NEW DELHI. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की हर साल होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 12 से 14 मार्च तक हरियाणा के समालखा में होने जा रही है। इस बार की सभा में मुसलमानों को साधने, संघ परिवार में महिलाओं की बढ़ती भूमिका, जनसंख्या नियंत्रण, रामचरितमानस विवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। संघ की इस बैठक में सालभर की योजना तैयार की जाती है। संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर देशभर के कार्यकर्ता और अधिकारी बैठक में हिस्सा लेते हैं। इस साल मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक में विधानसभा तो अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। 2 मार्च को दिल्ली में राजनाथ सिंह के घर एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें दत्तात्रेय होसबाले समेत कई दिग्गज शामिल हुए थे। इसमें भी विधानसभा चुनाव पर चर्चा हुई थी। जानें क्या है संघ की प्रतिनिधि सभा, ऐसे तैयार करती है आरएसएस की योजना...
साल में एक बार होती है प्रतिनिधि सभा की बैठक
आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की बैठक साल में एक बार होती है, जहां पिछले साल की सभी गतिविधियों का रिव्यू किया जाता है और आने वाले साल के लिए प्लान तैयार किया जाता है। प्रतिनिधि सभा की बैठक 3 दिनों की होती है और ये हर साल मार्च के दूसरे या तीसरे हफ्ते में आयोजित की जाती है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ही संघ के बड़े फैसले लेती है। इसी बैठक में संघ के ट्रेनिंग कैंप की योजनी बनती है। इन ट्रेनिंग कैंप को संघ शिक्षा वर्ग या ओटीसी कहा जाता है। देशभर में तीन स्तर के ट्रेनिंग कैंप लगते हैं, जो आमतौर पर गर्मियों के महीने मई-जून में अलग-अलग जगहों पर लगाए जाते हैं।
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बैठक में ये लोग होते हैं शामिल
आरएसएस ने जमीनी स्तर तक काम पहुंचाने के लिए देश को अलग-अलग क्षेत्र और प्रांतों में बांटा है। संघ की भौगोलिक संरचना देश की राज्य व्यवस्था या भौगोलिक संरचना से थोड़ी अलग है। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में लगभग हर जिले का प्रतिनिधित्व होता है। बैठक में ज्यादातर सक्रिय स्वयंसेवक शामिल होते हैं। इस बैठक में करीब 50 सक्रिय स्वयंसेवकों का प्रतिनिधित्व एक प्रांतनिधि करता है, जबकि हर एक अखिल भारतीय प्रतिनिधि 20 राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है। कुल मिलाकर संघ की इस बैठक में देशभर के 1400 प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्रीय कार्यकारिणी और प्रांत कार्यकारिणी, प्रतिनिधि सभा के निर्वाचित सदस्य और सभी विभाग प्रचारक शामिल होते हैं।
अनुषांगिक संगठन के कार्यकर्ता भी होते हैं शामिल
आरएसएस के कई अनुषांगिक संगठन भी हैं, इसी में बीजेपी, एबीवीपी, वीएचपी जैसे संगठन शामिल हैं। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में इन संगठनों के भी कार्यकर्ता शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए प्रतिनिधि सभा की बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, महासचिव बीएल संतोष और संयुक्त महासचिव शिव प्रकाश जैसे संगठन के नेता शामिल हो सकते हैं। विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा 40 प्रतिनिधि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के शामिल होते हैं। इसके अलावा प्रतिनिधि सभा की बैठक में RSS के पूर्व प्रांत प्रचारकों को भी बुलाया जाता है। आम प्रतिनिधि जहां तीन दिन बैठक में रहते हैं, वहीं उसके राष्ट्रीय पदाधिकारी तीन-चार दिन पहले पहुंच जाते हैं और बैठक खत्म होने के दो-तीन दिन बाद तक रहते हैं।
इस साल प्रतिनिधि सभा की बैठक में ये मु्द्दे उठ सकते हैं
संघ की स्थापना को 100 साल पूरे होने वाले हैं। 1925 में विजयदशमी के दिन संघ की स्थापना हुई। अगले साल इसका शताब्दी वर्ष है। ऐसे में ये बैठक का प्रमुख मुद्दा हो सकता है। पिछले साल गुजरात के कर्णावती में हुई प्रतिनिधि सभा की बैठक में भी 2025 तक देशभर में 1 लाख शाखाओं का लक्ष्य रखा गया था। इस साल भी शताब्दी वर्ष की तैयारी और विस्तार की योजना को लेकर चर्चा हो सकती है।
मुख्य फोकस चुनावों पर
इसके अलावा संघ की बैठक में देश के मौजूदा हालात पर भी चर्चा होगी और कई अहम प्रस्ताव पारित होंगे। सूत्रों के अनुसार, संघ की बैठक में पंजाब में खालिस्तान आंदोलन, रोजगार सृजन, रामचरितमानस विवाद, संघ परिवार में महिलाओं की बढ़ती भूमिका, जनसंख्या नियंत्रण और कुछ हलकों में संघ की नकारात्मक छवि को बदलने के प्रयास जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। इस साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। जैसे-जैसे राजनीतिक गतिविधियां तेज होंगी, संघ उनको ध्यान में रखकर योजनाएं बनाएगा।
कहां होती है अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक?
1988 से पहले तक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक केवल संघ मुख्यालय नागपुर में आयोजित होती थी, लेकिन 1988 में इसे पहली बार नागपुर से बाहर गुजरात के राजकोट में आयोजित किया गया। इसके बाद से देशभर में अलग-अलग स्थानों पर संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक आयोजित की जाती है।
आरएसएस को जानें
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने पिछले साल कर्णावती में प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश की गई सालाना रिपोर्ट में बताया कि संघ का काम अब देश में 38,000 से ज्यादा स्थानों पर 60 हजार 929 शाखाओं तक पहुंच गया है। इन दैनिक शाखाओं के अलावा साप्ताहिक मिलन (बैठकें), या संघ मंडली (सम्मेलन) भी होते हैं। इसके अलावा आरएसएस के विविध संगठन बीजेपी, वीएचपी, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), भारतीय किसान संघ (बीकेएस) भी काम कर रहे हैं।
संघ अपने संविधान के अनुसार हर तीन साल में अपने सर कार्यवाह का चुनाव कराता है। 2021 में बेंगलुरु में आयोजित प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्तात्रेय होसबाले को इस पद के लिए चुना गया था। कोरोना महामारी के कारण इस बैठक में केवल 600 प्रतिनिधियों ने ही हिस्सा लिया था, बाकी कार्यकर्ता वर्चुअली बैठक में जुड़े और वहीं से वोटिंग में शामिल हुए। 2020 की बैठक भी बेंगलुरु में आयोजित होने वाली थी, लेकिन कई प्रतिनिधियों के पहले ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद कोरोना के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव है और ऐसे मे अगली बैठक नागपुर में होने की संभावना है। इमरजेंसी और 1993 में आरएसएस पर लगे बैन के चलते प्रतिनिधि सभा की बैठक नहीं हुई थी। 2016 में राजस्थान के नागौर में हुई प्रतिनिधि सभा की बैठक में ही संघ की यूनीफॉर्म के रूप में खाकी नेकर की जगह पैंट को स्वीकार गया था।