राज्यसभा में मोदी बोले- देश देख रहा है एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है; सदन में जितनी देर पीएम बोले, उतनी देर हुई नारेबाजी

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
राज्यसभा में मोदी बोले- देश देख रहा है एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है; सदन में जितनी देर पीएम बोले, उतनी देर हुई नारेबाजी

NEW DELHI. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। मोदी सदन में करीब 1 घंटा 34 मिनट बोले का संबोधन। शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने मोदी-अडाणी भाई-भाई के नारे लगाए। मोदी जितनी देर बोले, उतनी देर विपक्षी सांसद नारेबाजी करते रहे। मोदी ने अपने भाषण में अपनी सरकार की 9 साल की उपलब्धियों, कांग्रेस के भ्रष्टाचार, कांग्रेस के राज्यों पर लगाए राष्ट्रपति शासन का जिक्र किया। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस 8 फरवरी को खत्म हो गई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था।



इससे पहले 8 फरवरी को पीएम मोदी ने लोकसभा में जवाब दिया था। इस दौरान उन्होंने विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस को निशाने पर लिया। मोदी ने कांग्रेस कार्यकाल की कमियां गिनाते हुए सिलसिलेवार अपनी बात सदन में रखी। वहीं, कांग्रेस ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी के जवाब में अडाणी का कहीं जिक्र नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर से मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि पीएम ने किसी मुद्दे पर जवाब नहीं दिया। अडाणी मामले पर प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ नहीं बोला। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को कुछ नहीं बोला। लग रहा है प्रधानमंत्री मोदी सभी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।




— ANI (@ANI) February 9, 2023



मोदी के राज्यसभा में भाषण की 13 बातें



उनके पास कीचड़ था, मेरे पास गुलाल



इस सदन में जो भी बात होती है, उस बात को देश बहुत ही गंभीरता से सुनता है। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस समय सदन में कुछ लोगों का व्यवहार और वाणी ना सिर्फ सदन बल्कि देश को निराश करने वाली है। इस प्रकार की प्रवृत्ति के माननीय सदस्यों को मैं यही कहूंगा कि कीचड़ उसके पास था मेरे पास गुलाल, जो भी जिसके पास था उसने दिया उछाल। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा। इसलिए कमल खिलाने में आपका प्रत्यक्ष या परोक्ष जो भी योगदान है, उसके लिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। कल विपक्ष के हमारे वरिष्ठ साथी खड़गे जी ने कहा, हमने 60 साल में मजबूत बुनियाद बनाई है। उनकी शिकायत थी कि बुनियाद हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है। 



उन्होंने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे



2014 में आकर जब मैंने चीजों को बारीकी से देखने का प्रयास किया, तो पता चला कि 60 साल कांग्रेस के परिवार ने, हो सकता है उनका इरादा मजबूत नींव बनाने का हो, लेकिन मैंने देखा उन्होंने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। जब वे गड्ढे खोद रहे थे, 6-6 दशक बर्बाद कर दिए थे। उस समय दुनिया के छोटे-छोटे देश भी सफलता के शिखरों को छू रहे थे, आगे बढ़ रहे थे। पंचायत से लेकर संसद तक उन्हीं की दुनिया चलती थी। उन्होंने इस प्रकार की कार्यशैली और कल्चर विकसित किया कि देश ने एक भी चुनौती का स्थाई समाधान करने का न कभी सोचा कि न कभी प्रयास किया। हो हल्ला हो ज्यादा था, कुछ चीजों को छू लेते थे, समस्याओं का समाधान करना उनका दायित्व था। देश की जनता समस्याओं से जूझ रही थी, देश की जनता देख रही थी कि समस्याओं का समाधान कितना बड़ा लाभ कर सकता है, लेकिन उनकी प्राथमिकताएं अलग थीं। हमारी सरकार की पहचान हमारे पुरुषार्थ के कारण बनी है। हम स्थाई समाधान की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। हम एक-एक चीज को छूकर आगे भागने वाले नहीं हैं। हम मूलभूत आवश्कताओं और स्थाई समाधान की तरफ बढ़ रहे हैं। 



