छत्तीसगढ़ में ED ने किया ''खेला होबे'', मंत्री टीएस सिंहदेव ने जो हौले से कहा उसे किसने सुना; कौन भांटो हैं और कौन साले साहब

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Yagyawalkya Mishra
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छत्तीसगढ़ में ED ने किया ''खेला होबे'', मंत्री टीएस सिंहदेव ने जो हौले से कहा उसे किसने सुना; कौन भांटो हैं और कौन साले साहब

इस बार धोखा करारा हो गया



ईडी ने इस बार शराब लॉबी पर शिकंजा कसा है। इसकी जद में इस बार ऐसे लोग आ गए जिन्हें लेकर सरकार संवेदनशील नहीं बल्कि अति संवेदनशील होती है। यही वजह है कि समूचे तंत्र की कसरत हर बार ये जानने में लगती थी कि फलां के यहां तो नहीं जा रहे। दांव पर छत्तीसगढ़ पुलिस की साख पर भी थी, तारीफे काबिल मसला था कि किधर 'छापा' ये पहले पता चल जाता था। ईडी ने लेकिन इस बार 'खेला होबे' कर दिया। ईडी ने 48 घंटे के भीतर लगातार छापे मारे, पहले दिन के छापे से सारे अति संवेदनशील 'रिलेक्स' मोड में आ गए। यहीं चूक हो गई। ईडी ने इस बार छापे कब कहां और कैसे ये जानकारी हमराह केंद्रीय सुरक्षाबलों को भी नहीं दी। ये 'खेला होबे' इससे भी ज्यादा घातक अंदाज में दिखने के संकेत हैं।



नक्सली किस वायदे की बात करते थे



नक्सली विज्ञप्ति जारी करते रहते हैं, लेकिन इन दिनों उसमें एक वाक्य गोल है। जिसमें वो वादा नहीं निभाने की बात लिखते थे। ये पता ही नहीं चला कि नक्सली किस 'वादे' की याद दिलाते थे। ये पता चलता तो ये भी दिमाग लोग लगाते कि आखिर 'वादा' किसने किया होगा।



दावा शाह जी ने किया और कांड नक्सली कर रहे हैं



बस्तर की बात चली तो ध्यान दीजिए,जंगल में कुछ अजब-गजब हो रहा है। हालिया दिनों बस्तर पहुंचने के पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2024 को लेकर जो दावा किया उसका लब्बोलुबाब था कि नक्सली हिंसा पर प्रभावी नियंत्रण होने वाला है, मानिए कि सूपड़ा साफ, लेकिन बस्तर में माओवादी धूम-धड़ाम कर रहे हैं। अजब-गजब यहीं तक नहीं है, बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने केंद्रीय गुप्तचर एजेंसियों पर आरोप लगा दिए हैं। विधायक साहब की बात पर सीएम साहेब ने भी हुंकारी भरी है और कहा है ये सब ठीक नहीं है।



पत्ते में पत्ता तेंदूपत्ता



वन मंत्री हैं अकबर भाई। कोई तिया पांचा बर्दाश्त करते नहीं, लेकिन उन्हें बस्तर का सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता का आलम पता करना चाहिए। इस बार ठेके में कुछ गफलत का मसला जोर-शोर से गूंज रहा है। मसला रेट को लेकर बताया जा रहा है। बताते हैं कि रेट कम आने पर कभी ठेके कैंसल करने वाले विभाग ने इस बार नवाचार कर दिया है। विरोधियों का फर्जी प्रचार तंत्र भी हो सकता है, लेकिन फिर भी उन्हें ध्यान देना चाहिए।



भांटो के साथ खेल हुआ या भांटो वाकई भूल गए हैं



छत्तीसगढ़ की सियासत में ईडी के हालिया शराब लॉबी पर छापेमारी के बीच भांटो का जिक्र आ गया है। छत्तीसगढ़ में भांटो का मतलब है जीजा जी। लिकर लॉबी पर कार्रवाई के बीच सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार की एक सरकारी चिट्ठी वायरल हो गई है जो भांटो को संबोधित है, जो बता रही है कि आपने 'त्रिपाठी' को लेकर जो पत्र लिखा था वो मिल गया है। अब इस कॉलम के सहाफी ने फोन सीधे भांटो को घुमाया और पूछा कि आपने कोई खत लिखा था क्या। जवाब जो आया उससे मसला ये सामने नुमाया हुआ है कि भांटों को याद ही नहीं आ रहा था कि कौन 'त्रिपाठी' और कैसा 'खत'। भांटो सरल सहज हैं, लेकिन सयाने उम्र के भी हैं। लाजिमी है कि सवाल कौंधे कि भांटो वाकई भूल जा रहे हैं या कोई धोखे से दस्तखत करा गया है। अब आप सोच रहे हैं कि भांटो कौन तो विधानसभा की कार्यवाही का रिकॉर्ड चेक करा लीजिए। पता लग जाएगा कौन विधायक भांटो है और कौन साले साहब। वैसे भांटो ने इस सहाफी को कहा है वे आज शाम तक बताएंगे कि खत का उनके पास रिकॉर्ड क्या है।



