Sidhi. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के पहले ना -ना करते रहे पर पारिवारिक और सामाजिक दबाव के बाद चुनाव लड़कर जीते तो राजनीति के शिखर पर पहुंच गये। यही वो लोग हैं जो पंचायत चुनाव लड़ने के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि पंचायत चुनाव अब ऐसे ही लोगों के कारण ही राजनीतिक मुकाम हासिल करने की सीढ़ी बन चुका है। तो आइये जानते हैं ऐसी कौन सी हस्ती रही हैं जो मंत्री, सांसद बनने के पहले पंचायत चुनाव लड़ चुकी हैं।
इन्द्रजीत कुमार: सरपंच से कैबिनेट मंत्री तक
पहला नाम स्व. इंद्रजीत कुमार का आता है जिन्होंने 1972 के पहले सुपेला गांव से सरपंच पद का चुनाव लड़ा था। चुनाव लड़ने के पहले उनका मन कतई नहीं था की वे पंचायत के झमेले में पड़े लेकिन गांव के लोगों ने ऐसा दबाव बनाया की लडऩे पड़ा। इंद्रजीत कुमार चुनाव लड़े तो सरपंच बन गए। यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू मानी जाती है। 72 में ही उन्होंने सीधी विधानसभा चुनाव के लिये पर्चा भर दिया, जहां स्व. अर्जुन सिंह ने चुनाव न लड़ने के लिए राजी कर लिया। अर्जुन सिंह खुद भी उम्मीदवार थे । बाद में अर्जुन सिंह ने ही इंद्रजीत कुमार को 1977 में सीधी विधानसभा से कांग्रेस का टिकट देकर चुनाव लड़ाया। इंद्रजीत कुमार की यहीं से विधायक के रूप में विजय यात्रा शुरू हुई तो लगातार सात बार विधायक चुने गए। इस दौरान दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे।
रीती पाठक: टेलीकॉम कंपनी से पार्लियामेंट तक
सीधी संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती रीती पाठक 2010 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान जिला पंचायत सदस्य के लिये मना कर दिया था। उस समय वह पाठक टेलीकॉम कम्पनी रांची में सीईओ / डायरेक्टर थीं। यह कंपनी उनके पति की है। इसलिए पंचायत चुनाव के झमेले में नहीं पड़ना चाहती थीं। मौहर वार्ड भ्रमण बाद साफ मना कर दिया कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना और वापस चली गई। बाद में पति रजनीश पाठक ने जब नामांकन दाखिल कर दिया तब प्रचार करने आईं और चुनाव जीत गईं। फिर जिला पंचायत अध्यक्ष भी चुन ली गई। अध्यक्ष के साढ़े चार साल हुये ही थे की बीजेपी ने पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा का टिकट काट कर रीती को दे दिया। इस तरह जिला पंचायत अध्यक्ष से सांसद बन गई। वह दूसरी मर्तबा सांसद चुनी गई हैं। आज वह महिलाओं व अन्य के लिए प्रेरणा बनी हुई है।
महिला नेत्रियां राजनीति में आगे आने लगीं
जिला पंचायत अध्यक्ष के बाद रीती के सांसद बनने की यात्रा ने सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रभावित किया है। इसके पहले तक राजनीति में महिलाओं की संख्या काफी कम हुआ करती थी। रीती पाठक के बाद तो महिलाओं ने काफी संख्या में न कि बीजेपी, कांग्रेस ज्वाइन किया बल्कि चुनाव की भी तैयारी करने लगी हैं। बीजेपी संगठन की कई महिला नेत्री विधानसभा टिकट तक की अभी से दावेदारी करने लगी हैं। कांग्रेस में भी लोकसभा, विधानसभा की अभी से दावेदार तैयार हो रही हैं। ऐसा एक दशक से ज्यादा देखने को मिल रहा है।