BHOPAL. राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने 23 मार्च को 2 साल की सजा सुनाई। इसको लेकर राहुल 3 अप्रैल को सूरत सेशंस कोर्ट में अपील भी कर चुके हैं। राहुल को सजा होने के ठीक दूसरे दिन यानी 25 मार्च को उनकी संसद की सदस्यता चली गई। 25 मार्च को राहुल प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, इसमें वे मुखरता से कहते हैं कि अडाणी की शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ डाले गए। ये कहां से आए। राहुल इस प्रश्न को लगातार दोहरा रहे हैं।
राहुल ने 2 अप्रैल को फेसबुक पोस्ट लिखा और वीडियो भी शेयर किया
प्रधानमंत्री जी, सवाल पूछे काफ़ी दिन हो गए! आपका जवाब अभी तक नहीं आया, इसलिए फिर से दोहरा रहा हूं।
- ₹20,000 करोड़ किसके हैं?
- LIC, SBI, EPFO में जमा लोगों का पैसा अडानी को क्यों दिया जा रहा है?
आपके और अडानी के रिश्ते का सच देश को बताइए!
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राहुल ने 4 अप्रैल को फिर पूछा, अडाणी की कंपनियों में कहां से पैसे आए?
राहुल गांधी से जर्नलिस्ट ने पूछा कि बीजेपी आप पर आरोप लगा रही है। राहुल कुछ आगे निकल गए थे, वे लौटकर आए और बोले कि आप बीजेपी की बात क्यों करते हैं। सवाल वही है कि अडाणी की कंपनी 20 हजार करोड़ किसके हैं?
सवाल वही कायम है- अडानी की शेल कंपनियों में '20 हजार करोड़' किसके हैं? pic.twitter.com/O4VVjCj3vE
— Congress (@INCIndia) April 4, 2023
25 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार के लिए तल्ख नजर आए थे राहुल
सांसदी जाने के एक दिन बाद (25 मार्च को) राहुल गांधी ने कहा था, 'मैं सवाल पूछना बंद नहीं करूंगा। अडाणी का नरेंद्र मोदी से क्या रिश्ता है? इन लोगों से मुझे डर नहीं लगता। अगर इनको लगता है कि मेरी सदस्यता रद्द करके, डराकर, धमकाकर, जेल भेजकर मुझे बंद कर सकते हैं। मैं हिन्दुस्तान के लोकतंत्र के लिए लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मैं संसद के अंदर हूं या बाहर हूं। मुझे अपनी तपस्या करनी है, मैं उसे करके दिखाऊंगा। ये मुझे मारें, पीटे या जेल में डालें, लेकिन मैं अपनी तपस्या जारी रखूंगा। यह पूरा ड्रामा है जो प्रधानमंत्री को एक साधारण सवाल से बचाने के लिए किया गया है। अडाणी की शेल कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपए किसके गए? मैं इन धमकियों, अयोग्यताओं या जेल की सजा से डरने वाला नहीं हूं।
राहुल के दावे का सोर्स क्या?
राहुल ने ये तो नहीं बताया कि उन्हें अडाणी की ये शेल कंपनियों में पैसे इन्वेस्ट करने की जानकारी कहां से मिली, लेकिन उन्होंने जो आरोप लगाए, वो हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट से मेल खाते हैं। हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स ने भारत के एफडीआई डेटा का एनालिसिस कर एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें दावा किया गया था कि हाल के सालों में अडाणी ग्रुप में जितना एफडीआई आया, उसका करीब आधा हिस्सा उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों से मिला। रिपोर्ट में दावा किया गया है, 'अडाणी और उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों ने 2017 से 2022 के बीच अडानी ग्रुप में कम से कम 2.7 अरब डॉलर का इन्वेस्ट किया गया।'
क्या कांग्रेस के पास सबूत हैं?
