शिवपुरी में सिंधिया परिवार से जुड़े कद्दावर नेता कांग्रेस का थाम रहे हाथ, जानें यह टिकट का लालच या सियासत का लाभ लेने की चाहत

author-image
BP Shrivastava
एडिट
New Update
शिवपुरी में सिंधिया परिवार से जुड़े कद्दावर नेता कांग्रेस का थाम रहे हाथ, जानें यह टिकट का लालच या सियासत का लाभ लेने की चाहत

BHOPAL. मध्यप्रदेश की सियासत में ग्वालियर का राजमहल हमेशा से अहम रोल निभाता रहा है। राजमाता विजया राजे सिंधिया का दौर रहा हो या फिर उनके बेटे माधवराव सिंधिया का कार्यकाल, महल से प्रदेश की सरकारें बनती-बिगड़ती (गिरती) रहीं हैं। वर्तमान शिवराज सरकार भी महल या कहें ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने (कांग्रेस से बीजेपी) से सत्ता में आई और चौथा कार्यकाल पूरा कर रही है। लेकिन अब ग्वालियर-चंबल अंचल में विशेष तौर से शिवपुरी में सिंधिया समर्थकों का मोहभंग हो रहा है और करीब साढ़े तीन साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में आए कई दिग्गज नेता छिटक कर वापस कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं। यह टिकट का लालच और सियासत की बदलती हवा का लाभ लेने की चाहत भी हो सकती है।



गुना-शिवपुरी में हमेशा रहा महल का प्रभाव



शिवपुरी, ग्वालिचर-चंबल अंचल का एक मात्र ऐसा जिला है, जहां महल यानी सिंधिया पैलेस प्रभाव हमेशा रहा है। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सिंधिया परिवार के प्रतिनिधि हमेशा जीतते रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव जरूर अपवाद रहा है जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया (कांग्रेस में रहते हुए) बीजेपी के केपी सिंह यादव से हार गए थे। महल का अंचल में ऐसा दबदबा रहा है कि एक बार ग्वालियर से महान नेता अलट बिहारी वाजपेयी तक को 1984 में माधवराव सिंधिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि 1994 में माधवराव सिंधिया बीजेपी के जयभान सिंह पवैया से हारते-हारते बचे थे। और अगले लोकसभा चुनाव यानी 1999 में वापस गुना-शिवपुरी का रुख किया था। वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया विधायक हैं।



महल के खिलाफ बगावत!



इतना सब होने के बावजूद गुना-शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया कट्टर समर्थक और महल से वर्षों से जुड़े रहे नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामकर, एकतरह से महल के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। इन नेताओं का क्षेत्र में प्रभाव भी असरदार और सिंधिया परिवार के हर चुनाव में कोर टीम के सदस्य रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि उन्हें बीजेपी में सम्मान नहीं मिला। हालांकि कहानी सियासत से जुड़ी निकलकर आ रही है।

बताते हैं कांग्रेस ने इन नेताओं को अपने साथ लाकर दो मैसेज देना चाह रही है कि अब महल का दबदबा धीरे धीरे खत्म हो रहा है और आगामी विधानसभा चुनाव में इन्हें उम्मीदवार बनाकर बीजेपी को कड़ी टक्कर देना की फिराक में है।



ये चार बड़े नेता सिंधिया और राजमहल से खुद अलगकर कांग्रेस से जुड़ गए हैं-



बैजनाथ सिंह यादव



शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा क्षेत्र के पुराने और यादव समाज के बड़े नेताओं में सुमार हैं। इन्हें कोलारस से कांग्रेस टिकट दे सकती है। इनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष थीं और वह खुद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं। सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे।



राकेश गुप्ता



शिवपुरी के रहने वाले हैं। इनके पिता सांवलदास गुप्ता तीन बार नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं। पूरा परिवार राजमहल का कट्टर समर्थक और कांग्रेसी था, लेकिन सिंधिया के साथ राकेश बीजेपी में चले गए थे। बीजेपी में इन्हें जिला उपाध्यक्ष बनाया गया था।



रघुराज धाकड़



ग्रामीण पृष्ठभूमि के रघुराज कोलारस विधानसभा सीट के नेता हैं। किसान कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री और सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रहे हैं। गुना-शिवपुरी लोकसभा चुनाव में सिंधिया की प्रचार टीम के अहम सदस्य अहम सदस्य हुआ करते थे।



जितेंद्र जैन गोटू 



इनका साथ  छोड़ना जितना सिंधिया परिवार या यशोधरा राजे के लिए बड़ा झटका है। उससे बड़ा झटका  बीजेपी संगठन के लिए है। गोटू पिछले तीस सालों से कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री और सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि कट्टर नेता थे बल्कि रह चुके हैं। गुना-शिवपुरी लोकसभा चुनाव में सिंधिया की प्रचार टीम के अहम सदस्य होते थे। बीजेपी के न सिर्फ खुद जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके भाई विधायक रह चुके हैं। खुद का जनाधार भी है। भाजपा के कई नेता इसे बड़ा नुकसान मान रहे हैं।


Shivpuri News Madhya Pradesh News मध्यप्रदेश न्यूज Jyotiraditya Scindia ज्योतिरादित्य सिंधिया Scindia supporters join Congress these leaders of Shivpuri join Congress सिंधिया समर्थक कांग्रेस में शामिल शिवपुरी के ये नेता कांग्रेस से जुड़े शिवपुरी समाचार