दिल्ली के लुटियंस जोन में कब-कब हुई बंगलों पर सियासत, जानिए किन-किन नेताओं से सरकार ने खाली कराए बंगले

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The Sootr
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दिल्ली के लुटियंस जोन में कब-कब हुई बंगलों पर सियासत, जानिए किन-किन नेताओं से सरकार ने खाली कराए बंगले

NEW DELHI. एक बार फिर लुटियंस दिल्ली का एक सरकारी बंगला सुर्खियों में है। इस बंगले के सुर्खियों में रहने की वजह है कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी और वो बंगला है 12 तुगलक लेन पर स्थित है, पिछले करीब 20 साल से कांग्रेस का शक्ति केंद्र रहे इस बंगले को लोकसभा सचिवालय की हाउसिंग कमेटी ने राहुल गांधी से खाली करवाने का नोटिस जारी कर दिया है।



कांग्रेस सेवादल ने उठाए सवाल



मानहानि मामले में सजा के ऐलान के बाद राहुल गांधी को बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया है। राहुल के साल 2004 में अमेठी से सांसद चुने जाने के बाद मनमोहन सरकार ने 12 तुगलक लेन का बंगला आवंटित किया था। 12 तुगलक लेन का बंगला टाइप-8 की श्रेणी में आता है, जिसे बेहतर सुविधा से लैस आवास माना जाता है। हालांकि राहुल के बंगला खाली करने के नोटिस पर सियासत तेज हो गई है। दिल्ली कांग्रेस सेवा दल के अकाउंट से तो बकायदा एक ट्वीट किया गया है। इस नोटिस में  लिखा है कि हिंदुस्तान के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद देश के विकास के लिए अपनी पैतृक संपत्ति में से 98 फीसदी हिस्सा यानी करीब 196 करोड़ रुपए का दान किए थे। आज उसी नेता के वंशज को मोदी सरकार से बंगला खाली करने को नोटिस दिया हुआ है।



आपको बता दें कि बंगले पर राजनीति पहली बार नहीं हो रही है। आखिर लुटियंस दिल्ली का एक सरकारी बंगला इन दिनों क्यों सुर्खियां बटोर रहा है। और आजादी के बाद से कई नेताओं का बंगला खाली करना देशभर में क्यों चर्चाओं का विषय बनता रहा है। आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही किस्से..



ब्रिटिश शिल्पकार एड्विन लैंडसियर लुटियंस का कहानी



कलकत्ता से नई दिल्ली को राजधानी बनाए जाने के ऐलान के बाद साल 1912 में ब्रिटिश शिल्पकार रहे एड्विन लैंडसियर लुटियंस ने नई दिल्ली का नक्शा तैयार किया था। इस नक्शे के हिसाब से राजधानी दिल्ली साल 1922 तक पूरी तरह तैयार हो गई थी। जिस इलाके को  ब्रिटिश शिल्पकार ने डिजाइन किया था उसे आज लुटियंस दिल्ली के नाम से जाना जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक लुटियंस दिल्ली में करीब 1000 बंगले अभी हैं, जिसमें से 65 प्राइवेट है। बाकी के बंगले में सरकार के अधिकारी और सांसद-मंत्री रहते हैं। इन बंगलों में सबसे मुख्य टाइप- 8 का सरकारी बंगला है। इसके साथ ही इस इलाके में संसद भवन, राष्ट्रपति हाउस, प्रधानमंत्री निवास, उपराष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर आवास जैसे आलिशान घर भी बनाए गए हैं।



पूर्व पीएम को बंगला करना पड़ा था खाली, समान सहित सड़क पर आए थे नजर



देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री का जिम्मा संभाल चुके गुलजारी लाल नंदा कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। साल 1977 में कांग्रेस पार्टी ने नंदा को चुनावी टिकट नहीं दिया, जिससे नाराज होकर नंदा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद नंदा दिल्ली में ही एक किराए के घर में रहने लगे। एक वरिष्ठ बताते हैं कि- साल 1993 में मुझे एक दिन जानकारी मिली कि एक नेता को मकान मालिक ने किराया नहीं देने पर घर से निकाल दिया है, जिसके बाद वे सामान के साथ सड़क पर डेरा डाले हैं। जानकारी मिलने के बाद दक्षिणी दिल्ली के उस कॉलोनी गया तो नंदा साहब सड़क पर बैठकर चाय पी रहे थे। पूर्व पीएम का मामला था तो अखबार में एक खबर पब्लिश हुई। अगले दिन कई बड़े अंग्रेजी अखबारों में भी ये खबर छपी और सियासी गलियारों में सनसनी मच गई। 



यूपी की पू्र्व सीएम को किराए के मकान में पड़ा था रहना



यूपी की सीएम का पद संभाल चुकी और पूर्व सांसद  सुचेता कृपलानी अंतिम समय में किराए के घर में रहने को मजबूर हुई थीं। साल 1971 के चुनाव में सुचेता और उनके पति जेपी कृपलानी दोनों चुनाव हार गए। इसके बाद ग्रीन पार्क में दोनों एक किराए के घर में रहने लगे। ग्रीन पार्क स्थित उनके इस मकान का किराया करीब 850 रुपए था।