हमने 48 करोड़ जनधन खाते खोले, जनता ने उनके खाते बंद कर दिए 



हमने बैंकिंग व्यवस्था का स्थाई समाधान निकाला और जनधन अभियान चलाया। 9 साल में ही 48 करोड़ जनधन खाते खोले गए। 32 करोड़ बैंक खाते ग्रामीण और कस्बों में हुए हैं। यानी देश के गांव तक प्रगति की मिसाल बनाने का प्रयास हुआ है। खड़गे जी शिकायत कर रहे थे, मोदी जी बार-बार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि कयाकट्टा में एक करोड़ 70 लाख जनधन बैंक खाते खुले हैं। जनता आपका खाता बंद कर रही है और आप रोना यहां रो रहे हो। प्रधानमंत्री ने कहा, डायरेक्ट बेनीफीट ट्रांसफर के कारण इस देश के दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पैसे, जो गलत हाथों में जाते थे, वह बच गया है। मैं जानता हूं, जिनको इन दो लाख करोड़ रुपये का फायदा मिलता था, उनका चिल्लाना भी स्वाभाविक है। 



सिर्फ ये कहने से बात नहीं बनती कि हमने भी कुछ किया



पहले देश में परियोजनाओं को अटकाना, लटकाना आदत बन गई थी। हमने टेक्नोलॉजी का प्लेटफॉर्म तैयार किया, पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान लेकर आए और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को गति देने का काम हो रहा है। जो योजनाएं बनाने में महीनों लग जाते थे, वो अब हफ्तों के अंदर आगे बढ़ा दिया जाता है, क्योंकि आधुनिक भारत के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व हम समझते हैं। कोई भी सरकार में आता है, तो देश के लिए कुछ करने का वादा करके आता है, लेकिन सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती। इसलिए विकास की गति, नियत, परिणाम क्या है, यह बहुत मायने रखता था। सिर्फ आप कहते रहें कि हम भी कुछ करते थे, इतने से बात बनती नहीं। 



आजादी के बाद से 2014 तक 14 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे, हमने 32 करोड़ को कनेक्शन दिए



देश आजाद होने के बाद से 2014 तक 14 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे। लोग सांसदों के पास जाते थे कि हमें कनेक्शन मिल जाए। उस समय डिमांड भी कम थी, गैस लाने के लिए खर्चा भी नहीं करना पड़ता था। हमने तय किया कि हम घर को एलपीजी कनेक्शन देंगे। हमें मालूम था, हमें मेहनत करनी पड़ेगी, दुनिया भर से गैस लाने पड़ेगी, लेकिन हमारी प्राथमिकता देश का सामान्य नागरिक था। इसलिए हमने 32 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास गैस कनेक्शन पहुंचाए। इस एक उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि हमें कितनी मेहनत करनी पड़ी होगी। हम ऐसी कार्य संस्कृति को लेकर आ रहे हैं, जो मेरा-तेरा को मिटाने वाला रास्ता है। उन्होंने कहा, हम मक्खन पर लकीर पर खींचने वाले लोग नहीं हैं, हम पत्थर पर लकीन खींचने वाले लोग हैं। 



देश कांग्रेस को नकार रहा, लेकिन वे बाज नहीं आ रहे



हम देश को विकास का मॉडल दे रहे हैं। देश हमारे साथ है। कांग्रेस को बार-बार देश नकार रहा है, लेकिन कांग्रेस के साथी साजिशों से बाज नहीं आते। जनता उनको देख रही है और सजा दे रही है। हम ऐसी कार्य संस्कृति को लेकर आ रहे हैं, जो मेरा-तेरा को मिटाने वाला रास्ता है। उन्होंने कहा, हम मक्खन पर लकीर पर खींचने वाले लोग नहीं हैं, हम पत्थर पर लकीन खींचने वाले लोग हैं। 



लोगों को 100% लाभ मिले, इसलिए सैचुरेशन का रास्ता चुना

 

देश की आजादी में आदिवासी भाईयों का बहुत योगदान है, लेकिन दशकों तक वे विकास से दूर रहे। उनके नौजवानों के मन में बार-बार सरकार के खिलाफ सवाल उठते चले गए। पिछली सरकारों ने उनके हित में काम किया होता तो आज मुझे इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पहली बार आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय बना। हमने सैचुरेशन का रास्ता चुना यानी 100% प्रतिशत लाभार्थी को लाभ पहुंचे। सैचुरेशन का मतलब है, भेदभाव की सारी गुंजाइशें खत्म करना। यह तुष्टीकरण की आशंकाओं को खत्म कर देता है। 



