मनीष गोधा, JAIPUR. लगभग 5 साल से अंदरूनी खींचतान का संकट झेल रही राजस्थान कांग्रेस में चुनाव से पहले स्थितियां बहुत हद तक नियंत्रण में आती दिख रही हैं। हाल में घोषित चुनाव सम्बन्धी 2 महत्वपूर्ण समितियों चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को शामिल किया गया है। ऐसे में अब ये तय हो गया है कि सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस की टिकट वितरण की प्रक्रिया का हिस्सा रहेंगे और चुनाव के समय इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं हो सकता।
सीएम गहलोत का फ्री हैंड खत्म
इन 2 समितियों विशेषकर स्क्रीनिंग कमेटी में सचिन को शामिल कर कांग्रेस ने जहां एक तरफ गहलोत को पूरी तरह से फ्री हैंड वाली स्थिति खत्म कर दी, वहीं चुनाव अभियान समिति की अध्यक्षता को लेकर बनी हुई उत्सुकता को भी बहुत हद तक खत्म कर दिया है। कांग्रेस ने पिछले दिनों ही राजस्थान में चुनाव के लिए चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है। चुनाव समिति की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष के पास ही रहती है और इसमें प्रदेश के सभी प्रमुख नेताओं को शामिल किया जाता है। ऐसे में सचिन पायलट इस समिति का हिस्सा तो बने ही हैं, साथ ही उन्हें स्क्रीनिंग कमेटी का हिस्सा भी बनाया गया है जो अपने आप में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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आमतौर पर नहीं होता ऐसा
कांग्रेस में चुनाव समिति जहां टिकट चाहने वालों से मुलाकात करती है और उनके आए बायोडाटा की छंटनी करती है, वहीं स्कीनिंग कमेटी 3-3 नामों के पैनल तैयार कर केन्द्रीय चुनाव समिति को भेजती है जो अंतिम तौर पर टिकट तय करती है। सचिन को स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य भी बनाया गया है जबकि आमतौर पर स्क्रीनिंग कमेटी में आलाकमान की ओर से नामित 3 नेता और प्रदेश से प्रदेश अध्यक्ष और मुख्ययमंत्री हो तो वो शामिल होता है। इसके अलावा पार्टी इंचार्ज को सदस्य बनाया जाता है। राजस्थान की समिति में इन सबके अलावा सचिन पायलट और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम भी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय नेताओं के साथ प्रदेश से पदाधिकारियों के अलावा किसी और को स्क्रीनिंग कमेटी में आमतौर पर नहीं लिया जाता, लेकिन इस बार पायलट और जोशी दोनों ही ऐसे नेता हैं, जिनके पास सरकार या संगठन में कोई पद नहीं है, लेकिन वे कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं।
विवाद को थामने के लिए उठाया गया कदम
पार्टी सूत्रों ने बताया कि स्क्रीनिंग कमेटी का इस तरह का गठन साफतौर पर विवाद को थामने और कहीं ना कहीं संतुलन साधने की कोशिश की है। ऐसे में अब टिकट वितरण की प्रक्रिया में अकेले गहलोत गुट हावी नहीं रह पाएगा, बल्कि सचिन को भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा और टिकट तय करने में उनकी पूरी भागीदारी रहेगी। इससे ये भी साफ हो गया कि टिकट तय करने में गहलोत को फ्री हैंड नहीं रहेगा।
चुनाव अभियान समिति की उत्सुकता खत्म
जब पार्टी आलाकमान ने सचिन और गहलोत के बीच समझौता कराया था, तब से सवाल यही किया जा रहा था कि आखिर पार्टी सचिन को क्या भूमिका देने जा रही है? कयास इस बात के थे उन्हे चुनाव अभियन समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा, क्योंकि ये चुनाव की दृष्टि से अहम समिति मानी जाती है और पार्टी का पूरा चुनाव प्रचार अभियान इस समिति के जरिए ही चलता है। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष को टिकट वितरण की प्रक्रिया का हिस्सा भी बनाया जाता है, लेकिन अब चूंकि सचिन पहले ही स्क्रीनिग कमेटी का हिस्सा बन चुके हैं, इसलिए टिकट वितरण प्रक्रिया का हिस्सा बनने का मसला खत्म हो गया है और इसी के साथ अभियान समिति को लेकर चल रही उत्सुकता भी बहुत हद तक कम हो गई है।
टिकट वितरण होने तक शांति
इन कमेटियों के गठन के बाद अब पार्टी में लगभग शांति हो गई है। अब किसी तरह के पार्टी विरोधी बयान या गुटबाजी के किस्से सामने नहीं आ रहे हैं। पायलट कैंप के लोगों का कहना है कि टिकट वितरण की प्रक्रिया का हिस्सा बनना हमारा सबसे लक्ष्य था और वो काम हो गया है, इसलिए अब कम से कम टिकट वितरण होने तक तो शांति है। आगे क्या होगा, वो भविष्य बताएगा, वैसे टिकट वितरण में विवाद सामने आते ही रहते हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि उस समय जो विवाद सामने आएंगे, उनसे पार्टी कैसे निपटेगी।