32 साल बाद रामविलास पासवान के परिजन को खाली करना पड़ा था बंगला



सरकार कोई भी हो खनिज मंत्री केंद्र सरकार में तय माना जाता था। और वो खनिज मंत्री होते थे रामविलास पासवान। पासवान बिहर सांसद चुनकर आते थे। साल 1990 में लुटियंस दिल्ली का 12 जनपथ बंगला पासवान को अलॉट किया गया था। पासवान उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे। इसके बाद 2022 तक हर सरकार में उनके नाम पर यह बंगला रहा।  साल 2009 में जब रामविलास पासवान लोकसभा का चुनाव हार गए और उसके बाद से ही बंगले को खाली करने की अटकलें बाजार में आने लगी। लेकिन बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले लालू ने अपने कोटे से पासवान को  राज्यसभा भेज दिया और बंगला बच गया। साल 2020 में पासवान के निधन के बाद एक बार पिर बंगले को लेकर संग्राम शुरु हो गया।आखिरकर मार्च 2022 में चिराग पासवान को यह बंगला खाली करना पड़ा।



शरद यादव को भी खाली करना पड़ा था बंगला



राज्यसभा की सदस्यता जाने के बाद जून 2022 में शरद यादव को दिल्ली स्थित 7 तुगलक लेन का बंगला खाली करना पड़ा था। बंगला खाली करते वक्त शरद यादव ने कहा था कि देश के लिए हुए कई अहम आंदोलनों का केंद्र ये आवास रहा है। दरअसल, साल 2017 में जेडीयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए शरद यादव की सदस्यता रद्द करवा दी थी। अटल सरकार में शरद यादव को 7 तुगलक लेन वाला बंगला आवंटित हुआ था। शरद यादव करीब 6 बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और एक बार राज्यसभा के सांसद रहे। लेकिन बंगाल शरद को यादव को फिर भी खाली करना पड़ा था।



कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से भी खाली करवाया बंगला



साल 2020 में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को दिल्ली के ही लुटियंस में एक बंगला आवंटित था। इस बंगले को लेकर सियासत तेज हो गई थी। और 35 लोधी एस्टेट वाले इस बंगले को खाली करने के लिए प्रियंका को नोटिस भेजा गया था। उस वक्त कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस का कहना था कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सरकार ने बंगला अभी भी दे रखा है, जबकि वो गैरकानूनी है। प्रियंका गांधी को 21 फरवरी 1997 में लोधी एस्टेट स्थित बंगला अलॉट हुआ था। उस वक्त उन्हें एसपीजी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। प्रियंका बंगला खाली करने के बाद एक निजी आवास में अभी रह रही हैं।



सरकार कैसे करती है बंगला अलॉट?



दिल्ली में सरकारी बंगला को मूलत: 8 भागों में बांटा गया है। इसमें 1 से लेकर 4 टाइप तक के बंगला को सरकारी कर्मचारियों को अलॉट किया जाता है। टाइप फाइव से लेकर सेवन तक सांसदों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर मिले हैं, जबकि टाइप आठ का बंगला केंद्रीय मंत्री, पूर्व पीएम, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के जजों को आवंटित किया जाता है।



आडवाणी-जोशी से सुरक्षा कारणों के चलते नहीं खाली करवाया बंगला



जब प्रियंका को बंगला खाली करने के लिए नोटिस दिया गया था तो उसके बाद आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के बंगले को लेकर  विवाद बढ़ गया था। इस मामले पर गृह-मंत्रालय ने सुरक्षा का हवाला दिया था। मंत्रालय का कहना था सुरक्षा कारणों से उनका बंगला नहीं खाली कराया गया है। इससे ये माना जा सकता है कि विशेष केस केंद्रीय सरकार किसी को भी बंगला प्रदान कर सकती है। इन सभी सांसदों को जो सरकारी आवास आवंटित किए जाते हैं उसमें कई तरह की सुविधाएं होता है। जैसे इन्हें सालाना 4 हजार लीटर पानी और 50 हजार यूनिट तक की बिजली का मुफ्त उपयोग करने की पात्रता होती है।अगर किसी नेता को ज्यादा पानी या बिजली की जरुरत पड़ती है तो अगले साल के कोटे में एडजस्ट किया जाता है।



 मोदी सरकार ने बनाया था सख्त नियम



साल 2019 में मोदी सरकार ने बंगला खाली कराने को लेकर सख्त नियम लागू किया था। मोदी सरकार ने साल 2019 में सार्वजनिक परिसर बेदखली अधिनियम लागू किया था। इस अधिनियम के तहत नोटिस मिलने के बाद अगर कोई नेता 8 महीने तक बंगला खाली नहीं करते हैं, तो उनसे 10 लाख रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा। इसके साथ ही सरकार नोटिस मिलने के तय समय के बाद जबरदस्ती बंगला खाली करवा सकती है। हालांकि यहां भी सरकार अपने हिसाब से ही फैसले करती नजर आती है।  कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद को आज तक बंगला खाली करवाने को नोटिस नहीं दिया गया है जबकि आजाद 2022 में ही राज्यसभा से रिटायर हो गए थे, इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तंज भी कसा था।


Congress leader Priyanka Gandhi कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी India PM Gulzari Lal Nanda Former Union Minister Ram Vilas Paswan Former UP CM Sucheta Kriplani Lutyens Zone of Delhi भारत के पीएम गुलजारी लाल नंदा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान यूपी की पूर्व सीएम सुचेता कृपलानी दिल्ली का लुटियंस जोन