BHOPAL. हाल ही में हुए शिवराज कैबिनेट के विस्तार में सबसे ज्यादा चर्चा में जो नाम रहा है वो है राहुल लोधी का। राहुल लोधी और कोई नहीं उमा भारती के भतीजे हैं। खास बात ये भी है कि बीजेपी में मौजूदा कई विधायक 2 से 3 बार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। जबकि पहली बार विधायक बने राहुल लोधी को शिवराज कैबिनेट में शामिल किया गया है। इससे साफ है कि बीजेपी जातीय समीकरण तो साध ही रही है साथ में परिवारवाद का साथ भी अपने लिए जरूरी मान रही है।
लोधी समुदाय का 50 सीटों पर प्रभाव
राहुल जिस लोधी समुदाय से आते हैं उसका मप्र में अच्छा खासा वर्चस्व है। विधानसभा की लगभग 50 सीटों पर लोधी वोटर्स हार जीत का अंतर तय करते हैं। इन सीटों में बुंदेलखंड और निवाड़ के 17 जिले आते हैं। इसके अलावा बीजेपी की कद्दावर नेत्री उमा भारती भी पार्टी से नाराज चल रही हैं। उनकी नाराजगी दूर करना भी पार्टी के लिए जरूरी था।
परिवारवाद कोटे से आने वाले राहुल इकलौते मंत्री नहीं
बीजेपी में राहुल लोधी परिवारवाद कोटे से मंत्री बनने वाले एकमात्र नेता नहीं है। कुल मिलाकर ऐसे 5 मंत्री हैं जिन्हें इस कोटे से मंत्री पद मिला हुआ है। इनमें ओम प्रकाश सकलेचा, विश्वास सारंग, राज्यवर्द्धन सिंह, बृजेंद्र सिंह यादव और यशोधरा राजे सिंधिया शामिल हैं। इन पांचों मंत्रियों को राजनीति किसी न किसी रूप में विरासत में मिली है।
पांचों मंत्रियों का परिचय
1. ओम प्रकाश सकलेचा- मप्र के मुख्यमंत्री रहे चुके वीरेंद्र सकलेचा के बेटे ओम प्रकाश सकलेचा शिवराज कैबिनेट में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री बनाए गए हैं। इनके पास विज्ञान और प्रोद्यौगिकी विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी है। इनके पिता को मप्र में बीजेपी का संस्थापक सदस्य भी माना जाता है।
2. विश्वास सारंग- कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग भी कैबिनेट मंत्री हैं। इनके पास चिकित्सा शिक्षा और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास जैसा महत्वपूर्ण विभाग है। विश्वास सारंग ने अपना राजनीतिक सफर बीजेपी युवा मोर्चा से किया था। विश्वास सारंग 2016 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे।
3. राज्यवर्द्धन सिंह- राज्यवर्द्धन सिंह प्रेम सिंह के बेटे हैं। प्रेम सिंह बदनावर सीट से विधायक थे। पहली बार राज्यवर्द्धन को जीत कांग्रेस के टिकट पर मिली थी। राज्यवर्द्धन के पास औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन जैसा विभाग है। राज्यवर्द्धन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास माने जाते हैं। जब सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे तब राज्यवर्द्धन भी उनके साथ बीजेपी का दामन थाम चुके थे।
4. बृजेंद्र सिंह यादव- गजराम यादव के पुत्र बृजेंद्र सिंह यादव को भी राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली। बृजेंन्द्र यादव अभी लोक स्वास्थ्य और यांत्रिकी विभाग में राज्य मंत्री हैं। ये भी सिंधिया के वफादार माने जाते हैं, इसलिए कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आ गए थे।
5. यशोधरा राजे सिंधिया- ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे भी शिवराज कैबिनेट में मंत्री हैं। यशोधरा के पास खेल और युवा कल्याण विभाग है। यशोधरा 2005 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाई गई थीं।