REWA. मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम का बेटा जिला पंचायत के सियासी पिच पर एक बार फिर हिट विकेट हो गया। यही नहीं भारतीय जनता पार्टी की टीम से बैटिंग करने उतरी एक्स एमएलए पन्ना बाई भी क्लीन बोल्ड होकर पवेलियन आ चुकी है। भाजपा के अन्य खिलाड़ियों में उर्मिला गौड़ एवं देवेंद्र शुक्ला की भी गिल्लियां विरोधियों ने बिखेर दी है। मजेदार बात यह है कि विधान सभा अध्यक्ष के पुत्र राहुल गौतम अपने चचेरे भाई पद्मेश गौतम की गुगली नहीं झेल पाये और अपना बैट विकेट पर दे मारे। जिला पंचायत के 9 वार्डो में शनिवार 25 जून को मतदान और उसके बाद गणना की गई। इसी दौर में विधानसभा अध्यक्ष की प्रतिष्ठा का केन्द्र बना वार्ड क्रमांक 27 भी शामिल रहा। हालांकि मतों की गणना का अधिकृत परिणाम जुलाई के दूसरे सप्ताह में आएगा लेकिन गणना का ट्रेंड भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं दे सके।
रीवा जिले की तीन जनपद पंचायतों हनुमना, मऊगंज एवं नईगढ़ी में प्रथम चरण का मतदान शनिवार को किया गया। मतदान के बाद मतों की गणना का काम शुरू हुआ। इन तीनों जनपदों में जिला पंचायत के 9 वार्ड भी शामिल है जिसमें भारतीय जनता पार्टी की ओर से आधा दर्जन उम्मीदवार अधिकृत तौर पर उतारे गए थे। खास बात यह है कि प्रथम चरण का चुनावी रुझान भाजपा के लिये अच्छे नहीं रहे। जानकारों का कहना है कि इसका असर त्रिस्तरीय पंचायत के आगे होने वाले चुनाव के साथ ही नगरीय निकाय पर पड़ना तय है।
बेटे को विरासत देने का मंसूबा फेल
मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का राजनीतिक विरासत पुत्र को सौंपने का मंसूबा फिलहाल सफल नहीं हो पाया। दरअसल विधानसभा अध्यक्ष गौतम देवतालाब क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं, वे इस क्षेत्र को राजनीतिक वारिस देने के लिये पिछले कुछ सालों से लगातार प्रयास कर रहे है। इसी क्रम में हाल ही में जिला पंचायत चुनाव में बेटे राहुल गौतम को वार्ड क्रमांक 27 से मैदान में उतार दिया। भाजपा की संगठनात्मक शक्ति और सत्ता के पावर को देखते हुए यह माना जा रहा था विस अध्यक्ष इस मर्तबा अपने मंसूबे में कामयाब हो जाएंगे लेकिन उनके बड़े भाई उमेश गौतम के पुत्र पद्मेश गौतम ने राहुल के खिलाफ उसी वार्ड में ताल ठोक कर चुनौती दे डाली। पद्मेश गौतम को कांग्रेस का मौन समर्थन प्राप्त था। अध्यक्ष की प्रतिष्ठा का सबब बने वार्ड 27 में मतों की गणना पूरी होने के बाद आये रुझान राहुल गौतम की पराजय की इबारत लिख रहे है।
पन्ना और पंचू की जोड़ी भी फेल
भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक पंचूलाल प्रजापति और उनकी पत्नी पूर्व विधायक पन्ना बाई की जुगलबंदी भी भारतीय जनता पार्टी की उम्मीद पूरी करने में फेल रही है। वार्ड 24 से भाजपा नेत्री पन्ना बाई जिला पंचायत की अधिकृत भाजपा प्रत्याशी थीं लेकिन वे रीना प्रजापति से 250 से अधिक मतों से पीछे रह गई। समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद विधायक पंचूलाल प्रजापति ने जीत के साथ ही जिला पंचायत में उपाध्यक्ष की कुर्सी की उम्मीद जताई थी जिस पर विरोधी प्रत्याशी ने पानी फेर दिया।
ये भी पिछड़ गए
भारतीय जनता पार्टी के प्रथम चरण के अधिकृत जिला पंचायत प्रत्याशियों में वार्ड 26 से देवेन्द्र शुक्ला प्रतिद्वंदी राम सेवक सोनी के मुकाबले भारी मतों के अंतर से पीछे रह गए। यही हाल भाजपा की वरिष्ठ नेत्री एवं वार्ड 32 की प्रत्याशी उर्मिला गोड़ का भी रहा। मतों की गणना के रुझानों में भाजपा के समर्थित प्रत्याशियों में केवल दो पुष्पा पटेल वार्ड 30 और रामकली साकेत वार्ड 31 से जीत के मुहाने पर खड़ी नजर आई। शेष तमाम दिग्गज जिला पंचायत की सियासी पिच पर पिटे मोहरे साबित हुए।
हवा का रुख बताता है रूझान
जिला पंचायत और जनपद पंचायतों में भाजपा के स्थापित स्थानीय नेताओं एवं सक्रिय कार्यकर्ताओं की पराजय भावी सियासी ट्रेंड का संकेत दे रही है। प्रथम चरण के मतों का ट्रेंड बताता है कि मतदाता भाजपा और उसके नेताओं के जुमलों से अब इत्तफाक नही रखते। ये संकेत आगे के चुनाव में भी दिखे, तो कोई आश्चर्य की बात नही है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का प्रारंभिक रुझान नगरीय निकाय के परिणामों की इबारत लिखने का भी संकेत माना जा रहा है।