उद्धव ठाकरे से शरद पवार बोले- फैसला स्वीकारें, चिह्न बदलने से फर्क नहीं पड़ता, इंदिरा गांधी का किस्सा भी सुनाया

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The Sootr
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उद्धव ठाकरे से शरद पवार बोले- फैसला स्वीकारें, चिह्न बदलने से फर्क नहीं पड़ता, इंदिरा गांधी का किस्सा भी सुनाया

MUMBAI. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि ‘तीर-कमान’ का चिह्न खोने से उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि जनता आपके नए चिह्न को स्वीकार कर लेगी। आपको बता दें कि शरद पवार की पार्टी उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना की सहयोगी पार्टी है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1978 में एक नया चिह्न चुना था, लेकिन उससे पार्टी को नुकसान नहीं उठाना पड़ा था।  



शिंदे गुट को मिला है शिवसेना का नाम 



18 फरवरी, शुक्रवार को इलेक्शन कमीशन (ईसी) ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया था। ईसी ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। उद्धव ने इस पर आपत्ति जताई थी और इलेक्शन कमीशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी। इस पर शरद पवार ने कहा कि जब कोई फैसला आ जाता है, तो चर्चा नहीं करनी चाहिए। हालांकि, NCP नेता अजित पवार ने आयोग के इस फैसले को अप्रत्याशित बताया है। अजीत पवार ने पूछा कि EC ने फैसला सुनाने में जल्दबाजी क्यों की।



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उद्धव ने पार्टी की मीटिंग बुलाई



पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पार्टी की बैठक बुलाई है। इस बैठक में शामिल होने के लिए विधायक, सांसद और नेता उद्धव के आवास मातोश्री पहुंच गए हैं। उनके साथ ही ठाकरे समर्थक मातोश्री के बाहर नारेबाजी कर रहे हैं। इलेक्शन कमीशन के फैसले को लेकर उद्धव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लाल किले से लोकतंत्र के अंत की घोषणा करनी चाहिए।



नवनीत राणा ने उद्धव पर तंज कसा- जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं



इसी मसले पर अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा- जो राम का नहीं, हनुमान का नहीं, वो किसी काम का नहीं। नवनीत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जमीनी स्तर का नेता बताया। उन्होंने आगे कहा कि शिंदे जमीनी स्तर पर बाल ठाकरे के साथ रहे हैं। वे पूरी तरह से शिवसेना के निशान और उसकी विरासत के हकदार हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एक बार जब कोई पार्टी टूट जाती है, तो 90 प्रतिशत नए गुट के साथ चले जाते हैं और ईसी को नए गुट को पार्टी का नाम और चिन्ह देना पड़ता है।




 


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