NEW DELHI. नई संसद का कल यानी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करने जा रहे हैं। नई संसद के प्रधानमंत्री के उद्घाटन करने के चलते 20 दल विरोध कर रहे हैं। बीजेडी, YSRCP, बसपा समेत कुछ दलों में उद्घाटन समारोह में आने की बात कही है। अब गुलाम नबी आजाद ने नई संसद के बनने, उसके उद्घाटन पर कई बातें कही हैं। आजाद ने नई संसद के बनने पर मोदी को बधाई भी दी है।
विपक्ष को तो सरकार को बधाई देनी चाहिए थी- गुलाम नबी
गुलाम नबी आजाद ने कहा- अगर मैं दिल्ली में होता तो पार्लियामेंट का फंक्शन अटेंड करता। कल यानी 28 मई को अखनूर में मेरा कार्यक्रम है। जो सपना हमने 35 साल पहले देखा था, वो पूरा हो गया। जब मैं केंद्र सरकार (नरसिम्हाराव सरकार 1991-96) में संसदीय कार्य मंत्री था, तब मैंने स्पीकर शिवराज पाटिल से बात की थी, फिर प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव से बात की। हमने एक नक्शा भी बना लिया था। हमसे तो तब हो नहीं पाया, अब संसद की नई बिल्डिंग बन गई है, ये अच्छी बात है। पार्लियामेंट की बड़ी विशाल बिल्डिंग बनी है। इसका बनना जरूरी था। 1926 के बाद से सांसदों की संख्या काफी बढ़ गई है। तब से करीब दोगुने सांसद हो गए। तब की तुलना में देखें तो आबादी भी करीब पांच गुना बढ़ गई तो पार्लियामेंट भी कम से कम दोगुने आकार की होनी चाहिए। पुरानी संसद में इतनी जगह नहीं थी, ऐसे में नए संसद भवन की जरूरत थी ही। इस गवर्मेंट ने अच्छा इनीशिएटिव लिया और रिकॉर्ड समय में इसे तैयार भी कर लिया। पार्लियामेंट इतनी जल्दी नहीं बनती। विपक्ष को उन्हें (सरकार को) बायकॉट करने के बजाय बधाई देनी थी। अगर कोई खुद ना कर पाए और दूसरा करे तो खुश होना चाहिए।
उद्घाटन के विवाद को लेकर भी मैं खिलाफ हूं। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री करें या राष्ट्रपति, मैं तो ये कहता हूं कि राष्ट्रपति कौन सा विपक्ष का है। राष्ट्रपति को भी तो बीजेपी के सांसदों-विधायकों ने चुना है। अगर विपक्ष को राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) की इतनी परवाह थी तो फिर राष्ट्रपति चुनाव में अपना कैंडिडेट क्यों खड़ा किया था? मतलब साफ है कि विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ मुद्दों की कमी नहीं है, लेकिन वो मुद्दे नहीं उठाता। सिर्फ वही मुद्दे उठाते हैं, जिससे लोगों का कोई लेना-देना नहीं। विपक्ष को वो मुद्दे उठाना चाहिए, जिनका पब्लिक से संबंध है। संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री करें या राष्ट्रपति, इससे पब्लिक की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
#WATCH | I would surely attend the inauguration ceremony of the new Parliament building if I was in Delhi. The opposition should praise the government to build the new Parliament in record time, whereas they are criticising the govt. I am strictly against the opposition… pic.twitter.com/fo5bayAwcn
— ANI (@ANI) May 27, 2023
नीतीश का भी अजब बयान
मीडिया से बात करते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा- 'शुरू में भी बात हो रही था कि ये (संसद भवन) बन रहा है तो भी हमको अच्छा नहीं लग रहा था, ये तो इतिहास है। आजादी हुई तो जिस चीज की जहां पर शुरुआत हो गई, उसे वहीं पर विकसित कर देना चाहिए। अलग से बनाने का कोई मतलब नहीं है। क्या पुराना इतिहास ही बदल दीजिएगा? हमको अच्छा नहीं लग रहा है कि ये नया संसद भवन बना रहे हैं। ये लोग (मोदी सरकार) पुराना इतिहास बदलना चाहते हैं। नया संसद भवन नहीं बनाना चाहिए था। जो पुराना संसद भवन था, उसी को सही करना चाहिए था। मैं तो इसके खिलाफ हूं। ये लोग सब इतिहास बदलना चाह रहे हैं, बेकार है वहां जाना। कोई मतलब नहीं है वहां जाने का, क्या जरूरत है वहां जाने की और उस भवन को बनाने की।'
नए संसद भवन के पास कड़ी सिक्योरिटी
नई संसद के उद्घाटन को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। इस बीच अब दिल्ली पुलिस को इनपुट मिला है कि नए संसद भवन के बाहर दीवारों पर एंटी सरकार और एंटी पीएम स्लोगन लिखे जा सकते हैं। इस इनपुट के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक नए संसद भवन के आसपास दिल्ली पुलिस का स्टाफ तैनात किया गया है। करीब 70 पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में लगाया गया है। साथ ही एसीपी रैंक के अधिकारी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर एक तरफ बीजेपी जहां इसे गर्व का पल मानते हुए जश्न मना रही है. वहीं, कांग्रेस समेत 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का विरोध करते हुए समारोह का बहिष्कार कर दिया है। इन विपक्षी दलों का कहना है कि ये लोकतंत्रिक नहीं है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इसका उद्घाटन ना करा कर उनके पद का अपमान किया जा रहा है।
राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना - यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 24, 2023