राहुल गांधी के बयान पर स्वत: संज्ञान ले सकती है विशेषाधिकार समिति, जानिए आखिर क्या है ये समिति और क्यों खास है इसकी भूमिका

author-image
The Sootr
एडिट
New Update
राहुल गांधी के बयान पर स्वत: संज्ञान ले सकती है विशेषाधिकार समिति, जानिए आखिर क्या है ये समिति और क्यों खास है इसकी भूमिका

NEH DELHI. लंदन में दिए गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण को लेकर संसद और संसद के बाहर बयानबाजी लगातार जारी है। बीजेपी सांसदों ने राहुल से माफी मांगने और उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग रखी है। अब इसी बयान को लेकर  राहुल गांधी की मुश्किल और बढ़ सकती है। सूत्रों की माने तो संसद की विशेषाधिकार समिति राहुल गांधी के भाषण के खिलाफ  स्वत: संज्ञान ले सकती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्या है संसद की विशेषाधिकार समिति, इसके काम क्या है, इसके पास क्या शक्तियां है और इसका महत्व इन सभी बिंदुओं के बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे।



वर्तमान में क्या है मामला



लंदन वाले बयान से पहले ही संसद की विशेषाधिकार समिति राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान राहुल गांधी के भाषण का मामला देख रही है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर समिति मामले को देख रही है। सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस को लेकर संसदीय समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था और उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी। 



लंदन में क्या बोले थे कांग्रेस सांसद राहुल



राहुल गांधी ने अपनी लंदन यात्रा के दौरान ब्रिटिश सांसदों से कहा था कि भारत की लोकसभा में विपक्ष के लिए माइक अक्सर खामोश करा दिए जाते हैं। उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि आरएसएस देश को लोकतंत्र पर हमला कर रही है। उन्होंने कहा था कि आरएसएस ने देश के संस्थानों पर कब्जा करके भारत में लोकतांत्रिक चुनाव की प्रकृति को बदल दिया है। इसके साथ ही साथ राहुल ने बीजेपी सरकार की अन्य नीतियों पर भी जमकर हमला बोला था।



विपक्षी दल राहुल की बात से सहमत नहीं



संसद में माइक बंद करने और सांसदों को नहीं बोलने देने वाले राहुल के बयान पर कांग्रेस को ज्यादा समर्थन मिलता नहीं दिखा। संसद में बोलने का मौका नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और डीएमके के टी आर बालू ने बैठक का बहिष्कार कर वॉक आउट भी कर दिया था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर बैठक में मौजूद जेडीयू और अन्य विपक्षी दलों ने इस आरोप का समर्थन नहीं किया। 



क्या होता है विशेषाधिकार हनन



जब कोई व्यक्ति या प्राधिकरण व्यक्तिगत रूप से संसद में सदस्यों और सामूहिक रूप से सभा के किसी विशेषाधिकार और अधिकार की अवहेलना करता है या उन्हें चोट पहुंचाता है तो इसे विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाएगा। सदन के दौरान अगर कोई सदस्य ऐसी टिप्पणी करता है जो संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाती हो तो ऐसी स्थिति में उस सदस्य पर संसद की अवमानना और विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई की जा सकती है।



विशेषाधिकार समिति क्या है?




  • अध्यक्ष या सभापति के पास यह तय करने के लिए दो विकल्प होते हैं कि कोई अधिनियम विशेषाधिकार का उल्लंघन है या नहीं। या तो वह यह निर्णय स्वयं ले सकता है या वे इस मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति के पास भेज सकते हैं।


  • लोकसभा के मामले में अध्यक्ष संबंधित दलों की संख्या के आधार पर 15 सदस्यों वाली विशेषाधिकार समिति को नामित करता है, जबकि राज्य सभा के मामले में, सभापति संबंधित दलों की संख्या के आधार पर 10 सदस्यों वाली विशेषाधिकार समिति को नामित करता है।

  • लोकसभा के अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापति इन समितियों द्वारा विशेषाधिकार प्रस्ताव पर प्रकाशित रिपोर्टों की सामग्री पर चर्चा करने के लिए 30 मिनट के लिए बहस की अनुमति देते हैं।

  • आखिरी में अध्यक्ष या सभापति निर्णय लेते हैं और अंतिम आदेश पारित करते हैं कि इन रिपोर्टों को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा या नहीं।

  • अंत में विशेषाधिकार हनन से संबंधित एक विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया जाता है जिसे उस सदन द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया जाना आवश्यक है।



  • कैसे होता है विशेषाधिकार समिति का गठन



    लोकसभा स्‍पीकर विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की जांच करने के लिए 15 सदस्यों की समिति का गठन करते हैं। यह कमेटी जांच करती है कि विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सही है या नहीं। विशेषाधिकार समिति अगर किसी भी सदस्य को विशेषाधिकार या अवमानना का दोषी पाती है तो वह सजा की सिफारिश कर सकती है।



    जानिए क्या है विशेषाधिकार से संबंधित नियम



    लोकसभा नियम पुस्तक के अध्याय 20 में नियम संख्या 222 और इसके बाद राज्यसभा की नियमपुस्तिका के अध्याय 16 में नियम 187 विशेषाधिकार को नियंत्रित करता है। इसके अनुसार सदन का सदस्य, अध्यक्ष या सभापति की सहमति से एक प्रश्न उठा सकता है। जिसमें सदन का या किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन का मामला शामिल है।



    कैसे लाया जाता है विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव 



    संसद में सदन के दौरान जब किसी सदस्य को लगता है कि कोई और सदस्य सदन में झूठे तथ्य पेश कर रहा है। सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन कर रहा है तो वह सदस्य विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश कर सकता है। विशेषाधिकारों का दावा तभी किया जाता है जब व्यक्ति सदन का सदस्य हो। जब वह सदस्य नहीं रहता है तो उसके विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है। विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने के लिए सांसद को लोकसभा के महासचिव को सुबह 10 बजे से पहले लिखित में सूचना जारी करनी होती है। अगर यह सूचना 10 बजे के बाद जारी होती है तो उसे अगले दिन की बैठक में शामिल किया जाता है। 

     


    Congress and BJP Privileges Committee of Parliament Ruckus on Rahul Gandhi statement Rahul spoke in debate on President address Congress leader Rahul Gandhi statement in London संसद की विशेषाधिकार समिति राहुल गांधी के बयान पर बवाल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस में बोले थे राहुल कांग्रेस नेता राहुल गांधी का लंदन में बयान कांग्रेस और बीजेपी में बयानबाजी