आखिर ये जय-वीरू नाम दिया किसने था, प्रयागराज वाले अतीक ने रायपुर में किसे तमंचा सटाया था, बाकी मंत्रालय में सब ठीक-ठाक है?

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Yagyawalkya Mishra
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आखिर ये जय-वीरू नाम दिया किसने था, प्रयागराज वाले अतीक ने रायपुर में किसे तमंचा सटाया था, बाकी मंत्रालय में सब ठीक-ठाक है?

ये जय-वीरू नाम दिया किसने था





बात होगी 2017-18 की, सिंहदेव और भूपेश बघेल की जोड़ी को जय-वीरू का नाम कोई तपस्वी टिका गया। अब जाकर समझ आता है कि जो भी था गजब दूरंदेशी सिद्ध तपस्वी था। शोले के 2 किरदार में एक रह जाता है एक गुजर लेता है, सोचिए उस तीरंदाज को क्या गजब दूर का निशाना एकदम सटीक लगाया उसने। लेकिन बसंती की मौसी जितना वीरू को जान पाई यह बात उस तीरंदाज को भी पता थी क्या ? अब मिले तब तो पूछें, अभी तो यही नहीं पता नाम कौन टिका गया है। लेकिन देश है सिद्ध तपस्वियों का, पक्का कोई न कोई तपस्वी तो रहा ही होगा। सिद्ध भी ऐसा कि यह भी उसने आने वाले वक्त के लिए छोड़ दिया कि समझते-समझते समझ आए कि कौन वीरू हुआ कौन जय बनकर खेत रहा..





कांग्रेसी धरना! व्हाट एन आइडिया सर जी





कांग्रेसियों ने ईडी कार्यालय के बाहर धरना शुरू किया। धरना तो धरना साथ ही साथ लंगर भी खोल दिया। जो आए पूड़ी सब्जी खाकर जाए। ये कांग्रेस के विरोध का अपना तरीका है। लेकिन इससे एक पंथ कई काज निपट गए। कौन ईडी के दफ्तर गया, जब गया तो कितना मायूस था लौटा तो कितना गुमसुम था। हलाकान परेशान हैरान कितना ये पैरामीटर भी सहजता से पता चल जा रहा था। दरअसल जिस पार्टी की सरकार होती है तो सब नेता होते हैं। अब नेता होते हैं तो अपने-अपने कंघे, अपनी-अपनी खुजली, तो इसमें बुरा क्या गलत कैसा ? पत्रकार हर बार विश्वसनीय सूचनाएं ही नहीं बल्कि फोटो व्हाट्सएप में लेकर लंगर से लौटे।





प्रयागराज वाले अतीक ने रायपुर में किसे तमंचा सटाया था





प्रयागराज यानी इलाहाबाद वाले अतीक अहमद लंबे जेल प्रवास के पहले रायपुर पधारे थे। बताने वाले बताते हैं कि कोई जमीन का मसला था, जमीन अतीक की थी, कोई जमीन का कुटीर उद्योग चलाने वाला जानकारी रखता नहीं था, सो कब्जे की भैंस बांध गया। किस्सा कित्ता सच्चा ये तो पता नहीं, अब भला अतीक से पूछने कौन जाए पर किस्सा जो आया है वह यह है कि किसी चर्चित मोहल्ले में अतीक पहुंचे वहां वो कब्जे की भैंस बांधने वाला बंदा भी पहुंचा। गमछा लमेट सिर पर टोपी लगाए अतीक ने उसे बुलाया और बिलकुल गैंग्स ऑफ वासेपुर के सरदार खान के अंदाज में कहा- सुनोऽऽऽ.. फिर इलाहाबाद के लहजे में परिवार की खैरियत पूछी और उसके बाद उस जमीन के धंधेबाज ने कभी पलटकर जमीन को नहीं देखा।





बाकी मंत्रालय में सब ठीक-ठाक है





मन होता है बावरा.. चंचल होता है मन.. अब ईडी शिकारी पंछी की तरह डोलता फिरे तो भला मन लगे भी तो कैसे ? मंत्रालय का हाल भी वैसा ही है.. साहब लोग फाइल को देखते हैं, कलम उठाते हैं और फिर ये सोचकर रख देते हैं दस्तखत की जल्दी क्या है.. अब तक जो गए या चला चली की बेला में हैं उन बेचारों ने भी तो बस दस्तखत ही किए थे।





कहीं सही में किसानों के नाम आ गए तो..





