हरीश दिवेकर, Bhopal. प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया में फिर एक नया मोड़ आने के संकेत हैं। सरकार अब सिर्फ नगर निगम महापौर के चुनाव ही प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है। जबकि नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद के अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से न करवाकर अब अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाएंगे। यानी नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता से नहीं बल्कि चुने हुए पार्षदों के माध्यम से कराया जाएगा। शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष एवं नगर परिषद अध्यक्षों को सीधे जनता से चुने जाने का अध्यादेश मंगलवार, 18 मई को राजभवन से वापस बुला लिया था।
सीएम की सहमति के बाद लगेगी अंतिम मुहर
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के बारे में पूर्ण घोषित निर्णय में बदलाव के लिए नगर पालिका अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। हालांकि इस पर अंतिम मुहर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति के बाद ही लगेगी। इसके बाद ही संशोधित अध्यादेश नए सिरे से राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बीजेपी ने पलटा था कमलनाथ सरकार का अध्यादेश
कमलनाथ सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर का चुनाव कराने का फैसला लिया था। लेकिन कांग्रेस सरकार गिरने के बाद जैसे ही सीएम शिवराज सत्ता में आए, उन्होंने कमलनाथ सरकार के फैसले को अध्यादेश से पलट दिया था। लेकिन अध्यादेश को विधानसभा में डेढ़ साल तक पेश नहीं किया गया था।
अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव के लिए आयोग को पत्र भेज चुकी है बीजेपी सरकार
अध्यादेश की अवधि खत्म होने से पहले शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक 2021 को विधानसभा के बजट सत्र में पेश नहीं किया था। वहीं विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी थी। बीजेपी ने पिछले साल आयोग को लिखे पत्र में सरकार ने ये हवाला दिया था कि विधेयक को विधानसभा से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हों।