बेटियों के लिए शौचालय बनवाए, लोन की व्यवस्था की



हमने बेटी बचाओ अभियान चलाया। मुझे इस बात की खुशी है कि बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। बेटी जब स्कूल जाए और टॉयलेट के अभाव में स्कूल छोड़ दे, इसकी चिंता हमने की। बेटियों के लिए अलग शौचालय बनाए। बेटी की शिक्षा जारी रहे, इसके लिए हमने सुकन्या योजना चलाई। बेटी बड़ी होकर अपना काम करने के लिए बिना गारंटी लोन ले सके, इसके लिए मुद्रा योजना शुरू की। मुझे गर्व है कि हमने 11 करोड़ शौचालय बनाकर मेरी माताओं-बहनों को इज्जतघर दिया। हमारी सरकार माताओं के सशक्तिकरण के लिए संवेदनशील है। बेटियों के लिए हमने सैनिक स्कूल खोले। गर्व होता है कि सियाचिन में मेरे देश की कोई बेटी मां भारती की रक्षा करने के लिए तैनात होती है। 



किसानों के खाते में साल में 3 बार पैसे डाल रहे



हम जानते हैं कि इस देश के किसानों के साथ क्या बीती। ऊपर के एक वर्ग को संभाल लेना और वहीं से राजनीति चलाना, यही सिलसिला चला। देश में छोटे किसान उपेक्षित थे, उनकी आवाज काई सुनने वाला नहीं था। हमारी सरकार ने उन पर ध्यान दिया। आज साल में तीन बार सम्मान निधि सीधे छोटे किसानों के खातों में जमा होती है। 



हमारा यूथ प्राइवेट सैटेलाइट लॉन्चिंग करने का सोचता है



देश को आधुनिक होना है, नए संकल्पों को सोचना है तो साइंस और टेक्नोलॉजी को नकार नहीं सकते। हम टुकड़ों में नहीं सोचते। हम हर दिशा में काम कर रहे हैं। हमने स्पेस के क्षेत्र में प्राइवेट भागीदारी का सपना पूरा किया। मुझे खुशी है, देश के नौजवान प्राइवेट सैटेलाइट छोड़ने का सपना देखते हैं, यह गर्व की बात है। यूनिकॉर्न की दुनिया में हम तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। 



आप ये खबर भी पढ़ सकते हैं






हमारा यूथ प्राइवेट सैटेलाइट लॉन्चिंग को सोचता है



देश को आधुनिक होना है, नए संकल्पों को सोचना है तो साइंस और टेक्नोलॉजी को नकार नहीं सकते। हम टुकड़ों में नहीं सोचते। हम हर दिशा में काम कर रहे हैं। हमने स्पेस के क्षेत्र में प्राइवेट भागीदारी का सपना पूरा किया। मुझे खुशी है, देश के नौजवान प्राइवेट सैटेलाइट छोड़ने का सपना देखते हैं, यह गर्व की बात है। यूनिकॉर्न की दुनिया में हम तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। डिजिटल दुनिया में आज हिंदुस्तान दुनिया का लीडर बना हुआ है। एक समय था, हम मोबाइल इंपोर्ट करते थे, आज देश मोबाइल एक्सपोर्ट कर रहा है। हर तकनीक को देश बहुत तेज गति से अपना रहा है, उसका विस्तार कर रहा है। दवाइयां पहुंचाने का काम ड्रोन से हो रहा है, इसके लिए हमने पॉलिसी में बदलाव किया। 



नेहरू सरनेम रखने से क्या दिक्कत



600 से ज्यादा योजनाएं गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर हैं। अगर किसी कार्यक्रम में नेहरू जी का नाम का इस्तेमाल नहीं हुआ तो कुछ लोगों का खून गर्म हो जाता था, लेकिन मुझे यह नहीं समझ आता कि उनके पीढ़ी के किसी व्यक्ति को नेहरू सरनेम रखने में क्या आपत्ति है और आप हमारा हिसाब मांगते हैं। यह जन-जन की पीढ़ियों से बना देश है। यह देश किसी परिवार की जागीर नहीं। हमने मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल खत्न का नाम रख दिया, इस पर हमें गर्व है। हमने द्वीपों को परमवीर चक्र पाने वाले वीरों के नाम पर रख दिया। 



जो विपक्ष में बैठे हैं, उन्होंने राज्यों के अधिकारों की धज्जियां उड़ाईं, अब एक अकेला सब पर भारी