विधानसभा में बीजेपी ने कहा है कि गिरदावरी के नाम पर वो खेल हुआ है कि किसानों के खेत ही गुम हो गए हैं। किसान पूछ रहे हैं “मोर खेत गंवा गे रिपोर्ट कहां लिखांव”.. नेता प्रतिपक्ष की बात पर मिसरी भइया याने रविंद्र चौबे ने चुनौती दे दी एक भी किसान ऐसा हो तो बता दीजिए। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने छूटते कहा एक नहीं 10 बता दूंगा। तभी धरमलाल जी की आवाज गूंजी, उन्होंने कहा संसदीय कार्य मंत्री जी हम तो उनके नाम भी बता देंगे जो पिछली बार धान बेचे थे लेकिन इस बार उनका खेत भी गायब हो गया। अब बीजेपी कहीं सही में नाम उठा लाई तब क्या होगा ?





नदिया का मसला और धान का टारगेट





विधानसभा में बीजेपी ने सीएम साहब की तारीफ में 2 बातें बताई हैं। पहला तो ये कि सीएम साहब से जो कोई मांगता है, सीएम साहब दे देते हैं, सरगुजा तरफ किसी ने सीएम साहब से कहा हमर यहां नदिया नई है तो सीएम साहब बोल दिए-बनवा देहूं.. अब गांव इंतजार कर रहा है कि सीएम साहब बोले हैं तो नदी आएगी ही। दूसरी तारीफ धान खरीदी को लेकर हुई है। बीजेपी ने माना कि कोई मीटर तो है ऐसा कि जितने का भी टारगेट रखते हैं, धान की खरीदी उतनी हो जाती है।





मिनिस्टर सर, ये लोग फंसा रहे हैं आपको





बस्तर से आते मंत्री जी ने प्रेस से कहा है कि अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान क्यों आ रहे हैं यहां केवल छत्तीसगढ़िया चलता है। अब पलट के सवाल आ गया कि राहुल गांधी क्या रायगढ़ से और प्रियंका जी कोरबा से आई थीं ? मिनिस्टर सर दारु के साथ चना महात्म्य में विषय विशेषज्ञ हैं, खबरनवीस उलझा दे रहे हैं सर को।





प्रतिक्षण गरीबी से लड़ती इन 2 महिला अधिकारी को 2 तोला नमन





सूबा थोड़ा बड़ा है पर इतना भी बड़ा नहीं कि प्रतिभा है तो पता ना चले। अब राजस्व महकमे और पुलिस महकमे की इन 2 “मैडम सर” को ही ले लीजिए। दोनों फील्ड में तैनात हैं। दोनों को लेकर खबरें हैं कि एक क्षण जाया नहीं करती, दोनों ही प्रत्येक क्षण गरीबी से पूरी ईमानदारी से लड़ने में गुजार रही हैं। गलत भी नहीं है, इस देश में तो गरीबी हटाओ अभियान तक चला है।





सुनो भई साधो





1. सीएम बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने नेता प्रतिपक्ष चंदेल के व्यक्तव्य को आइडिएल बताते हुए तारीफ की तो कई सीनियर मुस्कुरा क्यों रहे थे ?





2. सिंहदेव के होली मिलन समारोह में भजिया ही मेन डिश क्यों रहती है ?



BJP सीएम भूपेश बीजेपी कांग्रेस CM Bhupesh CONGRESS छत्तीसगढ़ की राजनीति नारायण चंदेल Narayan Chandel Politics of Chhattisgarh