मध्यप्रदेश में प्रियंका का रोटी, कपड़ा और मकान पर जोर, राहुल आदिवासी तो खड़गे साधेंगे दलित वोटर्स, बीजेपी शहंशाह के सहारे 

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Arun Dixit
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मध्यप्रदेश में प्रियंका का रोटी, कपड़ा और मकान पर जोर, राहुल आदिवासी तो खड़गे साधेंगे दलित वोटर्स, बीजेपी शहंशाह के सहारे 

BHOPAL. एमपी में इस बार विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि, महाभारत हो रही है। इस महाभारत में मुकाबला मध्यप्रदेश के नेताओं के बीच कम और दिल्ली के दिग्गजों के बीच ज्यादा है। कांग्रेस का त्रिदेव फॉर्मूला है तो बीजेपी शहंशाह के सहारे है। कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे मोर्चा संभाल रहे है। प्रियंका बुनियादी मुद्दे उठा रही हैं तो राहुल गांधी आदिवासियों को साध रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के जिम्मे दलित वोटर्स हैं। वहीं बीजेपी भी पीएम मोदी और अमित शाह के सहारे है। मोदी पार्टी का चेहरा हैं तो अमित शाह बैठकों पर फोकस कर रहे हैं। अगले बीस दिनों में प्रदेश में मोदी,शाह, प्रियंका, राहुल और खड़गे के दौरे होने वाले हैं। 





प्रियंका ने मोदी के खिलाफ उतारी महंगाई





कांग्रेस मध्यप्रदेश में त्रिदेव फॉर्मूले पर काम कर रही है। प्रियंका गांधी एमपी में कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का हैं। प्रियंका महाकौशल और ग्वालियर चंबल में सभा कर चुकी हैं। प्रियंका ने इन सभाओं में आरोप लगाने और विरोधियों को कोसने की बजाय बुनियादी मुद्दे उठाए हैं। बीजेपी मोदी को आगे रखती है तो ग्वालियर आईं प्रियंका ने मोदी के सामने महंगाई को खड़ा कर दिया है। गरीब और वंचित वर्ग के रोटी,कपड़ा और मकान पर जोर दिया है। जाहिर है प्रियंका एक बड़े वोट बैंक की नब्ज पर हाथ रखने की कोशिश कर रही हैं। उनको जोर महिलाओं और युवाओं पर ज्यादा है। महिला और युवा इस बार प्रदेश के वोटरों का आधा हिस्सा है। 





ग्वालियर-चंबल से सरकार बनने की उम्मीद





ग्वालियर-चंबल वैसे भी कांग्रेस के कोर एजेंडे में है। पार्टी को यहां पर बड़ी जीत की उम्मीद है। ये इलाका कांग्रेस की सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का है लिहाजा प्रियंका को यहां लाकर कांग्रेस ने सीधे तौर पर महल और उसके प्रभाव को चुनौती दी है। ग्वालियर-चंबल में कुल 34 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 2018 में कांग्रेस ने 25 और बीजेपी ने 8 सीटें हांसिल की थीं, एक सीट अन्य को मिली थी। 2018 में यहां पर सिंधिया के हिसाब से टिकट बांटे गए थे और जीत का श्रेय भी सिंधिया को मिला था। अब सिंधिया बीजेपी के पाले में है। कांग्रेस यहां पर सिंधिया को गद्दार बताकर पिछले चुनाव जैसी ही जीत चाहती थी। कांग्रेस को लगता है कि यहां की जीत ही उसकी स्थाई सरकार बना सकती है। 





राहुल आदिवासी,खड़गे साधेंगे दलित वोटर्स





इन दिनों आदिवासी भी प्रदेश में बड़ा मुद्दा है। आदिवासियों पर कांग्रेस की नजर है तो बीजेपी की भी। सीधी पेशाब कांड ने प्रदेश की सियासत में और आग लगा दी है। इन आदिवासियों को साधने के लिए ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी 8 अगस्त को शहडोल आ रहे हैं। शहडोल के मंच से राहुल प्रदेश की सभी आदिवासी सीटों को साधने की कोशिश करेंगे। प्रदेश में आदिवासी सीटों का गणित बहुत साफ है। जिसके साथ आदिवासी रहे उसी को सत्ता मिली है। 2008 में आदिवासियों की 47 सीटों में से बीजेपी को 30 और कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं। सरकार फिर बीजेपी की बन गई। 2013 में बीजेपी को 31 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस के खाते में 15 सीटें आईं। सरकार तीसरी बार भी बीजेपी की बनी। साल 2018 में आदिवासी सीटें बीजेपी से छिटककर कांग्रेस के पास आ गईं। बीजेपी को 16 सीटें ही मिल पाईँ प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बन गई। 





कांग्रेस को बुंदेलखंड में अपनी हालत सुधारनी होगी





कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 13 अगस्त को सागर में सभा करने वाले हैं। खड़गे एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं। एक तो बुंदेलखंड इलाका और दूसरा बुंदेलखंड के दलित वोटर्स खड़गे के निशाने पर हैं। 2018 में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं थीं, जबकि बीजेपी के खाते में 18 सीटें आईं थीं। एक सीट अन्य का मिली थी। कांग्रेस को अच्छे बहुमत से सरकार बनानी है तो बुंदेलखंड में अपनी हालत सुधारनी होगी। यही कोशिश खड़गे की है। 





बीजेपी को शहंशाह बना रहे शाह





बीजेपी की चुनावी तैयारियों का सबसे बड़ा सहारा अमित शाह का मैनेजमेंट है। अमित शाह 14 जुलाई को भोपाल आए थे और बीजेपी नेताओं की मैराथन बैठक कर पूरा इलेक्शन सिलेबस तैयार करके गए थे। अब अमित शाह दोबारा मध्यप्रदेश आ रहे हैं। 26 जुलाई को अमित शाह का भोपाल दौरा है। इस दौरान शाह फिर से बीजेपी नेताओं की बैठक लेने जा रहे हैं। इस बैठक में शाह देखेंगे कि वे जो कुछ पिछली बैठक में बता गए थे उस पर कितना काम हुआ है। मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए कितना जरुरी है ये शाह की रणनीति से समझा जा सकता है। दरअसल बीजेपी की ये तैयारी सिर्फ 2023 की नहीं बल्कि 2024 की भी है। शाह ने सीएम की जन आशीर्वाद यात्रा को रद्द कर सभी नेताओं को एक कर विजय संकल्प यात्रा के रथ पर चढ़ा दिया है। 





बीजेपी का एकमात्र चेहरा बने मोदी





प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एमपी की महाभारत में बीजेपी की ओर से सबसे बड़े और जिताउ योद्धा हैं। हाल ही के दिनों में मोदी की प्रदेश में यात्राएं बढ़ गई हैं। वे भोपाल से बूथ के कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दे चुके हैं तो शहडोल जाकर आदिवासियों के सिर पर हाथ रखने की कोशिश की है। मोदी अब बुंदेलखंड के दौरे पर आने वाले हैं। मोदी 12 अगस्त को सागर आने वाले हैं। सागर यानी बुंदेलखंड और दलित वोटर्स को साधने की कोशिश। जो काम खड़गे 13 अगस्त को करेंगे वही काम मोदी 12 अगस्त को करके चले जाएंगे। यानी एमपी में पूरी तरह से महाभारत छिड़ गया है और इसके प्रमुख योद्धा लगातार दिल्ली से चले आ रहे हैं।



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