राहुल के आरोपों से जुड़े सबूतों के बारे में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने दावा किया कि राहुल गांधी ने जो दावे किए हैं, पार्टी के पास उसके पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार इन आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाने को राजी होगी, तब इन सबूतों को समिति के सामने पेश किया जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने कहा, अगर फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट और पब्लिक डोमेन में मौजूद फाइनेंशियल डेटा को देखें तो पता चलता है कि 2017 से 2022 के बीच अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों ने अडाणी ग्रुप में 2.6 अरब डॉलर का एफडीआई किया। ये 20 हजार करोड़ रुपए के आसपास बैठता है। इस पैसे का असली मालिक कौन है? राहुल गांधी यही सवाल कर रहे हैं।
यहां से बिगड़ी कहानी और विपक्ष को मौका मिला
टॉप पर बने थे अडाणी, 24 जनवरी काला दिन साबित हुआ, यहीं से शुरू हुआ आरोपों का दौर
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने 24 जनवरी को अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस रिपोर्ट में शेयरों की हेराफेरी से लेकर ग्रुप पर कर्ज के बारे में कई बड़े खुलासे किए गए थे। अडाणी की कंपनियों के शेयर धराशायी हो गए और अरबपतियों की लिस्ट (Billionaires List) में गौतम अडाणी टॉप-4 से लुढ़ककर 29वें पायदान पर पहुंच गए। बाद में अडाणी अरबपतियों की सूची में से 30वें नंबर से भी बाहर हो गए।
पिछले साल दुनिया के तमाम अमीरों की तुलना में अडाणी एक मात्र ऐसे अरबपति थे, जिन्होंने ताबड़तोड़ कमाई की थी। उन्होंने एलन मस्क, जेफ बेजोस से लेकर मुकेश अंबानी तक सभी को पीछे छोड़ते हुए सालभर में ही अपनी संपत्ति में 40 अरब डॉलर जोड़े थे। यही नहीं वे टॉप-10 अरबपतियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर पहुंच गए थे, हालांकि एक दिन बाद ही वे चौथे पायदान पर पहुंच गए। यही नहीं, उन्होंने नए साल की शुरुआत में भी अपनी सीट पर कब्जा जमाए रखा था।
20 हजार करोड़ का FPO वापस लेना पड़ गया
सितंबर 2022 में गौतम अडाणी की नेटवर्थ तेजी से बढ़ते हुए 150 अरब डॉलर पर जा पहुंची थी, जो साल के अंत तक इसी दायरे के आसपास रही। दिसंबर 2022 में उनकी कुल संपत्ति 138.1 अरब डॉलर दर्ज की गई थी। हालांकि, 2023 की शुरुआत में दूसरे अरबपतियों के साथ उन्हें भी मामूली उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। 23 जनवरी तक गौतम अडानी की नेटवर्थ करीब 121 अरब डॉलर पर थी, लेकिन इसके अगले ही दिन (24 जनवरी) ऐसा बम फूटा कि उसके विस्फोट की आंच में अब तक पूरा अडाणी साम्राज्य झुलस रहा है। हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के असर के चलते अडाणी को अपना 20 हजार करोड़ रुपए का फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) तक वापस लेना पड़ा। इसी पर विपक्ष निशाना साध रहा है।
अडाणी ग्रुप पर 88 सवाल
यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट से ग्रेजुएट नाथन एंडरसन की शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें में अडाणी ग्रुप को लेकर 88 सवाल उठाए गए थे। इसमें दावा किया गया कि अडाणी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड 7 प्रमुख कंपनियां 85 फीसदी से ज्यादा ओवरवैल्यूज हैं। इसमें आरोप लगाया गया कि अडाणी ग्रुप के शेयरों के भाव असली कीमत से 85% ज्यादा हैं। यानी अडाणी की कंपनी के शेयर वैल्यू 1000 रुपए है तो इस हिसाब से इस स्टॉक का असली भाव महज 150 रुपए ही होता है।
एक महीने में अडाणी के शेयर धराशायी
हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडाणी ग्रुप ने तुरंत ही 29 जनवरी को एक 400 पन्नों जवाब जारी कर सभी आरोपों को निराधार बताया था और कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही। हालांकि, ग्रुप का ये स्टेटमेंट भी निवेशकों के सेंटिमेंट पर कोई असर नहीं डाल सका। अडाणी के स्टॉक्स की वैल्यू 85% तक गिर गई। 24 जनवरी को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद का अडानी ग्रुप का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 100 अरब डॉलर के नीचे पहुंच चुका है और इसमें अब तक 133 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ चुकी है।
क्या है हिंडनबर्ग?
महज 9 लोगों की ये कंपनी, सिर्फ अडाणी ही नहीं, बल्कि ट्विटर समेत अब तक 16 बड़े कारोबारी समूहों को लेकर अपनी रिसर्च रिपोर्ट पेश कर चुकी है। 2017 में शुरू की गई इस अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग का कॉर्पोरेट सेक्टर में गलत कामों को खोजने और कंपनियों के खिलाफ दांव लगाने का ट्रैक-रिकॉर्ड है। फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का एनालिसिस करती है।