कि बीजेपी शासित राज्यों में पेट्रोल 100 रु से कम है, जबकि देश के दिल में ही 108 रु बिक रहा है। ये चूक थी या रणनीति, ये आने वाले वक्त में दिखेगा। दूसरी बार में वे शहडोल गए और एक बड़े अभियान की शुरुआत की। इधर, मध्य प्रदेश में बारिश के अच्छे हाथ दिखाने के बावजूद सियासी गलियारों में गर्म हवा बही। जबलपुर में लड़की को गोली मारने वाले बीजेपी नेता के घर पर अब तक मामा का बुलडोजर नहीं चला। शिव-कमल के पोस्टर वॉर में फोनपे को कहना पड़ा कि साहब, हमें बख्श दीजिए। वहीं, एमपी के कद्दावर केंद्रीय मंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र में पुलिसिया सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया। मामला एक लड़के की खुदकुशी से जुड़ा है। सुसाइड नोट में मंत्री समेत कई नामों का जिक्र है। मंत्री जी का आरोप है कि पुलिस गलत तरीके से काम कर रही है। खैर...इस बीच कई खबरें पकीं, कुछ ने तो बिना पके ही खुशबू बिखेरी और चटपट गायब भी हो गईं, आप तो सीधे अंदर खाने उतर आइए...





विज्ञापन से नमो के गायब होने पर बवाल...





किसानों के एक विज्ञापन पर दिल्ली से भोपाल तक बवाल मच गया। दरअसल, सरकार ने एक अखबार में किसान हितैषी होने का दो फुल पेज का विज्ञापन छपवाया था, लेकिन इसमें हमेशा की तरह हीरो केवल मामाजी को ही बनाया गया। चाहने वालों को मौका मिल गया। विज्ञापन को तुरंत दिल्ली दरबार में भेजा गया। उसके बाद जो बवाल कटा, उसकी धमक अब तक महसूस की जा रही है। हालांकि, मामले को दबाने के लिए उसी अखबार में दूसरे दिन फिर से दो फुल पेज का वही विज्ञापन छापा गया। इस बार हीरो नमो को बनाया गया और मामा जी साइड हीरो रहे। अंदरखाने की मानें तो विज्ञापन के डिजाइन की मंजूरी ऊपर से आई थी, लेकिन दिल्ली दरबार में इसे अफसरों की गलती बताकर रफा-दफा किया गया।





मंत्री के चैम्बर में डिजिटल लॉक





मंत्रीजी ने अपने भोपाल वाले बंगले के चैम्बर में डिजिटल लॉक लगा रखा है। यानी उनकी गैर मौजूदगी में चैम्बर में कोई एंट्री नहीं मार सकता। डिजिटल लॉक पर या तो मंत्री जी का थंब लगता है या फिर उनके बेटे जी का। चैम्बर में डिजिटल लॉक भी बेटे ने ही लगवाया है। अब बंगले का स्टाफ भी समझ नहीं पा रहा कि जब गोपनीय फाइलें भी ओएसडी के पास बंगला ऑफिस में रहती हैं तो फिर आखिर इस चैम्बर में ऐसा क्या गोपनीय है जो मंत्री या उनके बेटे के आने पर ही खुलता है। भाई राज को राज ही रहने दो तो अच्छा है, इसे खोलने का काम तो जांच एजेंसियों का है।





एक सिपहिया, दो हसीना...





इंदौर में पदस्थ दो महिला पुलिसकर्मियों के बीच इलू-इलू का मामला इन दिनों चर्चाओं में है। डीएसपी स्तर की महिला अधिकारी पर एक महिला सब इंस्पेक्टर ने लैंगिक प्रताड़ना का आरोप लगा दिया। अफसरों से शिकायत भी की, लेकिन बड़े लोग मसले को मसलने यानी दबाने में जुट गए। बात केवल इतनी सी नहीं है, चटखारे लेने वाले बताते हैं कि इन दोनों का एक पुरुष सिपहिया से इलू इलू का चक्कर भी है। सिपहिया भी बड़े कलाकार हैं और एक बड़े साहब के घर की सजावट में कुछ कलाकारी कर रहे हैं। ऐसे में अगर कुछ होता है तो बात दूर तलक जाएगी, लिहाजा दबाने-कुचलने का कुचक्र जारी है।





रॉबिन हुड कलेक्टर





महाकौशल क्षेत्र में एक छोटे जिले के युवा कलेक्टर साहब को रॉबिन हुड बनने का चस्का लगा हुआ है। वे जब कभी भी सड़क पर निकलते हैं तो लोगों की मदद करने में जुट जाते हैं। इस दौरान वे कई ऐसे काम कर जाते हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, बल्कि नेतागिरी वाले होते हैं। उनकी इस जज्बे से स्थानीय नेता कहते परेशान है और दबी जुबान में कह रहे हैं- अभी तो कलेक्टरी शुरू हुई है और इन्हें अभी से नेतागिरी का चस्का लग गया। या तो वे कलेक्टरी ही कर लें या नेतागिरी।   





दमोह में फिर सुलगी चिंगारी 





जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया की घर वापसी के बाद ये माना जा रहा था कि अब दमोह में भड़की बगावत की आग ठंडी हो चुकी है, लेकिन हाल की घटनाक्रम के बाद ऐसा लग रहा है कि यहां आपसी मतभेद की चिंगारी फिर से सुलग उठी है। मलैया परिवार बेटे की बीजेपी में वापसी पर जश्न मनाने की तैयारी में थे, लेकिन एक दिन पहले ही मुख्य अतिथि नरोत्तम मिश्रा ने दमोह आने से मना कर दिया। इसके बाद नाराज मलैया परिवार ने आनन-फानन में समारोह निरस्त कर दिया। हालांकि, प्रहलाद पटेल दमोह में मौजूद थे, लेकिन मलैया परिवार ने उन्हें न्योता नहीं दिया। उसके दूसरे दिन पटेल ने एक सुसाइड मामले में समर्थकों को आरोपी बनाए जाने के बाद पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए सुरक्षा छोड़ दी। पुलिस परेशान इसलिए है कि मरने वाला मलैया समर्थक था तो आरोपी पटेल समर्थक। माना जा रहा है कि पटेल के इस कदम से मलैया के विरोध में अघोषित बिगुल बज गया है। 





पूत के पांव पालने में दिखे





मसूरी से एक साल की ट्रेनिंग लेकर अकादमी में फर्स्ट फेज़ की ट्रेनिंग के लिए आए 2022 बैच के नए नवेले 8 आईएएस के बेपरवाह तौर तरीके चर्चा में हैं। युवा अफसरों को तैयार करने वाली सीनियर फैकल्टी के बीच चर्चा है कि पूत के पांव पालने में ही दिख गए। इनके अभी ये हाल हैं तो ये फील्ड में क्या करेंगे। ट्रेनिंग समापन में मध्य प्रदेश गान के दौरान ये खिलखिलाते नजर आए। उस वक्त दो सीनियर आईएएस भी वहां मौजूद थे। युवा अफसरों के बेपरवाह अंदाज ने सीनियर्स को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि मसूरी जैसी राष्ट्रीय ट्रेनिंग के बाद भी ये अफसर वाला अनुशासन नहीं सीख पाए तो मैदान में कैसे काम करेंगे।  



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