BHOPAL. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के अध्यक्ष हर्ष चौहान का इस्तीफा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री की नाराजगी के चलते हर्ष सिंह से अचानक इस्तीफा मांगा गया है। उन्होंने 8 दिन पहले 26 जून को अपना इस्तीफा दिया था, जिसे राष्ट्रपति ने दूसरे दिन ही मंजूर भी कर लिया। सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफा वायरल कर दावा किया जा रहा है कि हर्ष सिंह मध्य प्रदेश बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष हो सकते हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है।
कई मुद्दों पर चल रहे थे मतभेद
दरअसल, हर्ष चौहान और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में जंगल कानून को लेकर कई मुद्दों पर मतभेद चल रहे थे। सूत्र बताते हैं कि संबंधित मंत्रालय के मंत्री से उनका विवाद होने पर ये मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंचा था। जिसमें ये बात आई कि ये वन एवं पर्यावरण के नाम पर बड़े प्रोजेक्टस में अड़ंगा डाल रहे हैं। इसके तुरंत बाद हर्ष चौहान से इस्तीफा मांगा गया था।
कौन हैं हर्ष चौहान?
इंदौर के हर्ष चौहान संघ में कार्यवाह भी रह चुके हैं। संघ पदाधिकारियों से मतभिन्नता के चलते उनकी वहां से रवानगी हुई थी। उसके बाद से वे एकता परिषद में जंगल बचाओं अभियान में जुटे रहे। इसके बाद संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण का भी लंबे समय तक काम संभाला। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद राज्यसभा सांसद के लिए हर्ष चौहान का नाम जोर-शोर से चला था, लेकिन बाद में वनवासी कल्याण से ही सुमेर सिंह सोलंकी को राज्य सभा सांसद बनाया गया। इसके कुछ दिनों बाद हर्ष चौहान को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया था। हर्ष चौहान के पिता दिवंगत भारत सिंह चौहान धार से सांसद रह चुके हैं।