BHOPAL. 7 सितंबर से 31 जनवरी। करीब 4 महीने, 14 राज्यों में करीब 3 हजार 570 किलोमीटर का सफर। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा खत्म हो गई। कई सवालों का जवाब दे गई और कई सवाल पीछे छोड़ गई। राहुल गांधी और कांग्रेस इस यात्रा के मकसद को कितना पूरा कर पाए। क्या राहुल की इमेज बदली या फिर कोई फर्क नहीं पड़ा। राहुल का ये नया पॉलिटिकल वर्जन उन्हें एक मैच्योर पॉलिटिकल लीडर बना पाया या वो केवल दार्शनिक बनकर रह गए हैं।
राजनीतिक नहीं थी भारत जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी ने 7 सितंबर को कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरू की और यात्रा का मकसद भी साफ किया था कि ये उनकी पॉलिटकल यात्रा नहीं है।
राहुल के बयान की पड़ताल
अब यात्रा के शुरुआत में दिए राहुल के बयान की पड़ताल की जाए तो कांग्रेस को कितना फायदा हुआ। जानकारों की मानें तो जो पार्ट टाइम पॉलिटिशियन होने के राहुल पर आरोप लगते रहे उसे उन्हें दूर करना था। राहुल ने ये जवाब भी देने की कोशिश की है कि देश में मोदी और बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस ही खड़ी हो सकती है न की कोई और दल। इसके साथ ही राहुल ने ये भी साफ कर दिया है कि कांग्रेस का चेहरा भी वो ही हैं।
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल का जुदा अंदाज
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मंदिरों में गए, जनेऊ पहना और बार-बार भगवान का जिक्र किया। राहुल के भगवान का जिक्र करने का अंदाज भी जुदा रहा। राहुल गांधी ने अपने दर्शन का खुला प्रदर्शन करने की कोशिश की। राहुल ने दार्शनिक अंदाज में उदाहरण दिए।
राहुल ने की अपनी छवि बदलने की कोशिश
अब राहुल के इस दार्शनिक अंदाज पर विपक्ष यानी बीजेपी नेताओं ने बताने की ये कोशिश जरूर की कि राहुल बदले नहीं हैं बल्कि जनमानस में उनकी जो छवि बनी हुई है वो वैसी ही है। मगर मनोचिकित्सकों की मानें तो राहुल ने अपनी छवि को बदलने की कोशिश की है। मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि इस यात्रा के बाद मनोवैज्ञानिक तौर पर राहुल में बदलाव आए हैं और पूरे चांस हैं कि कांग्रेस को उनकी इस छवि का फायदा मिलेगा।
कड़ाके की ठंड में टी-शर्ट पहनकर चलते रहे राहुल
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल की रफ एंड टफ छवि निकलकर सामने आई जिसमें वो पूरे समय टी-शर्ट पहनकर ही यात्रा में चलते रहे। कड़ाके की सर्दी में टी-शर्ट पहनकर यात्रा में चलने पर भी राहुल से सवाल किए गए। जिनके जवाब में राहुल ने कहा कि मैं सर्दी से डरता नहीं हूं इसलिए स्वेटर नहीं पहनता।
क्या राहुल गांधी विपक्ष के सर्वमान्य नेता बने ?
इस सबके बीच सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी विपक्ष के सर्वमान्य नेता या फिर ऐसे नेता बन चुके हैं जिसे लेकर वो अपना विजन जनता के सामने क्लियर कर सकें। जानकारों की राय में राहुल मुद्दों को नहीं उठा पाए। राहुल यात्रा के पूरे समय बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते रहे। चंद उद्योगपतियों के हाथ में अर्थव्यवस्था है ये बताने की कोशिश करते रहे और बीजेपी किस तरह से सामाजिक ढांचे पर चोट कर रही है ये उनके मुद्दों में शामिल रहा है। इसलिए वो ये कहने से नहीं चूके कि नफरत के माहौल में मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं।
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भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस और राहुल को क्या फायदा ?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या राहुल गांधी की ये यात्रा जनमानस पर कोई बड़ा असर छोड़ पाई। भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल की छवि को चमकाया। कांग्रेस 4 महीने तक चर्चा में रही। लोगों ने राहुल की बातों को सुना। मगर क्या राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बन चुके हैं, इस सवाल का तो कांग्रेस नेताओं के पास भी जवाब नहीं है।