Bangaluru. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कर्नाटक के बीदर में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बार बीजेपी सरकार। यह चुनाव कर्नाटक को देश में नंबर-1 राज्य बनाने का चुनाव है। कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने मुझे 91 बार गाली दी, लेकिन हर बार जनता ने उन्हें नकार दिया।
कांग्रेस ने महापुरुषों को गालियां दीं- मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'कांग्रेस हर उस व्यक्ति से नफरत करती है जो सामान्य मानवी की बात करता है, जो उनके भ्रष्टाचार को सामने लाता है, जो उनकी स्वार्थ भरी राजनीति पर प्रहार करता है। बड़े से बड़े महापुरुष उनकी गालियों के शिकार हुए हैं। जब मैं ये देखता हूं, तो सोचता हूं चलो मैं अकेले नहीं हूं गाली खाने वाला। उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर और वीर सावरकर जैसे महापुरुषों को गालियां दीं, वहीं वो मोदी को देते हैं। मैं इसे उपहार मानता हूं। कांग्रेस गालियां देती है, लेकिन मैं जनता के लिए काम करता रहूंगा। जनता के समर्थन से गालियां मिट्टी में मिल जाएगी। मुझे कर्नाटक के लिए और सेवा करनी है। कर्नाटक के विकास के लिए पूर्ण बहुमत की स्थायी सरकार चाहिए।
भारत की राजनीति में पिछले 16 सालों में 4 चुनाव में विवादित टिप्पणी ने जीत-हार तय करने में बड़ी भूमिका निभाई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कर्नाटक चुनाव में खड़गे का बयान कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा? जानें कब-कब चुनाव में जुबान फिसलना राजनीतिक दलों के लिए संकट बना...
1. जब अटल बिहारी वाजपेयी हार गए थे चुनाव
1962 और देश में तीसरे आम चुनाव की घोषणा हो गई थी। जनसंघ के टिकट पर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से अटल बिहारी वाजपेयी मैदान में थे। वाजपेयी 1957 में इस सीट से कांग्रेस के हैदर हुसैन को हरा चुके थे। जवाहर लाल नेहरू ने वाजपेयी को हराने के लिए सुभद्रा जोशी को मैदान में उतारा। जोशी बलरामपुर में सक्रिय हो गईं और प्रचार करने लगी। जोशी क्षेत्र में बारहों मास, तीसों दिन (12 महीने और 30 दिन) सेवा करने का संकल्प ले रही थी।
सुभद्रा जोशी पर पलटवार के दौरान ही वाजपेयी की जुबान फिसल गई और उन्होंने कह दिया कि महिलाएं महीने में कुछ दिन सेवा नहीं कर सकतीं, फिर सुभद्रा जी कैसे हमेशा यहां सेवा करने का दावा कर रही हैं? जोशी और कांग्रेस ने इसे महिला अपमान से जोड़ दिया। वाजपेयी सफाई देते रहे, लेकिन कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने में सफल रही. चुनाव के जब नतीजे आए तो अटल बिहारी 2057 वोटों से हार चुके थे। हालांकि, 1967 के चुनाव में वाजपेयी ने सुभद्रा जोशी को भारी मतों से हराया था।
2. 2007 में सोनिया गांधी का विवादित बयान
गुजरात में 2007 में चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में मौत का सौदागर शब्द का प्रयोग किया। सोनिया के इस बयान को बीजेपी में गुजरात अस्मिता से जोड़ा और मुद्दा बना दिया। सोनिया गांधी ने यह बयान गुजरात दंगे के संदर्भ में दिया था। मोदी के खिलाफ मौत का सौदागर वाला यह बयान गुजरात चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ा। कांग्रेस 59 सीटों पर सिमट गई, जबकि बीजेपी को रिकॉर्ड 117 सीटें मिली। चुनाव में जीत के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
3. मणिशंकर अय्यर के बयान ने कांग्रेस को डुबोया
गोवा अधिवेशन के बाद बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम का दावेदार घोषित कर दिया। इधर, कांग्रेस भी चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए एक बैठक बुलाया। इसी बैठक में कांग्रेस के दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर ने एक विवादित बयान दे दिया। अय्यर ने कहा कि मोदी का दिल्ली में कोई काम नहीं है, अगर वे चाय बेचने आना चाहते हैं तो बेशक आ जाएं। बीजेपी ने अय्यर के इस बयान को चाय वालों की बेइज्जती से जोड़ दिया। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने चाय पर चर्चा और चाय वाला पीएम जैसे कैंपेन की शुरुआत की। अय्यर का बयान कांग्रेस को 44 सीटों पर पहुंचा दिया। बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आ गई।
4. भागवत और मोदी का बयान पड़ा भारी
2014 में लोकसभा चुनाव और उसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड समेत कई राज्यों में जीतने के बाद बीजेपी को बिहार में बड़ा झटका लगा था। दरअसल, बिहार चुनाव 2015 में लालू यादव और नीतीश कुमार की पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इसी बीच नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार के राजनीतिक डीएनए पर सवाल उठाया। इधर, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कह दी। महागठबंधन ने दोनों बयान को जमकर भुनाया।
नीतीश कुमार और उनकी पार्टी डीएनए के बयान को लेकर एक अभियान भी चलाया। इसके तहत बिहार के लोगों से नाखून और केस काटकर उसे जमाकर दिल्ली भेजने की बात कही। पूरे बिहार चुनाव में डीएनए और आरक्षण का मुद्दा छाया रहा, जिसका नुकसान बीजेपी को चुनाव में हुआ। चुनाव में बीजेपी गठबंधन 60 से भी कम सीटों पर सिमट गई। महागठबंधन 175 सीटों पर जीत दर्ज कर बीजेपी का विजयी रथ रोक दिया।
5. अय्यर के बयान ने दोबारा कांग्रेस में डेंट लगाया
2017 में गुजरात का चुनाव बीजेपी के लिए काफी कठिन हो गया था। पहली बार कांग्रेस गुजरात में मजबूती से लड़ रही थी। पटेल आंदोलन की वजह से बीजेपी का समीकरण भी गड़बड़ हो गया था। चुनाव में हार की स्थिति को देखते हुए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी कमान संभाली। इसी बीच मणिशंकर अय्यर ने मोदी पर विवादित बयान दे दिया। अय्यर ने कहा- ये आदमी बहुत नीच किस्म का है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है और यह किसी भी मौके पर गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आता।
अय्यर के बयान को बीजेपी ने ओबीसी के अपमान से जोड़ दिया। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जनता इसका जवाब देगी। अय्यर का यह बयान कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। करीबी मुकाबले में 99 सीटें जीतकर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई।
6. दिलीप घोष की ममता पर विवादित टिप्पणी
2021 के बंगाल चुनाव के वक्त नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी का पांव फ्रैक्चर हो गया। डॉक्टरों ने ममता के पांव पर प्लास्टर बांध दिया। प्लास्टर बंधे होने की वजह से उन्होंने व्हीलचेयर से चुनाव प्रचार करना शुरू कर दिया।
इसी बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर विवादित बयान दिया। घोष ने कहा कि उनको चोटिल पैर दिखाना है तो बरमूडा-शॉर्ट्स पहनना चाहिए। घोष के इस बयान पर तृणमूल ने महिलाओं का अपमान बताया। इस बयान पर जब बवाल हुआ तो घोष सफाई देने लगे, हालांकि तृणमूल इसे मुद्दा बनाने में कामयाब रही। बंगाल चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई और ममता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने में सफल रही।