किस्सा 2 हजार के नोट का, अजब पुलिस गजब पुलिस, 24 बिंदु तो पॉकेट में, विजय मदनलाल केस

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Yagyawalkya Mishra
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किस्सा 2 हजार के नोट का, अजब पुलिस गजब पुलिस, 24 बिंदु तो पॉकेट में, विजय मदनलाल केस

अजब पुलिस, गजब पुलिस





उत्तर छत्तीसगढ़ के एक जिले में पुलिस के साहबान ने कमाल कर दिया है। पत्रकार ने जंगल विभाग का घोटाला छाप दिया। इस घोटाले में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए गए थे। इस इलाके में पदस्थ रहते हुए पूरे प्रदेश में बेहद चर्चित जंगल विभाग के एक पंडित जी जिनका नाम जंगल के भीतर हर कांड कारनामे में आता था इसमें भी आया। जांच हुई घोटाला प्रमाणित पाया गया। पंडित जी की माया ने फिर जादू दिखाया वे बच निकले, लेकिन निचले पायदान के कर्मी सस्पेंड हो गए। लेकिन कमाल इसके बाद हुआ। जिस पत्रकार ने पूरा घोटाला छापा उजागर किया। कमाल बेमिसाल पुलिस ने उसी मामले में सस्पेंड हुए कर्मचारी की 8 महीने पुरानी शिकायत को एकदम दुरुस्त मानते हुए एक्ट्रोसिटी का मामला ठोक दिया। पत्रकार हैरान परेशान हैं क्योंकि जिस तारीख की घटना बताई गई है, उस तारीख को तो वो कथित घटना स्थल से 50 किलोमीटर दूर था। कमाल एक और है जिस आवेदनकर्ता के 8 माह पुराने आवेदन पर पुलिस ने कमाल किया है, उस आवेदनकर्ता का घर थाने से 100 मीटर नहीं है, उस आवेदनकर्ता को 100 मीटर की दूरी तय कर आवेदन देने में 3 दिन लग गए थे। यानी 8 महीने पहले जबकि आवेदन दिया गया उसमें घटना 3 दिन पुरानी बताई गई।





ये किस्सा 2 हजार के नोट का पता चला तो फिर से ईडी नमस्ते करेगी





ईडी के फेरे में फंसे एक सज्जन ने अपने सारे कर्मचारियों को वेतन भुगतान 2-2 हजार के नोट से कर दिया है। बिल्डिंग मटेरियल से लेकर कॉलोनी मेंटेनेंस तक में लगे इन कर्मचारियों में से एक को गुस्सा आया तो कह गया कि चल दूंगा पचपेड़ी नाका। हालांकि वो गया नहीं, लेकिन ईडी को पता चला तो फिर 'सुनो यार आओ बातें करें चार' कहते चली आएगी।





घोषणा पत्र समिति को लेकर भैया की बात आप क्यों नहीं माने मोहन भैया





कुछ महीनों पुरानी बात है। तब 'भैया' और मोहन भैया के बीच में टेप उतना तेज फंसा नहीं था, लेकिन टेप अटकने लगा था। राजीव भवन में एक बैठक हुई। प्रस्ताव हुआ कि मोहम्मद अकबर घोषणा पत्र समिति में होंगे, मंत्री सिंहदेव नहीं रहेंगे। जाहिर है प्रस्ताव के पीछे 'भैया' थे। जब ये सब हुआ तो मंत्री सिंहदेव बैठक में देर से पहुंचे थे। बताते हैं ये प्रस्ताव कभी दिल्ली पहुंचा ही नहीं। अब मोहन भैया कौन सी अहम बात पहले बोलते बतियाते हैं जो कि अब वो बताते कि ये प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा गया। अब ये सब होगा तो 'भैया' गुस्सा गुसाईं तो होंगे न।





अरे वो 24 बिंदु तो पॉकेट में ही रखा है भाईसाब





बीजेपी के जामवाल जी बैठक करते हैं, 24 बिंदु का कॉमन मिनीमम प्रोग्राम देते ही देते हैं। भाईसाब को लगता है कि ये चौबीस बिंदु सरकार बना देंगे, लेकिन आखिर उस चौबीस बिंदु का हो क्या रहा है। जामवाल भाई साब के बाद जिले के प्रभारी संगठन वाले भाईसाब ने मंडल स्तर की बैठक ली। मंडल अध्यक्ष से पूछा कि वो 24 बिंदु वाले कार्यक्रम कितने हुए, मंडल अध्यक्ष जी खड़े हुए और बताए कि वो तो जेब में ही रखा है भाईसाब!





