NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 5 अप्रैल को केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली विपक्षी 14 दलों की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था। इस याचिका पर चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पाठ ने सुनवाई की। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी पीठ का हिस्सा थे। बाद में विपक्षी पार्टियों को अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी।
नेताओं के लिए अलग से नियम नहीं, इसलिए सुनवाई संभव नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि देश में नेताओं के लिए अलग नियम नहीं हो सकते हैं, इसी वजह से इस याचिका पर सुनवाई संभव नहीं। वैसे विपक्ष की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि आंकड़े बताते हैं कि 885 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई थी, सजा सिर्फ 23 में हुईं। ऐसे में 2004 से 2014 तक लगभग आधी अधूरी जांच ही हुईं। ये भी तर्क दिया गया कि 2014 से 2022 तक, ईडी के लिए 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की गई है, उनमें से 95 प्रतिशत विपक्ष से हैं।
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सीजेआई ने कहा- राजनेताओं के पास कोई विशेषाधिकार है
इस पर सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह एक या दो पीड़ित व्यक्तियों की दलील नहीं है। यह 14 राजनीतिक दलों की दलील है। क्या हम कुछ आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं कि जांच से छूट होनी चाहिए? आपके आंकड़े अपनी जगह सही है, लेकिन क्या राजनेताओं के पास जांच से बचने का कोई विशेषाधिकार है। आखिर राजनेता भी देश के नागरिक ही हैं। कोर्ट ने पूछा कि आप चाहते हैं कि 7 साल तक की सजा के मामलों में अगर शर्तों का हनन नहीं हो रहा तो गिरफ्तारी ना हो। अगर चाइल्ड एब्यूज या रेप जैसा मामला ना हो तो गिरफ्तारी ना हो हम ऐसा कैसे कह सकते हैं। अगर ये करना भी है तो ये विधायिका का काम है। राजनेताओं के लिए हम अलग से दिशानिर्देश नहीं बना सकते।
विपक्ष की याचिका में यह था
वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने 24 मार्च को मामले की तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया था। सिंघवी ने 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मामलों की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि विपक्षी दलों के नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाइयां की जाती हैं।
इन पार्टियों ने दायर की थी याचिका
याचिका दायर करने वाले दलों में कांग्रेस के अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, राष्ट्रीय जनता दल, भारत राष्ट्र समिति, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), झारखंड मुक्ति मोर्चा, जनता दल (यूनाइटेड), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल थी।