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NEW DELHI. महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई अब राष्ट्रपति तक पहुंच गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के समर्थन में विपक्षी सांसदों को आवाज उठानी पड़ी है। दरअसल, महाराष्ट्र के राजनीतिक मुद्दे पर सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत में जो टिप्पणियां हुई हैं, उसपर सोशल मीडिया पर भी कमेंट किए जा रहे हैं। इसे देश की न्यायपालिका और सीजेआई का अपमान बताया गया है। विपक्षी सांसदों ने इसको लेकर राष्ट्रपति प्रतिभा मुर्मू और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से गुहार लगाई है।
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने चिट्ठी लिखी
विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लैटर लिखा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनने का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। ट्रोल आर्मी सोशल मीडिया पर महाराष्ट्र सरकार को लेकर समर्थन कर रही है और चीफ जस्टिस के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए है। इस तरह से निशाना बनाना न्यायपालिका के कार्य में दखल देना है और यह सिर्फ 'सत्ताधारी लोगों' के सहयोग से ही संभव है। राष्ट्रपति का यह दायित्व है कि आप न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा करें। जस्टिस जेएस वर्मा ने विनीत नारायण मामले में कहा था- आप कितने भी ऊंचे क्यों ना हो जाएं, कानून हमेशा आपसे ऊपर रहेगा।
तन्खा के लैटर पर समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और जया बच्चन, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, शिवसेना उद्धव बाल ठाकरे की प्रियंका चतुर्वेदी, प्रमोद तिवारी, इमरान प्रतापगढ़ी, रंजीत रंजन, अमी याज्ञनिक और अखिलेश प्रसाद सिंह के दस्तखत हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने की हैं कुछ कठोर टिप्पणियां
महाराष्ट्र में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे गुट) के बीच चल रही कानूनी लड़ाई की सुनवाई के दौरान सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने कुछ तल्ख टिप्पणियां की हैं। इस वजह से सोशल मीडिया पर शीर्ष अदालत पर निशाना साधा जा रहा है। अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी को देश का पहला कानून अधिकारी बताते हुए इन सांसदों ने कहा है कि वे केंद्र की ओर से कानून और संविधान के संरक्षक हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र मामला
17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। याचिकाओं के एक बैच पर सुप्रीम कोर्ट की आदेश सुरक्षित रख लिया। शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी और अभिकल्प प्रताप सिंह पेश हुए थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में राज्यपाल कार्यालय की पैरवी की। इससे पहले 17 फरवरी को शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र में जून 2022 में पैदा हुए सियासी संकट संबंधी याचिकाओं को 7 जजों की बेंच को भेजने से इनकार कर दिया था। चुनाव आयोग के शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-बाण को शिंदे गुट को ही देने को कहा था। इसको लेकर उद्धव ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।