केरल में वामपंथी सरकार चुनी गई, जिसे पंडित नेहरू पसंद नहीं करते थे। कुछ ही दिनों में चुनी हुई सरकार को गिरा दिया। डीएमके के मित्रों को भी बताता हूं। तमिलनाडु में भी एमजीआर और करुणानिधि जैसे दिग्गजों की कई सरकारों को कांग्रेस वालों को गिरा दिया। एनजीआर की आत्मा देखती होगी,आप कहां खड़े हो। प्रधानमंत्री ने कहा, कांग्रेस ने एनटीआर की सरकार को भी गिरा दिया। राजभवनों को कांग्रेस का दफ्तर बना दिया गया था। जो लोग आज विपक्ष में बैठे हैं, उन्होंने राज्यों के अधिकारों की धज्जियां उड़ा दीं। मैं कच्चा-चिट्ठा खोलना चाहता हूं। वो लोग कौन थे, जिन्होंने आर्टिकल 356 का दुरुपयोग किया? वे लोग कौन हैं, जिन्होंने यह किया और चुनी हुई सरकारों को गिरा दिया। एक प्रधानमंत्री ने आर्टिकल 356 का 50 बार प्रयोग किया, वह नाम है इंदिरा गांधी। आज पूरा देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है। देश के जीता हूं, देश के लिए कुछ करने के लिए निकला हुआ हूं।  






वो उस तरफ बैठने के बाद भी फेल हुए- मोदी



पीएम मोदी ने 8 फरवरी को लोकसभा में कहा, जो कभी यहां बैठते थे, वह वहां जाने के बाद भी फेल हुए और देश पास होता गया। मैं भी यात्रा लेकर कश्मीर तक गया था। लाल चौक पर तिरंगा लहराने का संकल्प लिया था। तब आतंकियों ने पोस्टर लगाए थे कि देखते हैं कि किसमें हिम्मत है और किसने अपनी मां का दूध पिया है, जो यहां आकर तिरंगा लहराता है। तब मैंने कहा था- आतंकी कान खोलकर सुन लें। 26 जनवरी को ठीक 11 बजे मैं लाल चौक पहुंचूंगा, बिना सुरक्षा, बिना बुलेट प्रूफ जैकेट आऊंगा और फैसला लाल चौक पर होगा कि किसने अपनी मां का दूध पिया है? जब श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराया, तब मीडिया के लोग सवाल करने लगे कि पहले यहां ऐसे नहीं होता था। आज वहां ऐसी शांति है कि वहां चैन से जा सकते हैं। अखबारों में खबर आई थी, जिस पर ध्यान नहीं गया होगा। लोग टीवी में चमकने की कोशिश में लगे थे। उसी समय श्रीनगर के अंदर दशकों बाद थिएटर हाउसफुल हो गए और अलगाववादी दूर-दूर तक नहीं दिख रहे थे।



मेरे पास 140 करोड़ लोगों का कवच, ऐसे कैसे भेद पाओगे- पीएम



मोदी ने ये भी कहा कि देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए खपा दिया है। देशवासियों का जो मोदी पर भरोसा है, वह इनकी समझ के दायरे से बाहर ही नहीं, समझ के दायरे से काफी ऊपर है। क्या ये झूठे आरोप लगाने वालों पर मुफ्त राशन प्राप्त करने वाले देश के 80 करोड़ लोग भरोसा करेंगे? एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड के जरिए जब गरीब को राशन मिल जाता है तो वह आपकी झूठी बातों और गलिच्छ आरोपों पर कैसे भरोसा करेगा? जब 11 करोड़ किसानों के खाते में साल में तीन बार सम्मान निधि का पैसा जमा होता हो, वह आप पर भरोसा कैसे करेगा। मुसीबत के समय मोदी उनके काम आया है, आपके आरोपों पर वह कैसे भरोसा करेगा। आपके इन आरोपों को कोटी-कोटी भारतीयों से होकर गुजरना पड़ेगा। कुछ लोग अपने लिए और अपने परिवार के लिए जी रहे हैं। मोदी तो करोड़ों देशवासियों के परिवार का सदस्य है। 140 करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद मेरा सबसे बड़ा कवच है। झूठ और गालियों के शस्त्रों से तुम इस कवच को भेद नहीं सकते।


Parliament News संसद न्यूज मोदी का राहुल पर निशाना Parliament Budget Session 2023 Modi Speech in Rajya Sabha Opposition Ruckus Adani Issue Modi Targets Rahul Gandhi संसद का बजट सत्र 2023 मोदी का राज्यसभा में भाषण अडाणी मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा