BHOPAL. पिछले कुछ दिनों से मध्यप्रदेश में एक पेशाब कांड काफी सुर्खियों में है। इस कांड के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत पूरी सरकार डैमेज कंट्रोल में जुटी। पीड़ित को बुलाया, सीएम ने पैर धोए, चरण वंदना की। शायद ये सोचकर की सरदार खुश होगा शाबाशी देगा, लेकिन पासा उल्टा ही पड़ गया। अचानक मध्यप्रदेश के दौरे पर आए सरदार ने खुशी तो नहीं जताई उल्टे सीख दे डाली कि जो डर गया वो मर गया। अब सरदार यानी अमित शाह को यूं ही राजनीति का चाणक्य नहीं कहते। ऊपर से सबकुछ ठीक जताने की कोशिश कर रही प्रदेश बीजेपी में कितने शोले भड़क रहे हैं ये अमित शाह खूब जानते हैं इन शोलों की वजह से जो दहक रहा है वो है पार्टी का कार्यकर्ता जिसे बीजेपी अपनी सबसे बड़ी ताकत मानती है। जिनकी शिकायतें लगातार आलाकमान तक पहुंच रही थीं, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। अब अमित शाह ने आकर कुछ बातें बिलकुल शीशे की तरह साफ कर दी हैं।
शाह के दौरे से मध्यप्रदेश में बढ़ी गहमागहमी
दिल्ली ही नहीं पूरे देशभर के सियासी गलियारों में ये बात मशहूर है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के थिंक टैंक अमित शाह का कोई कदम कोई फैसला बेमानी नहीं होता। जो भी फैसला या कदम उठाते हैं उसके पीछे कोई ऐसा कारण जरूर होता है जिसके परिणाम दूरगामी होते हैं। ऐसा ही एक फैसला है अचानक भोपाल आना और एक बड़ी बैठक करना। इस दौरे का ऐलान अचानक हुआ और उसके साथ ही प्रदेश बीजेपी में गहमागहमी बढ़ गई। 4 बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बैठक के लिए भोपाल पहुंचे। अमित शाह का यूं अचानक भोपाल आना और चर्चा में शिवराज सिंह चौहान की जगह दूसरे नेताओं को तवज्जो देना। उसके बाद कुछ नेताओं का प्लान अचानक बदल जाना। ये इशारा कर रहा है कि बीते कुछ दिनों से बीजेपी के खस्ताहाल होने की खबरों को अब आलाकमान ने गंभीरता से ले लिया है।
शाह बोले- बीजेपी में जीत का कॉन्फिडेंस नहीं, डर दिख रहा
अंदर कमरे में अमित शाह ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश की बीजेपी में जीत का कॉन्फिडेंस नहीं है। डर दिखाई दे रहा है। पहले बैठक में सबके सुझाव सुने और फिर दो टूक कह दिया कि सबको मिलकर चुनाव लड़ना है। समन्वय बनाए रहना जरूरी है। बैठक में कुछ खास नेताओं का नाम उनकी जुबान पर रहा। चंद घंटे चली ये क्लोज डोर मीटिंग खत्म हुई। सारे नेता बाहर निकले वीडी शर्मा के चेहरे की चमक देखने लायक थी, लेकिन गहमागहमी इतने पर ही खत्म नहीं हुई। स्टेट हैंगर पर पहुंचकर शाह ने कुछ देर नरेंद्र सिंह तोमर और विजयवर्गीय से बात की। उसके बाद तोमर यहीं रुक गए सिंधिया अकेले दिल्ली रवाना हुए। उन्हें भी 2 दिन बाद वापस भोपाल आना है।
मध्यप्रदेश में चुनाव की बागडोर किसने संभाली ?