भैया, विजय मदनलाल केस तो पढ़ लेते





ईडी की कार्रवाई लगातार जारी है। पहले कोयला और अब शराब घोटाला। शराब घोटाले पर ईडी की कार्रवाई जिसमें अनवर ढेबर समेत जो लोग गिरफ्तार हुए और जेल में हैं, वे सभी सीएम साहब के करीबी के रूप में पहचाने जाते हैं। इस मामले में रिमांड नोट पर जिनके नाम लगातार आ रहे हैं वे नाम भी बेहद करीबी वाले ही हैं। यूं तो हर बार ईडी की कार्रवाई पर कांग्रेस सवाल करती है, लेकिन इस बार ईडी कार्रवाई पर कानूनी अधिकार होने न होने का सवाल उठाया गया है। भैया के विश्वासपात्रों को चाहिए कि वे विजय मदनलाल चौधरी विरुद्ध भारत सरकार केस का जरा अध्ययन कर लें, शायद बहुतेरे भ्रम दूर हो जाएं।





लिस्ट फर्जी थी या पुरानी थी पर थी तो थी किसकी





हफ्ते की शुरुआत में मीडियाकर्मियों को व्हाट्सएप पर एक लिस्ट पहुंची। ये लिस्ट विधायकों के सर्वे रिपोर्ट के अंदाज में भेजी गई थी। इस लिस्ट में कांग्रेस के ही सबसे ज्यादा विधायक हारने वाले बताए गए थे, लेकिन लिस्ट पर किसी को भरोसा नहीं हुआ। अव्वल तो लोकप्रिय और सक्रिय विधायकों को कमजोर बता दिया गया। जैसे बिलासपुर से शैलेष पांडेय। वहीं जिनका निधन हो गया है उनका भी जिक्र था। जैसे भानुप्रतापपुर से मनोज मंडावी। प्रचारित कराया गया कि वो सर्वे लीक हो गया है जो भूपेश भैया कराते रहते हैं। बीजेपी को यूं भी लेना-देना नहीं था। जगदलपुर में सीएम भूपेश के हवाले से खबर आई कि उन्हे ऐसी किसी सूची की जानकारी नहीं है। सवाल है कि फिर ये सूची थी किसकी? पुरानी तो थी फर्जी भी थी, पर ये फर्जीवाड़ा क्यों किया गया?





तो भाईसाब हवाई मार्ग से बस्तर दौरे पर रहेंगे





बीजेपी के प्रदेश संगठन प्रभारी ओम माथुर बस्तर के सप्ताहभर के दौरे पर निकलेंगे। ये दौरा बस्तर के हर विधानसभा में होगा। सत्ता की राह बस्तर और सरगुजा तय करते हैं। दोनों इलाकों में जमीन पर बीजेपी की हालत कोई बहुत बेहतर नहीं है। हवा में उड़ते जाने से स्थितियां कितनी बेहतर समझ आएगी ये खुद कार्यकर्ता नहीं समझ पा रहे हैं।





इस लिस्ट से सरकार ने आखिर क्या संकेत दिया





बहुप्रतीक्षित ट्रांसफर लिस्ट आखिरकार आ गई। ये जिलों के एसपी की लिस्ट थी, लेकिन जिस नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा समीक्षा चल रही है वो नाम अभिषेक पल्लव का है। ईडी ने कोयला और शराब से अलग अगर किसी अन्य मसले पर कार्रवाई की कवायद की है तो वो ऑनलाइन सट्टा महादेव एप है। किस्सा तैरता रहता है कि रस्सियां कसी गईं तो पहले से परेशान प्रदेश का एक सियासती खेमा और परेशान हो जाएगा। इस मसले पर कार्रवाई का आधार ईडी को अभिषेक पल्लव की वजह से दर्ज एफआईआर से ही मिला था। हालांकि डॉ. अभिषेक पल्लव जिस अंदाज में सोशल मीडिया में आए उसने उनके विरोधियों को और अवसर ही दिया। कवर्धा हाईप्रोफाइल इलाका है। धर्म की दृष्टि से अक्सर सुलगता हुआ क्षेत्र। सरगुजा में एसपी के ट्रांसफर पर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर बधाइयों का सिलसिला चला दिया। सूरजपुर में इंदिरा कल्याण के लिए पुलिस की छवि बेहतर बनाने की चुनौती होगी। बलरामपुर भेजे गए लाल उम्मेद सिंह व्यवहार कुशल हैं, लेकिन ये बात भी है कि विनम्र लाल उम्मेद अडिग भी बहुत हैं।





शौक-ए-दीदार है तो नजर पैदा कर







— Gouri Shanker Shrivas (@GouriShanker_CG) May 26, 2023





बीजेपी प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास का ये ट्वीट तब आया जबकि सीएम साहब ने कहा कि गौरी जी विधानसभा का भूमिपूजन था। आपने ट्वीट में लोकार्पण लिखा है। फायर ब्रांड चेहरा गौरीशंकर ने ट्वीट में बेहद सधे शब्दों में जवाब लिखा कि गलती हुई बड़े भैया भूमिपूजन ही सही पर राज्यपाल को काहे नहीं बुलाए थे। गौरीशंकर का ये ट्वीट जिस अंदाज में लिखा गया वो चर्चा में है।





सुनो भई साधो





1. खाद्य विभाग का कौन सा मामला है जिस पर केंद्रीय एजेंसी सक्रिय होने ही वाली हैं ?





2. दक्षिण छत्तीसगढ़ के कौन कलेक्टर साहब किस बात पर ये गीत गा रहे हैं- तुम मुझको ना चाहो तो कोई बात नहीं, तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी।



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