मध्यप्रदेश में मुश्किल में घिरे शिवराज की मदद करने आ रहे हैं पीएम मोदी, दो बड़ी समस्याओं को दूर करने पर होगा फोकस?

author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
मध्यप्रदेश में मुश्किल में घिरे शिवराज की मदद करने आ रहे हैं पीएम मोदी, दो बड़ी समस्याओं को दूर करने पर होगा फोकस?

BHOPAL. मध्यप्रदेश में अब चुनावी पारा हाई होने लगा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों इलेक्शन मोड के लिए गियर अप हो चुकी हैं। पहले रफ्तार कांग्रेस ने पकड़ी और प्रियंका गांधी यहां चुनावी आगाज करके जा चुकी हैं। अब बारी बीजेपी की है। बीजेपी के तीन तीन सूरमा अब मध्यप्रदेश का रुख करेंगे और सौगातों के और योजनाओं के ढेर लगा देंगे। चुनावी सीजन में इतनी उम्मीद तो की ही जाती है कि सत्ताधीश जब आम जनता के बीच आएंगे तो पिटारा खोलेंगे ही, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी का ये दौरा सिर्फ जनता को रिझाने के लिए नहीं है। उनके इस दौरे से बीजेपी को वो मुश्किल हल करनी है। जिसे करने में अब तक प्रदेश की सत्ता और संगठन दोनों सिरे से नाकाम रहे हैं।



इस महीने मोदी, शाह और नड्डा का कार्यक्रम एक दो दिन के अंतराल पर है 



केंद्र में मोदी  सरकार के नौ साल पूरे होने की उपलब्धि पूरे देश में जोर शोर से मन रही है। चुनाव से महज पांच महीने दूर एमपी को भी उस वक्त का शिद्दत से इंतजार था जब यहां भी नौ साल के बहाने जोर शोर से चुनावी आगाज होगा। वैसे पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा का लगातार आना जाना जारी है, लेकिन इस महीने में उनका दौरा बेहद खास माना जा रहा है। सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं अमित शाह और जेपी नड्डा का भी कार्यक्रम एक दो दिन के अंतराल पर ही है। शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से होगी 22 जून से, वो बालाघाट  आएंगे। इसके बाद पीएम मोदी 27 जून को धार और भोपाल आएंगे। 30 जून को जेपी नड्डा मध्यप्रदेश में होंगे। राजधानी भोपाल में ही उनकी व्यस्तताएं रहेंगी।



संगठन पूरी ताकत लगाकर भी कुछ कमाल नहीं दिखा पा रहा है



तकरीबन एक हफ्ते या आठ दिन में बड़े नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे, तूफानी तैयारी और खचाखच भरी रैलियां, रोड शो और सभाएं। बीजेपी को चार्ज करने के लिए इसी एनर्जी की जरूरत है। खासतौर से कार्यकर्ताओं में। क्योंकि, इस काम में सत्ता और संगठन पूरी ताकत लगाकर भी कुछ कमाल नहीं दिखा पा रहा है। जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस कदर बताई जा रही है कि तालमेल बिगड़ा हुआ है। अब उसी तालमेल को फिर साधने के लिए पीएम मोदी के दौरे के साथ बड़ी रणनीति तैयार की गई है। जो काम शिवराज के फेस से नहीं हुआ अब उसे पीएम मोदी की लोकप्रियता के बूते किया जाएगा। इस उम्मीद के साथ की कार्यकर्ता एक बार रिचार्ज हआ तो लोकसभा इलेक्शन तक उसकी एनर्जी बरकरार रहेगी। महिला वोटर्स के लिए खजाने का मुंह खोल चुकी बीजेपी अब इन आठ दिनों में कार्यकर्ता के अलावा एक नए तबके को रिझाने में भी एड़ी चोटी का जोर लगाने वाली है।



मोदी से लगभग ढाई हजार कार्यकर्ता भोपाल में उनसे सीधे रूबरू होंगे



अपने भोपाल दौरे में पीएम मोदी देशभर के एक-एक बीजेपी कार्यकर्ता से मुखातिब होंगे, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए। प्रदेश के 64 लाख सौ बूथों के कार्यकर्ताओं के अलावा तकरीबन ढाई हजार कार्यकर्ता भोपाल में उनसे सीधे रूबरू होंगे। हर बूथ पर इस कॉन्फ्रेंसिंग का लाइव टेलिकास्ट या स्ट्रीमिंग होगी। ताकि कार्यकर्ता पूरी ऊर्जा से लबरेज होकर मैदान में उतर सकें। माना जा रहा है कि इसके बाद कार्यकर्ताओं की उदासीनता काफी हद तक कम हो जाएगी। इस काम के लिए बीजेपी के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी से लेकर मंत्री और विधायक तक जोर लगा रहे हैं। खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने तरीकों से कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश में हैं लेकिन हर प्रयास बेअसर रहा। अब सारी उम्मीदें पीएम मोदी के संबोधन से जुड़ी हैं।



आदिवासी वर्ग की 47 सीटों में से कांग्रेस ने 31 और बीजेपी ने 15 सीटें जीती थीं



कार्यकर्ताओं की नाराजगी के अलावा आदिवासी वोटर्स को रिझाने का भी ये मास्टरप्लान कहा जा सकता है। प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 31 और भाजपा ने 15 सीटें जीती थीं। खरगोन जिले की भगवानपुरा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी केदार डावर जीते थे। छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, बैतूल, झाबुआ, आलीराजपुर, खरगोन, धार, बुरहानपुर, रतलाम, कटनी और अनूपपुर जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह भाजपा ने शहडोल, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, जबलपुर और हरदा जिले में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब दिग्गजों के दौरे इस तरह प्लान किए जा रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा फोकस आदिवासी सीटों पर ही हो। ताकि कांग्रेस की ताकत को कम किया जा सके। 



इन दिग्गजों के बीच राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी भी 20 जून को जगन्नाथ रथयात्रा निकालने वाले हैं। एक  लाख लोगों के शामिल होने के बीच इस रथ यात्रा से मालवा और निमाड़ के बड़े हिस्से पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।



दिग्गज चुनावी मोड ऑन तो करेंगे, लेकिन क्या ये बरकरार रहेगा 



इंटरनल सर्वे की रिपोर्ट के बाद छाई मायूसी के बादल, इन सभाओं के बाद छंटने की पूरी उम्मीद है। दिग्गज आकर चुनावी मोड ऑन तो कर जाएंगे इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन उसे बरकरार रखने की जिम्मेदारी फिर शिवराज और वीडी शर्मा और दूसरे पदाधिकारियों की होगी। ये देखना भी दिलचस्प होगा कि दिग्गजों के जाते ही क्या खुमारी उतर जाती है और फिर वही बासे भाषणों के साथ बीजेपी के नेता पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं। अगर पहली पंक्ति में ताजगी बरकरार रही तो संभव है कि बीजेपी के कुछ नए इंटरनल सर्वे बेहतर नतीजों के साथ सामने आएं।


Madhya Pradesh BJP मध्यप्रदेश बीजेपी Shivraj's help PM Modi is coming to MP will focus on solving two big problems? शिवराज की मदद मप्र आ रहे हैं पीएम मोदी दो बड़ी समस्याएं दूर करने पर होगा फोकस?