अमित शाह के एक्शन से ये साफ हो चुका है कि प्रदेश की चुनावी बागडोर उन्होंने संभाल ली है। विष्णु दत्त शर्मा के चेहरे की चमक से ये अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि बदलाव की तलवार शायद हट चुकी है, लेकिन ये भी तय हो चुका है कि इस बार प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का वन मैन शो नहीं होगा। न ही शिवराज और विष्णु के फैसले फाइनल होंगे। थोड़ी देर की चर्चा में अमित शाह ने कई कन्फ्यूजन तो दूर कर, दिए लेकिन कई नए सवाल भी खड़े कर गए हैं।
क्या बनी रहेगी शिवराज-वीडी की जोड़ी ?
विधानसभा चुनाव 2023 तक शिवराज-वीडी की जोड़ी बनी रहेगी या नहीं ये आने वाले वक्त में पता चलेगा, लेकिन उनके ऊपर भी एक जोड़ी होगी ये तय है। जो सीधे अमित शाह को रिपोर्ट करेगी। ये जोड़ी है प्रदेश के नए चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव की। शाह ने सख्त ताकीद दी है कि इन दोनों के साथ समन्वय में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। इसके अलावा भी बैठक में कुछ अहम बातें निकलकर आईं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक
- संगठन में कमजोरियां दूर करने की सलाह
क्या शिवराज सिंह चौहान का वन मैन शो खत्म ?
शाह की बैठक के बाद ये साफ हो गया कि प्रदेश में चल रही आंतरिक गुटबाजी आलकमान की नजरों से छुपी नहीं है उसे जल्द ठीक करना है। अब पार्टी के नेता शाह के निर्देशानुसार चुनावी तैयारियों में जुट चुके हैं। इस बैठक के बाद ये तो साफ हो गया कि यादव और वैष्णव यहां सीधे शाह के आंख और कान बनकर काम करेंगे। बैठक में शाह ने चुनाव से जुड़े कुछ सुझाव मांगे तो शिवराज की सभाओं पर ये नसीहत भी दे डाली कि सभाओं की भीड़ का वोट में तब्दील होना जरूरी नहीं है। क्या ये इस बात का इशारा है कि अब शिवराज सिंह चौहान का वन मैन शो खत्म हो गया है। ऐसे कई सवाल हैं जो इस बैठक के बाद जवाब तलाश रहे हैं। हालांकि हर सवाल के लिए शाह ने कुछ न कुछ इशारा जरूर किया है।
बैठक के बाद उठे सवाल
- सवाल - क्या शिवराज सिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा नहीं होगी ?
बीजेपी आलाकमान का फोकस मध्यप्रदेश पर शिफ्ट
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस कदम से ये भी साफ हो गया कि अब आलाकमान का फोकस मध्यप्रदेश पर शिफ्ट हो चुका है। उम्मीद भी जताई जा रही है कि शाह के यहां आने से बीजेपी में हालात पहले से कुछ तो बेहतर होंगे। सूत्रों के मुताबिक शाह ने यादव और वैष्णव को एक प्रारूप भी दिया है। इस प्रारूप के आधार पर हर सीट की जानकारी इकट्ठी की जाएगी, जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय होगी।
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अहम भूमिका में नजर आ सकते हैं नरेंद्र सिंह तोमर
चुनाव नजदीक आते-आते नरेंद्र सिंह तोमर भी प्रदेश में अहम भूमिका में नजर आ सकते हैं। इस बैठक में भी शाह ने तोमर को खासी तवज्जो दी है। इतना ही नहीं वापस दिल्ली लौटने की जगह तोमर भोपाल में ही रुक गए हैं। इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि विजय संकल्प अभियान और वोट शेयर 51 प्रतिशत तक लाने के लिए शाह को शिवराज से ज्यादा तोमर पर भरोसा है। कहीं बातों ही बातों में शाह प्रदेश में बीजेपी के नए चेहरे की तरफ तो इशारा नहीं कर गए। अगर ऐसा है तो संभव है कि चुनाव के बाद शिवराज और सिंधिया की जगह कोई नया चेहरा बीजेपी में दिखाई दे।