ओबीसी आरक्षण पर सरकार जल्द लेगी बड़ा फैसला, पिछले 4 सालों से रुके पीएससी के परिणाम होंगे जारी

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The Sootr CG
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ओबीसी आरक्षण पर सरकार जल्द लेगी बड़ा फैसला, पिछले 4 सालों से रुके पीएससी के परिणाम होंगे जारी

Bhopal. प्रदेश के युवाओं के लिए बड़ी खबर है। सरकार जल्द ही 1 लाख पदों पर भर्तियां करने जा रही है। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि वर्ष 2019 से 2021 तक के रुके हुए पीएससी के परिणाम भी घोषित करने जा रही है जिसके लिए छात्र लंबा इंतजार कर रहे थे और उनके इंतजार की घड़ियां जल्द खत्म होने वाली हैं क्योंकि शिवराज सरकार ओबीसी आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर बड़ा फैसला लेने जा रही है। इस संबंध में सीएम शिवराज सिंह ने अवकाश के दिन भी अधिकारियों के साथ बैठक कर सीएस को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। लॉ डिपार्टमेंट की सहमति मिल गई है। माना जा रहा है कि छात्रों के बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। अब 2019 से 2021 तक के रुके हुए पीएसपी के परिणाम जल्द घोषित होंगे। इसमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, महिला बाल विकास अधिकारी, नगर पालिका सीएमओ, जनपद सीओ सहित अन्य विभागों के राज्य सेवा के पद शामिल हैं। इसके लिए सरकार ने एक फार्मूला निकालते हुए ओबीसी और अन्य वर्ग को साधा है। 





सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण 





जानकारी के अनुसार सरकार 27 फीसदी आरक्षण की जगह सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण देगी और 13 प्रतिशत आरक्षण को न्यायालय के आदेश के तहत होल्ड पर रखेगी। ऐसे में न्यायालय का जो आदेश होगा वह 13 प्रतिशत पर लागू होगा और 14 प्रतिशत पर रिजल्ट जारी होगा। ऐसे में चारों साल के 4000 पदों के 520 पदों के परिणाम रोके जाएंगे और 3480 पदों का परिणाम जारी होगा। इस बड़े फैसले से बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा। साथ ही उनके परिजनों को भी काफी राहत मिलने वाली है। भले ही ओबीसी आरक्षण को लेकर  पेंच फंसा हो लेकिन सरकार के इस बड़े कदम से एससी, एसटी और सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को बड़ी सौगात मिलेगी जिसकी वे बाट जोह रहे थे और उनके लिए अब बड़ा अवसर आ रहा है।    





रिक्त पदों को जल्द भरने की मांग





दूसरी ओर यदि सरकार को 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ जाना है तो उन्हें न्यायालय का इंतजार करना होगा। जस्टिस शाील नागू की बैच इस मामले की लगातार  सुनवाई कर रही है। अगस्त और सितंबर में इसकी नियमित सुनवाई कर रही थी और अब 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी। वास्तव में सरकार को इस बात का अंदेशा है कि उम्मीदवार ओवरएज होने पर उनके आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस परीक्षा के लिए पिछले 3 सालों 2019, 2020 और 2021 में लगभग 13 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें 4 हजार पद भरे जाने हैं। प्रदेश में वैसे ही बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं और लोग दो पदों का काम कर रहे हैं ऐसे में रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने की मांग तेज हो रही है। छात्रों का लंबा इंतजार धीरे-धीरे जवाब दे रहा था।





सरकार थी विपक्ष के निशाने पर





सरकार भी इस मुद्दे को लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर थी। पूर्व सीएम कमलनाथ शिवराज पर ओबीसी विरोधी होने का अरोप लगा रहे थे। ऐसे में सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी कि कैसे सभी वर्गों में सामंजस्य बैठाते हुए इसका समाधान निकाल जाए और आखिरकार सरकार ने काफी विचार विमर्श के बाद यह रास्ता निकाला है। जब 13 फीसदी पर कोर्ट का निर्णय आएगा तव उसी स्थिति के अनुशार फैसला लिया है। फिलहाल गत 3 वर्षों से रुके पीएससी के परीक्षा परिणामों को जल्द से जल्द जारी करने की कवायद में सरकार जुट गई है।





छात्रों को दिवाली गिफ्ट 





सरकार के इस अभूतपूर्व फैसले को अगर दिवाली का गिफ्ट कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि दिवाली तक रुके हुए पीएससी के परिणाम जारी हो जाएंगे और 1 लाख नए पदों की भर्तियों की आवेदन प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इन 1 लाख भर्तियों में बड़ीं संख्या में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद भी रहेंगे जिसमें कम योग्यता वाले उम्मीदवार परीक्षा दे सकेंगे। पिछले 10 सालों में मप्र सरकार ने अपेक्षानुसार ज्यादा भर्तियां नहीं निकाली हैं ऐसे में बेरोजगारों की फौज नौकरी का इंतजार कर रही है। सरकार का यह प्रयास है कि दिवाली तक यह प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाए। इसलिए छात्रों के लिए दिवाली का गिफ्ट है। 





विपक्ष को मुद्दाविहीन करने की कोशिश में सरकार





मप्र की बीजेपी सरकार मिशन 2023 को लेकर अब आक्रामक मूड में है। वह विपक्ष को मुद्दाविहीन बनाना चाहती है। इसी को देखते हुए सरकार ने ओबीसी आरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे पर बड़ा फैसला लेने जा रही है क्योंकि सरकार पर पिछड़ा विरोधी का ठप्पा लग रहा था और कमलनाथ भी लगातार हमले कर रहे थे। दूसरा इसमें सबसे मुद्दा बीजेपी से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी का भी है क्योंकि उन्हें बीजेपी से निकालने के बाद वे लगातार ओबीसी महासंघ के बैनर तले बीजेपी सरकार को घेर रहे थे। देखते ही देखते उन्हें पिछड़ा वर्ग काे बड़े नेता के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। वर्ग समुदाय की नौबत न आए जिसे देखते हुए सरकार ने यह फैसला लाकर विपक्ष को पटखनी देने की कोशिश की है। बीजेपी सरकार के लिए ओबीसी आरक्षण का मसला गले की फांस से कम नहीं था। विपक्ष को जवाब देते हुए बीजेपी ने अपनी चाल चल दी है। 







 



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