मुंबई में शरद पवार ने गौतम अडाणी से मुलाकात की, हिंडनबर्ग मुद्दे पर एनसीपी सुप्रीमो ने विपक्ष से उलट राय रखी थी

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Atul Tiwari
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मुंबई में शरद पवार ने गौतम अडाणी से मुलाकात की, हिंडनबर्ग मुद्दे पर एनसीपी सुप्रीमो ने विपक्ष से उलट राय रखी थी

MUMBAI. अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने 20 अप्रैल को एनसीपी चीफ और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई, जब हाल ही में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मुद्दे पर शरद पवार ने अडाणी का समर्थन किया था।



करीब डेढ़ घंटे हुई मुलाकात



जानकारी के मुताबिक, दोनों (शरद पवार और गौतम अडाणी के बीच) के बीच बंद कमरे में करीब डेढ़ घंटे बात हुई। दोनों के बीच क्या चर्चा हुई, ये अभी सामने नहीं आया। अडाणी 20 अप्रैल को सुबह 10 बजे अपनी काली कार से सिल्वर ओक स्थित शरद पवार के आवास पर पहुंचे। बातचीत के बारे में ना तो अडाणी और ना ही शरद पवार ने कोई जानकारी दी। जब शरद पवार और गौतम अडाणी एक-दूसरे से मिले तो कोई और मौजूद नहीं था।



12 अप्रैल को आया था शरद पवार का बड़ा बयान 



पवार ने कहा था कि अडाणी मुद्दे पर मेरी पार्टी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पक्ष में है। मेरा मानना है कि जेपीसी में सत्ताधारी दल के लोग होते हैं, लिहाजा उससे सच बाहर नहीं आ पाएगा। मुझे लगता है कि अडाणी मुद्दे की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली कमेटी से कराई जानी चाहिए। शरद पवार ने ये भी कहा था कि आजकल अंबानी-अडाणी पर निशाना साधने का चलन हो गया है, लेकिन ये भी सोचना चाहिए कि उनका देश में योगदान है। मुझे लगता है कि देश में बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मु्द्दे ज्यादा जरूरी हैं।




— ANI (@ANI) April 8, 2023

 



क्या है हिंडनबर्ग-अडानी मुद्दा?



अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर मार्केट में हेरफेर और अकाउंट में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई। हालांकि, गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडाणी ग्रुप ने आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया था। उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में जनता को गुमराह किया गया। 



इस रिपोर्ट की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक्सपर्ट कमेटी के गठन का आदेश दिया था। इस कमेटी की अध्यक्षता रिटायर जस्टिस एएम सप्रे कर रहे हैं। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि SEBI इस मामले में जांच जारी रखेगी और 2 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।



विपक्ष अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की कर रही मांग



अडाणी मुद्दे पर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है। बजट सत्र में भी अडाणी मुद्दे पर खूब हंगामा हुआ था। सदन में 19 विपक्षी पार्टियों ने अडाणी मुद्दे पर जेपीसी की मांग करते हुए मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। राहुल गांधी भी लगातार सदन के अंदर और बाहर से इस मुद्दे पर सरकार को घेरते नजर आए। हालांकि, शरद पवार ने इस मुद्दे पर अलग स्टैंड लिया।



शरद पवार ने अडानी का किया था सपोर्ट



शरद पवार ने पहले एक चैनल और बाद में न्यूज एजेंसी से कहा, ''पहले भी ऐसे बयान (अडाणी पर) आए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था, लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जो इस मुद्दे को दे दी गई है। वैसे भी जो रिपोर्ट आई, उसमें दिए बयान किसने दिए, उसका क्या बैकग्राउंड है। जब वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं, जिनसे देश में बवाल खड़ा हो, इसका असर तो हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है। लगता है कि ये सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था।'' पवार ने अडानी मसले पर JPC की मांग को झटका देते हुए कहा था कि ये निष्पक्ष नहीं होगा, क्योंकि जेपीसी में 21 में 15 सदस्य सत्ता पक्ष के होंगे।



पवार के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि एनसीपी का अपना कोई स्टैंड हो सकता है, लेकिन 19 विपक्षी पार्टियां ये मानती हैं कि अडाणी मुद्दा गंभीर है। मैं ये भी साफ करना चाहता हूं कि एनसीपी और दूसरे विपक्षी दल हमारे साथ ही खड़े हैं, सभी साथ मिलकर लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं और बीजेपी की बंटवारे वाली राजनीति को हराना चाहते हैं।

 


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