NEW DELHI. पटना में शुक्रवार, 23 जून को विपक्षी दलों की महाबैठक से पहले ही खींचतान और अनबन की खबरें सामने आने लगीं हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्ष की ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस मुहिम में पटना पहुंचने से पहले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की बैठक के लिए पटना पहुंची ममता बनर्जी, लालू यादव के पैर छूकर लिया आशीर्वाद, बोलीं- मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे।#mamtabanerji #LaluYadav #TMC #TheSootr #Thesootrdigital #RashtriyaJanataDal #MamataBanerjee #OppositionMeeting #LaluYadav #jantadal… pic.twitter.com/1mFvXr3Mda
— TheSootr (@TheSootr) June 22, 2023
ममता बोलीं- कांग्रेस से समझौता नहीं करेंगी
ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टियों के साथ गठबंधन होने के चलते वे किसी भी सूरत में कांग्रेस से समझौता नहीं करेंगी। उनके इस बयान पर पलटवार करने में कांग्रेस ने देर नहीं लगाई और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने साफ कर दिया कि राज्य में कांग्रेस के लिए ममता की तृणमूल कांग्रेस बीजेपी की तरह बराबर की प्रतिद्वंद्वी बनी रहेगी। उप्र में समाजवादी पार्टी और तमिलनाडु में डीएमके के भी कांग्रेस को लेकर कई सवाल हैं। उधर आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पटना बैठक की बैठक से पहले ये शर्त जोड़ दी कि मीटिंग में सबसे पहले 'दिल्ली अध्यादेश' पर चर्चा हो। ऐसे पटना में विपक्षी एकता की मजबूत दीवार खड़ी होने से पहले ही उसमें बड़ी और गहरी दरारें नजर आ रही हैं।
जेडीयू ने सभी से बड़ा दिल दिखाने और त्याग की अपील की
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की तरह राष्ट्रीय राजनीति में भी बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महागठबंधन बनाने की मुहिम में जुटे नीतीश कुमार को इस हकीकत का अहसास को गया है कि विरोधी दलों को एक मंच पर लाने की राह आसान नहीं है। शायद यही वजह है कि विपक्षी एकता की बहुप्रतीक्षित पटना महाबैठक से पहले नीतीश कुमार की जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी को इसमें शामिल होने वाले सभी दलों से बड़ा दिल दिखाने और त्याग और बलिदान की भावना दिखाने की अपील करनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सभी शिकवा-शिकायतें भूलकर एक हो जाएं, तभी 2024 में बीजेपी के लिए चुनौती पेश की जा सकती है। 23 जून को पटना के मुख्यमंत्री निवास में होने वाली बैठक का लक्ष्य 2024 में बीजेपी और मोदी सरकार को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकना है। बिहार के उप-मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने भी जेडीयू के सुर में सुर मिलाते हुए विपक्षी एकता की बैठक का सकारात्मक नतीजा निकलने का दावा किया है।
महाबैठक से पहले ममता ने खड़ा किया बखेड़ा
बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुझाव पर ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पटना में विपक्षी एकता की बैठक का आयोजन कर रहे हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने ही बैठक से पहले ऐसी बात कह दी है जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता कैसे कायम होगी। ममता बनर्जी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ गठबंधन के कारण वे राज्य में कांग्रेस को समर्थन नहीं दे पाएंगी। मीडिया में उनका ये बयान सामने आते ही कांग्रेस ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी साफ कर दिया कि राज्य में कांग्रेस के लिए तृणमूल कांग्रेस बीजेपी की तरह बराबर की प्रतिद्वंद्वी बनी रहेगी। इतना ही नहीं उन्होंने ममता बनर्जी को गठबंधन की राजनीति की सबसे कमजोर कड़ी करार दिया। उन्होंने कहा कि ममता ने विपक्षी एकता को कमजोर करने में हमेशा ट्रोजन हॉर्स (Trojan Horse) की भूमिका निभाई है। उन्होंने संदेह जताया कि बीजेपी विपक्षी एकता के गठबंधन में कुछ अपने ट्रोजन हॉर्स दाखिल कराने की कोशिश कर रही है। उनकी इस बात का समर्थन सीपीएम के नेताओं ने भी किया है। जाहिर है पश्चिम बंगाल की राजनीति में टीएमसी को अपना दुश्मन नंबर एक मानने वाली सीपीएम भी ममता बनर्जी को लेकर सहज नहीं है।
