संजय गुप्ता, INDORE. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन यानी असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम (AIMIM) इंदौर और मप्र में सक्रिय हो गए हैं। ओवैसी शनिवार (3 जून) को इंदौर पहुंच चुके हैं और उनकी राउ, महू में जमातों से मुलाकातें हो चुकी है और लगातार लोगों से मिल रहे हैं, उनका यह दौरा दो दिन तक चलने वाला है। फोकस विधानसभा चुनाव ही है। उनके दौरे से सबसे ज्यादा खलबली कांग्रेस में मच गई है। पूर्व सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पहले ही नगर निगम चुनाव के दौरान उन पर बीजेपी की बी पार्टी होने का आरोप लगा चुके हैं। आरोप तो यहां तक लग रहे है कि कुछ बीजेपी नेताओं ने भी होटल में उनसे मुलाकात की है। ओवैसी का सक्रिय होने का सीधा खामियाजा कांग्रेस को होना है।
इंदौर की यह तीन सीटें सीधे तौर पर होंगी प्रभावित
ओवैसी यदि विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़ी करती है तो इंदौर में सीधे तौर पर विधानसभा एक, पांच और देपालपुर प्रभावित होती है। यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। वहीं कांग्रेस जिस तरह से जय बजरंग बली के नारे और सॉफ्ट हिंदुत्व की बात कर रही है, ऐसे में ओवैसी के सक्रिय हने पर उनके पंरपरागत मतदाताओं के छिटक जाने की चिंता भी होगी।
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निगम चुनाव में भुगत चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस को चिंता इसलिए भी जाहिर है क्योंकि नगर निगम चुनाव में कांग्रेस इसे भुगत चुकी है। ओवैसी ने निगम चुनाव में बुरहानपुर, खंडवा में मेयर पद के लिए प्रत्याशी उतारे थे औऱ् साथ ही बुरहापुर, खंडवा, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रतलाम, खरगोन शहरों में 53 पार्षद प्रत्याशी भी मैदान में उतारे थे। पार्षद में खरगोन में तीन, जबलपुर में दो और खंडवा-बुरहानपुर में एक-एक प्रत्याशी जीता था। वहीं बुरहानपुर में उनकी मेयर प्रत्याशी शाइस्ता हाशिम को दस हजार से ज्यादा वोट मिले और कांग्रेस प्रत्याशी वहां 388 वोट से हार गई। इसी तरह खंडवा में भी उनके मेयर प्रत्याशी की कनीज बी को 9601 वोट मिले थे जो सीधे तौर पर कांग्रेस अपने वोट मानती है।
प्रदेश की पांच जिलों की विधानसभा सीटें काफी अहम
मप्र में मुस्लिम मतदाताओं के लिहाज से बुरहानपुर के साथ ही भोपाल, इंदौर, उज्जैन और देवास काफी अहम जिले हैं। वहीं प्रदेश में भोपाल की नरेला विधानसभा, बुरहानपुर, शाजापुर, देवास, रतलाम सिटी, उज्जैन उत्तर, जबलपुर पूर्व, मंदसौर, रीवा, सतना, सागर, ग्वालियर दक्षिण, खंडवा, खरगोन, इंदौर-एक, इंदौर पांच, देपालपुर में मुस्लिम वोटरों का काफी प्रभाव है। ऐसे में कांटे के संभावित विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के लिए ओवैसी का सक्रिय होना सबसे बड़ी चिंता होने जा रही है। कांग्रेस प्रदेश सचिव राकेश यादव आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव के पहले उनका आना और कई नेताओं से मुलाकात साफ बता रही है कि वह चुनाव में कांग्रेस के वोट काटने की तैयारी कर रहे हैं, हमारे नेता प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ उन्हें पहले ही बीजेपी की बी पार्टी बता चुके हैं और वह इसी राह पर चल रहे हैं।