जंगल वाले साहेब के खिलाफ शिकायत



जंगल वाले एक बड़े साहब के खिलाफ एक शिकायत की खूब चर्चा है। बताते हैं कि शिकायतकर्ता ने राज्य की एक अहम एजेंसी को ही पूरा पुलिंदा थमा दिया है। हालांकि जंगल विभाग के बड़क्का दरोगा जी भी हल्लू-गल्लू है नहीं। सरकार की निगाहें करम नहीं, वो सरकार के आंखों के तारे हैं, लेकिन शिकायत भी तो है। वैसे साहब के शुभचिंतकों ने साहेब को बता दिया होगा कि, शिकायत ठोकने वाले के एक आईपीएस से करीबियत के रिश्ते हैं।



सिंहदेव ने जो हौले से कहा, उसे किसने सुना



सियासत का ककहरा रोज नए अर्थ लाता है, एक शब्द सुनने में चुके या समझने में गफलत हुई तो बड़ी चूक तय है। अपमान के बेहद कड़वे घूंट पीकर भी खामोश सिंहदेव क्या वाकई खामोश हैं ? मंत्री सिंहदेव ने हालिया दिनों 4 बातें कही हैं, पहला 75 पार का आंकड़ा मुख्यमंत्री जी ही लाएंगे, दूजा पीसीसी चीफ बदले जाने का मसला उनकी जानकारी में नहीं, तीसरा ये कि चुनाव में सरगुजा में क्या होगा ये फैसला मतदाता करेगा और चौथा ये कि जो आला कमान कहेगा वो वे करेंगे, लेकिन चौथी बात के साथ उन्होंने चार बार कहा है यदि मैं कांग्रेस में रहा तो! जिन्हें अब भी इन चार बातों में कुछ समझ नहीं आ रहा है तो उन्हें 'कैंडी क्रश' में बेहतरीन स्कोर पर ही ध्यान लगाना चाहिए।



जब ग्रुप का नाम ही महाभारत है तो फिर तो..



सत्ता से बीजेपी दूर है। संगठन के शीर्षस्थ समझा रहे हैं, डांट रहे हैं, लेकिन घमासान करने वालों को फर्क पड़े तब ना। बीजेपी कार्यकर्ताओं के कई व्हाट्सएप ग्रुप हैं, अब उसमें संगठन के मसले छोड़ 'हमसे बढ़कर कौन' का लय ताल चलते रहता है। राजधानी में एक भाई ने ग्रुप का नाम ही भाजपा महाभारत चक्रव्यूह लिख रखा है और उसमें रायपुर भाजपा जिलाध्यक्ष के खिलाफ ही मसला चल रहा है। संगठन के कर्ताधर्ताओं को और कुछ नहीं तो कम से कम ग्रुप के नाम तो बदलवाने चाहिए। आखिर नाम का भी तो असर होता ही है।



शौक-ए-दीदार अगर है तो नजर पैदा कर




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नीचे बीमा कंपनी और ऊपर ईडी का ऑफिस




बीमा जिंदगी के बाद भी जिंदगी के साथ भी। ये बात तो ठीक है, लेकिन ऊपर ईडी का ऑफिस हो और नीचे बीमा कंपनी का ऑफिस तो गुजरने वाला क्या-क्या सोचता होगा ? वैसे राजधानी का ईडी ऑफिस छत्तीसगढ़ का सबसे चर्चित केंद्र है। कुछ दिनों में हो सकता है लोग मेहमानों को दिखाने ले जाने लगे कि यही है ईडी ऑफिस।



सुनो भई साधो



1. आईपीएस डीएम अवस्थी को पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग पीएचक्यू में ओएसडी के पद पर मिल रही है। तनखा 2 लाख पार होगी। चुनावी बरस में भूपेश सरकार पीएचक्यू के इन ओएसडी साहब से ऐसा कौनसा काम कराएगी ?



2. कोयला घोटाला मामले में जेल में कैद किस आरोपी की ओर से दलील है कि खाते तक में पैसा नहीं मिला है, उसे फंसाया गया है, तो कपिल सिब्बल साहब जैसे बड़े वकील की फीस कौन दे रहा है ?


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