केजरीवाल और अखिलेश की शर्तें भी चुनौती
विपक्षी एकता के गठबंधन की राह में टीएमसी और कांग्रेस की अनबन के बीच आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी पटना बैठक के लिए अपनी शर्त पेश कर दी है। उन्होंने बकायदा चिट्टी जारी कर देश की राजधानी में सेवाओं पर अधिकार के मामले में केंद्र सरकार के अध्यादेश पर सभी पार्टियों से रुख साफ करने को कहा है। केजरीवाल इस मुद्दे पर विपक्ष के कई नेताओं से भी मिले हैं, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने करीब डेढ़ महीने बाद भी केजरीवाल को मिलने का समय नहीं दिया है। माना जा रहा है कि केजरीवाल ने इसी वजह से विपक्षी दलों को पत्र लिखकर पटना की महाबैठक में सभी से रुख साफ करने की मांग की है। उधर समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से उत्तप्रदेश में कांग्रेस की भूमिका को लेकर कुछ शर्तें हैं जिन पर वे कांग्रेस से निगोसिएशन चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस अब समाजवादी पार्टी की सभी शर्तों पर राजी होगी, इसे लेकर बड़ा संदेह है।
लालू निभाएंगे मध्यस्थ की भूमिका
विपक्षी एकता की बैठक से पहले पार्टियों में मतभेद की खबरें सुर्खियों में आने के बाद महाबैठक के सूत्रधार बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी संभावित टकराव टालने और समन्वय के प्रयास तेज कर दिए हैं। पटना में गुरुवार, 21 जून की रात उनकी आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि विपक्षी दलों के आपसी मतभेद सुलझाकर समझौता कराने में लालू यादव अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनके सभी दलों के नेताओ खासकर कांग्रेस से अच्छे संबंधों के कारण उन्हें प्रभावी मध्यस्थ के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि ममता और कांग्रेस के बीच समझौता कराने में लालू यादव अहम रोल निभा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन बैठक की तय तारीख से 1 दिन पहले यानी 22 जून की रात को पटना पहुंच रहे हैं। रात में उनकी लालू प्रसाद यादव से मुलाकात का कार्यक्रम है। बैठक में शामिल होने के लिए बाकी सभी नेता 23 जून की सुबह पटना पहुंचेंगे।
बैठक में ये बड़े नेता होंगे शामिल
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के मुताबिक विपक्ष की महाबैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखिया उद्धव ठाकरे, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सपा के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के महासचिव डी.राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के सीताराम येचुरी और कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य के आने की सहमति मिल गई है। जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी के अनुसार इस मीटिंग में बसपा सुप्रीमो मायावती, बीजू जनता दल और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और वाइएसआर कांग्रेस के मुखिया और आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी को निमंत्रण नहीं दिया गया है।
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बीजेपी का तंज- परिवारवाद और भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं का सम्मेलन
उधर विपक्षी एकता के लिए पटना की महाबैठक को बीजेपी ने ठग्स ऑफ इंडिया का सम्मेलन करार दिया है। इसके लिए पूरे पटना शहर में जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं। इसमें आम आदमी पार्टी का एक पुराना पोस्टर चर्चा का विषय बना है। इसमें 2024 में अरविंद केजरीवाल को देश का भावी प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार को पीएम नरेंद्र मोदी का खासमखास बताया गया है। इस बैठक को लेकर बीजेपी ने तंज कसा है कि जो पार्टियां परिवारवाद और भ्रष्टाचार के मामलों में डूबी हों उसके नेताओं के मुंह से राष्ट्र हित और जनहित की बातें शोभा नहीं देतीं। बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की इस बैठक मुंगेरीलाल का हसीन सपना साबित होगी और इसका नतीजा सुपर फ्लॉप होगा।