UDAYPUR. गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (30 जून) को उदयपुर में मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष में जनसभा को संबोधित किया। शाह ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया वहीं राजस्थान की गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा। गृह मंत्री ने कहा कि कन्हैयालाल हत्याकांड पर गहलोत सरकार सियासत कर रही है। सालभर हो गया अब तक हत्याओं को सजा हो जानी चाहिए थी। इसके लिए स्पेशल कोर्ट बनाकर काईवाई नहीं की। सीएम अशोक गहलोत का एक मात्र लक्ष्य अपने बेटे वैभव को सीएम बनाना है।
जयपुर ब्लास्ट के आरोपियों की सुनवाई को गहलोत सरकार के पास समय नहीं
अमित शाह ने कहा कि उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड पर भी गहलोत राजनीति कर रहे हैं। गहलोत हत्यारों को तो पकड़ना भी नहीं चाहती थे, एनआईए ने पकड़ा और गहलोत झूठ बोलते हैं कि कार्रवाई नहीं हुई। मैं डंके की चोट के साथ कहता हूं कि स्पेशल कोर्ट में सुनवाई की होती तो हत्यारे अब तक फांसी पर लटक चुके होते। यही नहीं, जयपुर ब्लास्ट के आरोपियों की सुनवाई के लिए गहलोत सरकार के एडवोकेट जनरल के पास समय नहीं है।
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राजस्थान में तीन-डी की सरकार
राजस्थान में यह माना जाता है कि जिसने उदयपुर सम्भाग जीत लिया, उसने राजस्थान का विधानसभा का चुनाव जीत लिया। उसी उदयपुर सम्भाग से चुनाव प्रचार का शंखनाद करने आए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को यहां गांधी मैदान में हुई बड़ी रैली के दौरान भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण और कानून व्यववस्था को मामले में राजस्थान की गहलोत सरकार को जम कर घेरा और कहा कि यह सरकार तीन डी यानी दंगा, महिलाओं से दुव्र्यवहार और दलितों पर अत्याचार की सरकार है। अपने करीब आधे घंटे के भाषण में उन्होंने यहां की जनता से अपील की कि एक ही वोट से प्रदेश और केन्द्र में बीजेपी की सरकार बन सकती है, इसलिए 2023 के ट्रेलर में गहलोत सरकार को जड़ से उखाड फेंकेंगे तो 2024 में लोकसभा की जीत का मार्ग अपने आप प्रशस्त हो जाएगा। इस तरह एक सभा के जरिए शह ने विधानसभा और लोकसभा दोनों के लिए प्रचार अभियान शुरू कर दिया।
कन्हैयालाल के मुद्दे पर गहलोत को दिया जवाब
उदयपुर के कन्हैयालाल की 28 जून 2022 को गला काट कर हत्या कर दी गई थी। ऐसे में यह तय माना जा रहा था कि शाह के भाषण में कन्हैयालाल का मुद्दा छाया रहेगा। इसका एक कारण यह भी था कि दो दिन पहले ही सीएम गहलोत ने कन्हैयालाल के हत्यारों को अब तक सजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह ओपन एंड शट केस है, लेकिन दुख की बात है कि अभी तक दोषियों को सजा नहीं मिल पाई है।
शाह ने इसका जवाब दिया और कहा कि गहलोत इस मामले में भी वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और मुझसे जवाब मांग रहे हैं, जबकि उन्हें बताना चाहिए कि कन्हैयालला को सुरक्षा किसने नहीं दी। वह मर गया तब तक किसकी पुलिस चुप रही। उन्होंने कहा कि यहां की सरकार तो दोषियों को पकड़ना भी नहीं चाहती थी। एनआईए ने पकड़ा और 22 दिसम्बर 2022 को इसकी चार्जशीट हो चुकी है। अब स्पेशल कोर्ट बनाने का काम राज्य सरकार का है। राजस्थान सरकार हाईकोर्ट को भरोसे में लेकर स्पेशल कोर्ट भी नहीं बनवा पाई। यह कोर्ट बना दी होती तो आज कन्हैयालाल के दोषियों को सजा मिल जाती।
तुष्टीकरण के मुद्दे पर घेरा
कन्हैयालाल के मामले पर गहलोत को जवाब देने के साथ ही शाह ने तुष्टीकरण के मुद्दे पर भी गहलोत को घेरा और जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों के बरी होने से लेकर भीलवाड़ा में रतन सोनी की हत्या, पीएफआई को रैली की अनुमति देने, करौली और जोधपुर में दंगे, भगवा ध्वज फहराने पर रोक सहित कई मामले उठाए और कहा कि वोट बैंक के लालच में संविधान को ताक में रख कर यहां बहुसंख्यक समाज के साथ अन्याय किया जा रहा है।
राजस्थान में भ्रष्टतम सरकार है
शाह ने गहलोत सरकार को भ्रष्टतम सरकार बताते हुए कहा कि राजस्थान में गहलोत की सरकार भ्रष्टाचार करने में नम्बर एक पर है। खान घोटाले के चलते संत को आत्महत्या करनी पड़ी। सचिवालय में करोड़ों रूपए नकद और सोना मिला और ऐसे ही ना जाने कितने मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि गरीब बच्चों का अनाज या भूखों का पैसा खाकर कोई सुखी नहीं रहता है। इसके साथ ही शाह ने राजस्थान में पेपर लीक और किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे भी उठाए।
विपक्षी पार्टियां सिर्फ अपने बच्चों का भला चाहती हैं
राजस्थान के मुद्दे उठाने के साथ ही शाह ने जहां एक तरफ केन्द्र सरकार की ढेरों उपलब्धियां गिनाई वहीं विपक्ष की एकता पर भी सवाल खड़े किए। शाह ने कहा कि हाल में विपक्ष के नेता एक साथ एकत्र हुए। 21 पार्टी के लोग थे और यह 21 लाख घपले घोटाले करने वालों का जमावड़ा था। यह पार्टियां सिर्फ अपने बच्चों का भला करना चाहती हैं। देश का भला सिर्फ बीजेपी की सरकार कर सकती है।
जनजाति वोटों पर नजर
अमित शाह का उदयपुर का यह दौरा राजस्थान के दक्षिणी हिस्से की जनजाति बहुल सीटों के लिहाज से काफी अहम है। उदयपुर संभाग का ज्यादातर हिस्सा आदिवासी बहुल है और इसी को साधने के लिए शाह ने अपने संबोधन में जहां महाराणा प्रताप को याद किया, वहीं भील आदिवासियों के बलिदान को भी याद किया। उन्होंने राणा पुंजा और बिरसा मुंडा को भी याद किया और जनजाति समुदाय के लिए केन्द्र सरकार और राजस्थान की पिछली भाजपा सरकार द्वारा किए गए काम गिनाए। सभा के बाद उन्होंने जनजाति समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों, जन प्रतिनिधियों आदि से भी संवाद किया।